Jaso
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Jaso (जसो) is a village in Nagod tehsil, Satna district, Madhya Pradesh. Jaso was a small princely state of British India. It was surrounded in the north, east and south by Nagod State and in the east by Ajaigarh.
Variants
Location
Jaso is located 38 km towards west from District head quarters Satna and 12 km south-west from Nagod. Jaso Pin code is 485551. Chunaha ( 6 KM ), Runehi (6km) , Surdaha Khurd (7km) , Amkuie (7km), Surdaha Kala (9 km) are the nearby Villages to Jaso. Jaso is surrounded by Unchahara Tehsil towards East , Gunour Tehsil towards west , Satna Tehsil towards East , Sohawal Tehsil towards East. [1]
History
Jaso State was founded in 1732.[2] Around 1750 it was split into Bandhora and Jaso, being reunited later in the eighteenth century. In 1816 Jaso State became a British protectorate. The last ruler of the state signed the accession of Jaso State to the Indian Union in 1948.[3]
The rulers of Jaso belonged to the Bundela dynasty of Rajputs and took the title of Dewan.[4]
Col. G. B. Malleson[5] writes.... Jussu, Raja of; an adopted descendant of Chattar Sal, the line having died out in 1860. The present Raja, Satterjit Singh, who belonged to a branch of the same family, was recognised by the British Grovernment in 1862. The area of his territory is 180 square miles, the population 24,000, and the revenue about 30,000 rupees. He has received the right of adoption.
जसो
विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है ...जसो (AS, p.360) बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक स्थान था। कनिंघम ने इस भू-भाग का नाम 'दरेदा' लिखा है, जो सभंवत: 'दुरेहा' (जसो के निकट) [p.361]: का ही रूपांतर है। प्राचीन काल में जसो जैन संस्कृति का महत्त्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था, क्योंकि आज भी सैंकड़ों जैन मूर्तियाँ यहाँ से प्राप्त होती हैं। जसो से प्राप्त मूर्तियों का समय 12वीं शती से 16वीं शती तक है। यहाँ की रियासत बुन्देला महाराज छत्रसाल के वंशजों ने बनाई थी। महाराज छत्रसाल के पुत्र जगतराज को उत्तराधिकार में जेतपुर का राज्य मिला था। जगतराज के वृहत राज्य का एक भाग खुमानसिंह को मिला, इसमें जसो भी सम्मिलित था। बाद के समय में खुमानसिंह ने जसो की जागीर अपने पुत्र हरिसिंह को दे दी, जो कालांतर में एक स्वतंत्र रियासत बन गई। ऐतिहासिक स्थान नचना और खोह, जहाँ गुप्त कालीन अनेक अवशेष तथा अभिलेख प्राप्त हुए हैं, जसो के निकट ही है।
कांतारक
विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है ...कांतारक (AS, p.158) महाभारत सभा पर्व 13,13 में सहदेव की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में इस प्रदेश का उल्लेख है-- 'कांतारकांश्चसमरे तथा प्राक्कोसलान् नृपान् नाटकेयांश्च समरे तथा हैरम्बकान् युधि'. कांतारक अवश्य ही गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में वर्णित महाकांतार है जहां के अधिपति व्याघ्रराज को समुद्रगुप्त ने परास्त किया था. महाकांतार मध्य प्रदेश के पूर्वोत्तर भाग में स्थित जंगली भूखंड का प्राचीन नाम था (कांतार = घना जंगल). इसमें भूतपूर्व जसो रियासत सम्मिलित थी.
External links
References
- ↑ http://www.onefivenine.com/india/villages/Satna/Nagod/Jaso
- ↑ States before 1947
- ↑ Princely States of India
- ↑ Jaso (Princely State)
- ↑ An historical sketch of the native states of India/Bundelkhand,p.362
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.360)
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.158