Jotika
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Jotika (जोतिक) or Jyotika (ज्योतिक) was a place mentioned in Mahabharata which was subjugated by Nakula. It has been identified with place called Jota in Himalayas.[1] Mahabharata mentions Jyotika (ज्योतिक) as a name of a Naga Chief.
Origin
Variants
Jat clans
- Jota (जोटा)
History
जोतिक
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...जोतिक (AS, p.372) नामक स्थान का उल्लेख महाभारत, सभापर्व 32,11 में हुआ है। इस उल्लेख के अनुसार पाण्डव नकुल की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में 'उत्तरज्योतिष' (या पाठान्तर-ज्योतिक) को नकुल द्वारा जीते जाने का वर्णन है। श्री वासुदेव शरण अग्रवाल के मतानुसार यह उत्तर-पश्चिम हिमालय में स्थित 'जोता' नामक स्थान हो सकता है। (दे.उत्तरज्यॊतिक)
उत्तरज्यॊतिक
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ... उत्तर ज्योतिष (AS, p.92) 'कृत्स्नं पंचनदं चैव तथैवामरपर्वतम् उत्तरज्योतिषं चैव तथा दिव्यकटं पुरम्।'[4] नकुल ने अपनी पश्चिम-दिशा की दिग्विजय यात्रा में इस स्थान को जीता था। प्रसंगानुसार इस की स्थिति पंजाब और कश्मीर की सीमा के निकट जान पड़ती है। जिस प्रकार प्राग्ज्योतिष (कामरूप-असम की राजधानी) की स्थिति पूर्व में थी, इसी प्रकार उत्तर ज्योतिष की स्थिति उत्तर पश्चिम में थी। इसका पाठांतर जोतिक भी है जो उत्तर-पश्चिम हिमालय में स्थित जोता नामक स्थान हैं।
In Mahabharata
- Jyotika (जयॊतिक) in Mahabharata (I.31.13),
- Uttarajyotika (उत्तरज्यॊतिक) in Mahabharata (II.29.10)
Adi Parva, Mahabharata/Book I Chapter 31 mentions the names of Chief Nagas. Jyotika (जयॊतिक) is mentioned in Mahabharata (I.31.13). [5]....Aparajita, Jyotika, Shrivaha, Kauravya, Dhritarashtra, Pushkara, Shalyaka, ....
Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 29 mentions the Countries subjugated by Nakula in West. Uttarajyotika is mentioned in Mahabharata (उत्तरज्यॊतिक) (II.29.10).[6]....and the whole of the country called after the five rivers, and the mountains called Amara, and the country called Uttarayotisha and the city of Divyakutta and the tribe called Dwarapala....
External links
References
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.372
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.372
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.
- ↑ सभा पर्व महाभारत 32, 11
- ↑ अपराजितॊ जयॊतिकश च पन्नगः श्रीवहस तथा, कौरव्यॊ धृतराष्ट्रश च पुष्करः शल्यकस तथा (I.31.13)
- ↑ कृत्स्नं पञ्चनदंचैव तदैवापरपर्यटम, उत्तरज्यॊतिकं चैव तदा वृण्डाटकं पुरम, द्वारपालं च तरसा वशे चक्रे महाद्युतिः (II.29.10)