Khojer

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Khojer (खोजेर) is a village in Sardarshahar Tehsil of Churu district in Rajasthan.

Jat Gotras

History

Tejoo Peer (तेजू पीर) was a warrior of Sinwar Jat clan from village Pichakarae Tal in Sardarshahar tehsil of Churu district in Rajasthan. He was killed in fighting with Langad Khan in 12-13th century. He was a strong follower of Sufi Sant Baba Shekh Fareed. Hence known as Tejoo Peer. Khojer, Pirer, Ratusar, Kalwasia, Shekhsar, Pichakarae Tal and Siddhasar were under Sinwar Jat republic. His history has been researched by Daulat Ram Saran of village Dalman and is reproduced below in Hindi:

तेजू पीर का जीवन परिचय - तेजू पीर के रूप में 1200 ई. सन के लगभग सींवर जाट गोत्र में लोकदेवता का अवतरण हुआ. वे अपनी शूरवीरता, शहादत तथा रूहानियत की बदोलत लोकदेवता तेजू पीर के रूप में प्रसिद्ध हुए. राजस्थान के चूरू जिले की सरदारशहर तहसील के पिचकराई गाँव के पातवाणा में इनके बलिदान स्थल पर वीर तेजूपीर का धाम है. यहाँ प्रतिवर्ष वैशाख सुदी 4 को मेले का आयोजन होता है. तेजू जी सूफी संत फरिदुदीन शक्करगंज (1173 -1265) के शिष्य होने के कारण तेजू पीर कहलाये.

बाबा शेख़ फ़रीद से प्रभावित - अजोधन (पाकपतन) के बाबा शेख़ फ़रीद ने राजस्थान के जाट बाहुल्य क्षेत्र में अपने रूहानी उपदेशों से जाटों को प्रभावित किया. बाबा शेख़ फ़रीद का जन्म वर्ष 1173 में मुल्तान जिला के खोतवाल गांव में हुआ था। अनेक वर्षों तक हरियाणा के हांसी (हिसार) में रहकर वह खुदा की इबादत में लगे रहे. हरियाणा में हांसी में वे लम्बे समय तक रहे. बाबा शेख़ फ़रीद अजोधन से दिल्ली आते-जाते रहे तथा दक्षिणी पंजाब तथा उत्तरी राजस्थान के इलाके में रहे. लोग इनकी योग शक्ति व भक्ति से इतने प्रभावित हुए की सींवर जनों ने अपने क्षेत्र में आबादी का नाम शेखसर रख लिया, जो कि एक रेख के रूप में आज जानी जाती है. शेख़ फ़रीद ने अपनी योग माया से गोदारा जनपद के गाँव सुखचैनपुरा का पानी पिने योग्य कर दिया. इसलिए सुखचैनपुरा का नाम शेखसर कर दिया तथा गोदारा जनपद में गोपल्याणा में शेख़ फ़रीद का मंदिर भी है. इसी तरह पंजाब के शहर फरीदकोट का नाम पहले मोकल नगर था, और यह नगर मोकल ने आबाद किया था. लेकिन, मोकल शेख़ फ़रीद से इतना प्रभावित हुआ कि इसका नाम मोकल नगर से फरीदकोट कर दिया.

तेजूपीर का जन्म - वीर तेजूपीर का जन्म सींवर गोत्री जाट परिवार में हुआ. इनके पिताजी का नाम बिसू जी था. बेसू जी का विवाह नाथूराम जी धीरावत की पुत्री राजकुमारी रामादेवी के साथ हुआ. रामादेवी से उत्पन्न तेजू जी, रातू जी, उदा जी, बुधा जी, अमरा जी, उदीरण जी व सिद्धा जी सात पुत्र व पुत्री अंचला का जन्म हुआ. तेजू जी का विवाह वीरू जी सिहाग की पुत्री राजकुमारी जीवा के साथ हुआ. तेजू जी के बड़े पुत्र का नाम सांगाजी था. तेजू जी सूर्य की भांति तेजस्वी, परोपकारी व दानवीर गणतंत्रीय शासक थे. तेजू जी खोजेर में आबाद हुए. खोजेर वर्तमान चूरू जिले की सरदारशहर तहसील के गाँव पिचकराई गाँव के उत्तर में जैतसीसर के पास है. मेघाना (नोहर) में तेजू जी का संपर्क बाबा फरीद से हुआ. तेजू जी ने उन्हें अपना गुरु बनाया तथा खोजेर गाँव में ले आये. बाबा फरीद ने बणीधाम (पिचकराई ताल) में रहकर तपस्या की, वहां आज भी बाबा का स्मारक है. फिर वह वापस मेघाना चले गए.

लंगड़खां से घमासान युद्ध - तेजू जी की बहन अंचला अत्यंत रूपवती तथा बलशाली थी. लंगड़खां अंचला से शादी करना चाहता था. सींवरजनों ने बाई जी अंचला की शादी मान गोत्रीय जाट सूआराम जी से करदी. इस पर लंगड़खां ने सेना सहित खोजेर पर हमला कर दिया. तेजू जी ने सींवरजनों सहित सेना लेकर आन-बान की रक्षा हेतु डटकर घमासान युद्ध किया. सींवर सेना के पराक्रम से लंगड़खां की सेना भाग गयी. लंगड़खां के सिपाहियों ने पीछे से छुपकर तेजूजी व रातूजी का शीश तलवार से काट दिया. इसके उपरांत भी दोनों भाइयों की धड़ें लगातार लड़ती रहीं और लंगड़खां की सेना का संहार करने लगी. तेजू जी व रातू जी का शीश जोहड़ घुरण में गिरा. इनके धड़ लड़ते-लड़ते पांच कोस आ गए. इस घटना से लंगड़खां घबरा गया. उसने दोनों धड़ों को नील का छींटा दिया, तब वें शिथिल होकर गिरे. दोनों की धड़ें जोहड़ पातवाणा में गिरी. सींवरजनों ने लंगड़खां की सेना का पूरी तरह सफाया कर दिया. पातवाणा जोहड़ में राजा तेजू जीरातू जी का अंतिम संस्कार उनके वंशजों ने किया. इस जगह धाम बना हुआ है. यहाँ प्रतिवर्ष वैशाख सुदी 4 को मेला भरता है. इनके अनुयायी इन्हें तेजू पीर व दादो जी महाराज के नाम से पूजते हैं.

सन्दर्भ - लेखक: दौलत राम सारण. गाँव डालमाण, सरदारशहर, चूरू, राजस्थान. मोब: 09413744238. जाट बन्धु, आगरा, 25 फ़रवरी 2012.

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