Kakandi

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(Redirected from Kaberisa)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Kakandi (काकंदी) was an ancient city which has been identified with 1. Puhar or Kaveripattinam in Tamilnadu, India and 2. Khukhunndo town in Deoria district of Uttar Pradesh, India.

Location

It is approximately 15 kms East of Deoria city near the border with Bihar state on Deoria - Salempur road in Deoria district. Other, nearest market place to this town is Deoria, Bhatni, Salempur, Nunakhar and Barajhaj, in range of 20 km.

Variants of name

Jat clans

History

काकंदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...

1. काकंदी (AS, p.160) = पुहार (मद्रास): भरहुत अभिलेख (संख्या 101, इंडियन एंटीक्यारी 21,235) में उल्लिखित दक्षिण भारत का चैन्नई के समीप स्थित एक प्राचीन बन्दरगाह था, जो ईसा की प्रारम्भिक शताब्दियों में दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। विद्वानों का मत है कि पेरिप्लस (अध्याय 60) में इसी को 'कमर' और टॉलमी के भूगोल (7,1,13) में 'कबेरिस' कहा गया है। काकंदी कावेरी की उत्तरी शाखा के मुहाने पर बसा हुआ था. जैन ग्रंथ 'अतकृतदशांग' में भी काकंदी नगर के धनी गृहस्थ क्षेमक और धृतिहर का उल्लेख मिलता है। तमिल अनुश्रुति के आधार पर काकंदी का बन्दरगाह समुद्र में जलमग्न होकर विलुप्त हो गया था। (दे. अनसिएन्ट इंडिया, अयंगर, पृ,352) सम्भवतः यह घटना तीसरी सदी ईस्वी के प्रारंभिक वर्षों में हुई होगी। काकंदी को वर्तमान में पुहार कस्बे से समीकृत किया जाता है। (दे. कावेरीपत्तन)


2. काकंदी (AS, p.160) = खुखन्दो ग्राम जिला गोरखपुर, उ.प्र., इसका प्राचीन नाम किष्किंधापुर भी है. यह प्राचीन जैन तीर्थ है जिसका संबंध पुष्पदंतस्वामी से बताया जाता है.

काकंदी परिचय

संगमकालीन चोलों की अनेक राजधानियों में से काकंदी एक प्रमुख स्थान था। काकंदी बंदरगाह के विवरण संगम साहित्य में भरे पड़े हैं। काकंदी नगर के आस-पास अनेक स्थानों से लगभग ई.पू. तीसरी शती से पाँचवी शती ई. तक आवासीय अवशेष प्रकाश में आए हैं। ब्राह्मण धर्म से सम्बन्धित देवी-देवताओं के मंदिरों के अतिरिक्त यहाँ अनेक बौद्ध एवं जैन संस्थान भी थे। प्रारंभिक चोल शासक करिकाल ने कावेरी के मुहाने पर पुहार के बन्दरगाह को दुर्ग बनवाकर सुरक्षित किया था। यह भी ज्ञात होता है कि उसने इस कार्य में सिंहल (लंका) के युद्ध बन्दियों को लगाया था। ईसा की पहली शताब्दी के तमिल ग्रंथ 'पट्टिनप्पालै' में पुहार का बड़ा सजीव वर्णन है। यह ज्ञात होता है कि आंतरिक व्यापार में चुंगी भी ली जाती थी। अनधिकृत व्यापार की रोकथाम के लिए सड़कों पर सैनिकों द्वारा दिन-रात निगरानी रखी जाती थी। काकंदी बन्दरगाह इतना सुविधाजनक था कि विदेशों से माल लेकर आने वाले बड़े जहाज़ पाल उतारे बिना ही तट पर आ जाते थे। विदेशों से आने वाली बहुमूल्य सामग्री यहाँ गोदी में उतारी जाती थी। विदेशी व्यापार के कारण काकंदी के निवासी काफ़ी धनी हो गये थे। इस नगर में अनेक ऊँचे और भव्य मकान थे। ये भवन कई मंजिलों वाले थे, जिनमें ऊपर तो धनी व्यापारियों के परिवार रहते थे और नीचे की मंज़िल का उपयोग व्यापार के लिये होता था। समुद्र तट पर खड़े व्यापारिक जहाजों पर ध्वज लहराते रहते थे। इनके साथ विभिन्न रंगों के झंडे भी होते थे, जो उन जहाजों पर लदे विशिष्ट प्रकार के माल तथा फैशनपरस्तों के लिए उपयोगी सामान का एक से विज्ञापन करते थे। [2]

कमर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ... कमर (AS, p.137) लैटिन भाषा के भूगोल ग्रंथ पेरिप्लस में दक्षिण भारत के काकंदी नगर को ही संभवत: कमर कहा गया है। यह ई. सन् की प्रारंभिक शतियों में प्रसिद्ध बंदरगाह था।

Mythology

Khukhundoo also well known as God Pushpadanta birthplace as a son of King Sugriva and Queen Rama at Kakandi (Khukhundoo) situated on the Jain Circuit. There is ancient God Shiva temple at Khukhundoo.

External links

References