Calcutta

From Jatland Wiki
(Redirected from Kolkata)
Jump to navigation Jump to search
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Location of Kolkata

Kolkata (कोलकाता), also known as Calcutta, is the capital of the Indian state of West Bengal. It is the principal commercial, cultural, and educational centre of East India, while the Port of Kolkata is India's oldest operating port and its sole major riverine port.

Location

Located on the east bank of the Hooghly River approximately 75 kms west of the border with Bangladesh,

Origin

  • कलकत्ता के स्थान पर कालीघाट नामक एक एक ग्राम स्थित था जो काली के मंदिर के कारण ही कालीघाट कहलाता था. कलकत्ता कालीघाट का ही रूपांतर है
  • कलकत्ता नाम की उत्पत्ति बांग्ला शब्द किलकिला (समतल क्षेत्र) से हुई है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।

Variants

  • Kalakatta (कलकत्ता) (प. बंगाल) (AS, p.147)
  • Kolkata (कोलकाता)

Jat clans

History

Victoria Memorial, Calcutta-15.1.1981

In the late 17th century, the three villages that predated Calcutta were ruled by the Nawab of Bengal under Mughal suzerainty. After the Nawab granted the East India Company a trading licence in 1690,[1] the area was developed by the Company into an increasingly fortified trading post. Nawab Siraj ud-Daulah occupied Calcutta in 1756, and the East India Company retook it the following year. In 1793 the East India company was strong enough to abolish Nizamat (local rule), and assumed full sovereignty of the region. Under the company rule, and later under the British Raj, Calcutta served as the capital of British-held territories in India until 1911, when its perceived geographical disadvantages, combined with growing nationalism in Bengal, led to a shift of the capital to New Delhi. Calcutta was the centre for the Indian independence movement; it remains a hotbed of contemporary state politics. Following Indian independence in 1947, Kolkata, which was once the centre of modern Indian education, science, culture, and politics, suffered several decades of economic stagnation.

Jat clan

Jat History

Origin of name Calcutta is from Kilkila which mean flatland in Bengali language. But the existence of Kilkila Gotra in Jats indicates their relation with Calcutta in ancient history. There is need to further research in this matter.

Kila-Kila (किलकिला) were Nagas, earlier known as Vidisa Vrisha and later Kila-Kila Vrisha. It means they were earlier ruler of Vidisa and offshoot of Vidisa Nagas. Dr Naval Viyogi has given details about this dynasty.

Vakatakas were offshoots of Vidisa Nagas. Dr Naval Viyogi[2]

Dr Naval Viyogi[3] writes that Earlier Vakatakas (250-510 AD) estiblished their rule in Vindhya region. But later established authority over whole of Central India. From Vakataka inscriptions it is well established that A dynasty which took its name Vakataka came into existence about a century before Samudragupta's conquests. The first king of the dynasty was Vindhyashakti (250–270). Second king was Pravarasena I (270–330).

Dr Naval Viyogi[4] mentions Kilkila at two places as a Kilkila River and as Kilkila Yavana:

In Bhagawat71 Purana there is a pedigree of early Nagas or Naga kings of Kilkila begins with Bhutanandi and ending with Praviraka or Pravarsena I son of Vindhya Shakti. It is as follows72 :

kilkilāyan nirpatayo bhātananddoya vangirh
sisunandischa tadbratā. yasonandih pravirakāh

71. Jayaswal K.P. PP-67 72.Jayaswal K.P. PP-69


[p.345]: Here king Praviraka or Pravarsena I Vakataka has been included in list of Nagas who were Kilkila kings. It means he was also a Kilkila Naga king. Kilkila is the name of river near Panna.

कलकत्ता

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...कलकत्ता (AS, p.147): अंग्रेजों की हुगली की व्यापारिक कोठी के अध्यक्ष जाब चारनाक ने अगस्त 1690 ई. में कोलकाता की नींव एक व्यापारिक स्थान के रूप में डाली थी. इससे पहले इसके स्थान पर कालीघाट नामक एक एक ग्राम स्थित था जो काली के मंदिर के कारण ही कालीघाट कहलाता था. यह प्राचीन मंदिर आज भी वर्तमान है. कलकत्ता कालीघाट का ही रूपांतर कहा जाता है. (देखें कालीघाट)

