Khinwa Ram Rahar
Khinwa Ram Rahar (Havildar) (15.07.1964 - 09.04.2005), Sena Medal, became martyr of militancy on 09.04.2005 in Kupwara district on 09.04.2005 during CI & IS Operations. Unit: 17 Grenadiers/29 Rastriya Rifles. He was from Asarwa village in Makrana tehsil of Nagaur district in Rajasthan.
हवलदार खींवाराम राहड़
हवलदार खींवाराम राहड़
15-07-1964 - 09-04-2005
सेना मेडल (मरणोपरांत)
सेवा संख्या - 2677784
वीरांगना - श्रीमती तुलसी देवी
यूनिट - 17 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट/29 राष्ट्रीय राइफल्स
CI & IS ऑपरेशन्स
हवलदार खींवाराम का जन्म 15 जुलाई 1964 को राजस्थान के नागौर जिले की मकराना तहसील के आसरवा गांव में एक किसान परिवार में श्री पोकर राम राहड़ एवं श्रीमती सुवटी देवी के घर में हुआ था। अपने विद्यार्थी जीवन में उन्होंने अनेक खेलों में जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया था। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात 30 अगस्त 1983 वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे।
प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 17 ग्रेनेडियर्स बटालियन में ग्रेनेडियर के पद पर नियुक्त किया गया था। अपनी शारीरिक क्षमता के आधार पर खींवाराम सदैव बटालियन की स्पेशल गार्ड में रहे। अपनी बटालियन में रेगिस्तान से सियाचिन तक भिन्न-भिन्न परिचालन परिस्थितियों एवं स्थानों पर सेवाएं देते हुए और क्रमशः पदोन्नत होते हुए वर्ष 2005 तक वह हवलदार के पद पर पदोन्नत हो गए थे।
वर्ष 2005 में हवलदार खींवाराम को जम्मू-कश्मीर कश्मीर के आतकंवाद विरोधी अभियानों में कुपवाड़ा जिले में 29 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ प्रतिनियुक्त किया गया था। 9 अप्रैल 2005 को गोपनीय सूत्रों से विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई कि किंचित आतंकवादी श्रीनगर से मुजफ्फराबाद के बीच चलने वाली विशेष बस पर आक्रमण करने का षड़यंत्र रच रहे हैं। इस सूचना के आधार पर 29 राष्ट्रीय राइफल्स, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टुकड़ी द्वारा संदिग्ध क्षेत्र में ऑपरेशन चलाने का निर्णय लिया गया।
हवलदार खींवाराम भी इस संयुक्त टुकड़ी के सदस्य थे। हवलदार खींवाराम अंधेरे में घेराबंदी कर अपनी टुकड़ी के साथ संदिग्ध घरों की खोज कर रहे थे। आकस्मिक एक घर में छिपे हुए आतंकवादियों ने स्वचालित हथियारों से गोलियां चलानी आरंभ कर दी। भीषण गोलीबारी में हवलदार खींवाराम गंभीर रूप से घायल हो गए।
घायल होने के उपरांत भी हवलदार खींवाराम आतंकवादियों से निरंतर संघर्ष करते रहे। उनके घावों से हो रहे अत्यधिक रक्तस्त्राव के कारण वह भूमि पर गिर गए। उन्हें गिरा हुआ देखकर एक आतंकवादी ने उनका हथियार छीन कर भागने का प्रयास किया किंतु हवलदार खींवाराम ने उस आतंकवादी को मार कर अपना हथियार सुरक्षित किया साथ ही उन्होंने उस आतंकवादी से भी उसका हथियार छीन लिया। इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए और हवलदार खींवाराम के साथ लांस नायक महबूब खान भी वीरगति को प्राप्त हुए।
हवलदार खींवाराम ने गंभीर घायल होते हुए भी अदम्य साहस, वीरता एवं दृढ़ निश्चय का परिचय दिया। हवलदार खींवाराम को उनके असाधारण साहस, वीरता एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया।
शहीद को सम्मान
चित्र गैलरी
स्रोत
संदर्भ
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