Khubi Ram Khichar

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search
Capt Khubi Ram Khichar

Khubi Ram Khichar (Captain) (1909-01.06.1993) was born at Bandaheri village in Hisar district of Haryana. He joined Indian Army in 1924. He took part in World War II, arrested by Japanese army, was POW for sometime. He was awarded various Medals for his act of bravery. He joined Rampur State Force 1947-1949. After Independence the Govt of India allotted him 100 acre land at Khandi Khera village in Rampur District, Uttar Pradesh. He spent rest of his retired life there and died on 01.06.1993.

कैप्टन खूबीराम का परिचय

कैप्टन खूबीराम (1909-01.06.जून 1993) का जन्म गाँव बाण्डाहेडी, जिला हिसार, हरयाणा में सन 1909 में हुआ. उनके पिता का नाम नंदराम खीचड़ था. नंदराम के चार लड़के और एक लड़की थी. खूबीराम लड़कों में तीसरे नंबर पर थे.

फ़ौज में भर्ती

पहले गांव से लड़के रात के समय इकट्ठा होकर ग्रुप में फौज में भर्ती होने जाते थे. सन 1924 में जब वह मात्र 15 वर्ष की आयु के थे, एक रात को हिसार भर्ती के लिए जा रहे ग्रुप के साथ चले गए. शरीर से वह काफी अच्छी सेहत के मालिक थे. जब भर्ती की लाइन में इनका नंबर आया तो भर्ती अफसर जो अंग्रेज था, उसने कहा तुम्हारी उम्र अभी कम है. बाद में आना. खूबीराम ने रोते हुए कहा कि अगर आपने मुझे फ़ौज में भर्ती नहीं किया तो मैं घर नहीं जाऊंगा, खुदकशी कर मैं मर जाऊंगा. यह सुनकर उस अफसर को बुरा लगा और उसने कहा ठीक है मैं तुम्हें 'बोयज' में भर्ती करता हूं और उन्हें बॉयज में भर्ती कर लिया.

उन्होंने कड़ी मेहनत की और फौज में रहते हुए ही अपनी आगे की पढ़ाई भी की. उन्होंने फौज में सभी कोर्सों में बहुत मेहनत कर उच्च ग्रेडिंग ली और अपना काम ऊंचे दर्जे का किया. वह हाकी और पोलवाल्ट खेलों में भी सर्विस तक गए. समय पर उन्नति पाते हुए द्वितीय विश्व युद्ध से पहले इमरजेंसी कमीशन पाया और अफसर बने. विश्वयुद्ध के समय जापानियों के P.O.W. भी बने- इंफाल मणिपुर क्षेत्र में. वहां से मौका पाकर भाग निकले और अपनी पलटन में पहुंचे. बाद में दिल्ली में राजस्थान रायफल्स सेंटर में रहे.

1947 तक दिल्ली में रहते हुए खूबी राम की पत्नी पार्वती देवी ने दो लड़कों को पैदा किया - पहला 1945 में और दूसरा 1947 में जन्म दिया. पहले का नाम सुरेंद्र पाल था. दूसरे का नाम प्रताप सिंह. इससे पहले दो लड़कियां थी- सज्जन वह दूसरी शांति.

रामपुर उत्तर प्रदेश में बसे

दिल्ली फ़ौज से अवकाश पाने के बाद 1947 से 1949 तक रामपुर स्टेट फोर्स में हिंदू कंपनी कमांडर के तौर पर नौकरी की. 1949 में जब रामपुर स्टेट फोर्स इंडियन यूनियन में मिल गई तो कैप्टन खूबी राम को इंडियन गवर्नमेंट की तरफ से रामपुर जिले में खांडी खेड़ा गाँव में 100 एकड़ जमीन दी गई और वह यहां पर आ गए पूरे परिवार के साथ. यहां पर पार्वती देवी पत्नी ने दो और लड़कियों को जन्म दिया- साधना और भावना.

सबसे बड़ी लड़की की शादी हिसार में रहने वाले फौजी अफसर से हुई जो कर्नल के पद से रिटायर हुआ. दूसरी लड़की की शादी एक पुलिस अफसर से हुई जो डीएसपी पद से रिटायर हुए. साधना की शादी फौजी अफसर से हुई जो कर्नल के पद से रिटायर हुए. भावना की शादी फौजी अफसर से हुई जो मेजर जनरल के पद से रिटायर हुए.

बड़ा लड़का सुरेंद्र खूबी राम के साथ फ़ार्म पर मदद के लिए रहा. प्रताप 1969 में फ़ौज में अफसर बना वह 1971 की लड़ाई में में बांग्लादेश की लड़ाई में रहा और 1993 में कर्नल के पद से रिटायर हुआ.

देहांत

1 जून 1993 को खूबी राम का देहांत हो गया. उन्होंने अपने जीवन काल में इस क्षेत्र में अनेक सामाजिक कार्य किये और इस जंगल में आकर इसको आबाद करने वाले पहले व्यक्ति बने.

स्रोत

  • प्रबोध खीचड़, खीचड़ों की ढाणी, बछरारा, रतनगढ़, चुरू, राजस्थान द्वारा ई-मेल से उपलब्ध कराई है। (Mob: 9414079295, Email: prabodhkumar9594@gmail.com)

गैलरी

References