कोलकाता परिचय

कोलकाता पश्चिम बंगाल राज्य की राजधानी है और भूतपूर्व ब्रिटिश भारत (1772-1912) की राजधानी था। कोलकाता का उपनाम डायमण्ड हार्बर भी है। यह भारत का सबसे बड़ा शहर है और प्रमुख बंदरगाहों में से एक हैं। कोलकाता का पुराना नाम कलकत्ता था। 1 जनवरी, 2001 से कलकत्ता का नाम आधिकारिक तौर पर कोलकाता हुआ। कोलकाता शहर बंगाल की खाड़ी के मुहाने से 154 किलोमीटर ऊपर को हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है, जो कभी गंगा नदी की मुख्य नहर थी। यहाँ पर जल से भूमि तक और नदी से समुद्र तक जहाज़ों की आवाजाही के केन्द्र के रूप में बंदरगाह शहर विकसित हुआ। वाणिज्य, परिवहन और निर्माण का शहर कोलकाता पूर्वी भारत का प्रमुख शहरी केन्द्र है।

कोलकाता नामकरण: कुछ लोगों के अनुसार कालीकाता की उत्पत्ति बांग्ला शब्द कालीक्षेत्र से हुई है, जिसका अर्थ है 'काली (देवी) की भूमि'। कुछ कहते हैं कि शहर का नाम एक नहर (ख़ाल) के किनारे पर उसकी मूल बस्ती होने से पड़ा। तीसरा विचार यह है कि चूना (काली) और सिकी हुई सीपी (काता) के लिए बांग्ला शब्दों से मिलकर यह नाम बना है, क्योंकि यह क्षेत्र पकी हुई सीपी से उच्च गुणवत्ता वाले चूने के निर्माण के लिए विख्यात है। एक अन्य मत यह है कि इस नाम की उत्पत्ति बांग्ला शब्द किलकिला (समतल क्षेत्र) से हुई है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।

कलकत्ता का इतिहास: कलकत्ता (AS, p.147): अंग्रेजों की हुगली की व्यापारिक कोठी के अध्यक्ष जाब चारनाक ने अगस्त 1690 ई. में कोलकाता की नींव एक व्यापारिक स्थान के रूप में डाली थी। इससे पहले इसके स्थान पर कालीघाट नामक एक एक ग्राम स्थित था जो काली के मंदिर के कारण ही कालीघाट कहलाता था यह प्राचीन मंदिर आज भी वर्तमान है कलकत्ता कालीघाट का ही रूपांतर कहा जाता है (देखें कालीघाट)। जॉब चारनाक ने 1690 ई. में तीन गाँवों कोलिकाता, सुतानती तथा गोविन्‍दपुरी नामक जगह पर कोलकाता की नींव रखी थी।

कालीकाता नाम का उल्लेख मुग़ल बादशाह अकबर (शासन काल, 1556-1605) के राजस्व खाते में और बंगाली कवि बिप्रदास (1495) द्वारा रचित 'मनसामंगल' में भी मिलता है। एक ब्रिटिश बस्ती के रूप में कोलकाता का इतिहास 1690 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक अधिकारी जाब चार्नोक द्वारा यहाँ पर एक व्यापार चौकी की स्थापना से शुरू होता है। हुगली नदी के तट पर स्थित बंदरगाह को लेकर पूर्व में चार्नोक का मुग़ल साम्राज्य के अधिकारियों से विवाद हो गया था और उन्हें वह स्थान छोड़ने के लिए विवश कर दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने नदी तट पर स्थित अन्य स्थानों पर स्वयं को स्थापित करने के कई असफल प्रयास किए। अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स के समय में 'रेग्युलेटिंग एक्ट' के तहत 1774 ई. में कलकत्ता (कोलकाता का भूतपूर्व नाम) में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई, जिसका अधिकार क्षेत्र कलकत्ता तक था। कलकत्ता में रहने वाले सभी भारतीय तथा अंग्रेज़ इसकी परिधि में थे। कलकत्ता से बाहर के मामले यह तभी सुनता था, जब दोनों पक्ष सहतम हों। इस न्यायालय में न्याय अंग्रेज़ी क़ानूनों द्वारा किया जाता था।

कालीघाट (बंगाल) (AS, p.182) कलकत्ता नाम का आदिरूप कालीघाटा था। यह नाम इस स्थान पर एक प्राचीन काली-मंदिर के होने के कारण पड़ा था. जहां कलकत्ते का समुद्र तट आज स्थित है, वहां प्राचीन काल में ऊंचे-ऊंचे कगार थे जो समुद्र के थपेड़ों से कटकर नष्ट हो गए और एक दलदल के रूप में रह गए। इस कारण गंगा का प्राचीन मार्ग भी बदल गया और इस स्थान पर एक त्रिकोणद्वीप बन गया। कालांतर में इस द्वीप पर काली का एक मंदिर बन गया जो प्रारंभ में आदिवासियों का पूजा स्थान था क्योंकि काली उनकी आराध्य देवी थी। इन्हीं के [p.183]: द्वारा यह देवी पाशवी देवी के रूप में बहुत दिनों तक सम्मानित रही और बाँसों के झुरमुटों से घिरे हुए इस मंदिर में धींवर, मल्लाह और आदिवासी लोग बहुत दिनों तक पूजा के लिए आते जाते रहे। कहा जाता है कि बंगाल के सेन-वंशीय नरेश बल्लालसेन ने कालीक्षेत्र का दान तांत्रिक ब्राह्मण लक्ष्मीकांत को दिया था। तब से लेकर अब तक लक्ष्मीकांत के परिवार के हालदार ब्राह्मण ही काली मंदिर के पुजारी होते चले आए हैं। काली की मूर्ति इन्हीं की बताई जाती है। देवी के रौद्ररूप काली की पूजा इन्हीं तांत्रिकों ने पहली बार द्विजों में प्रचलित की, नहीं तो उनकी आराध्या तो उमा, शिवा, दुर्गा या धात्री थी. तांत्रिकों ने स्वयं काली की मूर्ति का भाव आदिवासियों से ग्रहण किया होगा-- यह भी उपर्युक्त तथ्यों की पृष्ठभूमि में संभव जान पड़ता है।

कहा जाता है कि 1530 ई. तक सरस्वती और यमुना नामक दो नदियां कालीघाट के पास ही समुद्र में गिरती थी और इस संगम को त्रिवेणी का रूप माना जाता था. कालांतर में यह दोनों नदियां सूख गई किन्तु कालीघाट या कालीबाड़ी का तीर्थ रूप में महत्व बढ़ता ही गया. 17वीं शताब्दी के अंत और 18वीं के प्रारंभिक काल में यह मंदिर इतना प्रसिद्ध था कि वार्ड नामक अंग्रेजी लेखक के अनुसार वर्तमान कलकत्ते की नींव डालने वाले जॉब चार्नाक की भारतीय पत्नी के साथ अनेक अंग्रेज महिलाएं भी काली मंदिर में मनौती मनाने आती थी. वार्ड के उल्लेखानुसार ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसरों ने एक बार पांच सहस्र रुपया इस मंदिर में चढ़ाया था. पौराणिक कथा है कि पूर्वजन्म में शिव की पत्नी दक्ष-पुत्री सती के मृत शरीर के दक्षिण चरण की अंगुलियाँ यहाँ कटकर गिरी थीं और वे ही मूर्ति रूप में यहाँ प्रतिष्ठित हुईं. काली मंदिर को इसलिये काली पीठ भी माना जाता है.

संदर्भ: भारतकोश-कोलकाता

कोलकाता के दर्शनीय स्थल

विक्टोरिया मेमोरियल हाल, कोलकाता

विक्टोरिया मेमोरियल (Victoria Memorial, Kolkata): पश्चिम बंगाल के कोलकाता नगर में स्थित एक ब्रिटिश कालीन स्मारक है। 1906 से 1921 के बीच निर्मित यह स्मारक इंग्लैण्ड की तत्कालीन साम्राज्ञी महारानी विक्टोरिया को समर्पित है। इस स्मारक में विविध शिल्पकलाओं का सुंदर मिश्रण है। इसके मुगल शैली के गुंबदों पर सारसेनिक और पुनर्जागरण काल की शैलियों का प्रभाव दिखाई पड़ता है। इस भवन के अंदर एक शानदार संग्रहालय भी है जहाँ रानी के पियानो और स्टडी-डेस्क सहित 3,000 से भी अधिक अन्य वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। यह प्रतिदिन मंगलवार से रविवार तक प्रात: दस बजे से सायं साढ़े चार बजे तक खुलता है, सोमवार को यह बंद रहता है।

विक्टोरिया मेमोरियल में 25 चित्र दीर्घाएँ हैं। इनमें शाही गैलरी, राष्ट्रीय नेताओं की गैलरी, पोर्ट्रेट गैलरी, सेंट्रल हॉल, मूर्तिकला गैलरी, हथियार और शस्त्रागार गैलरी और नई कलकत्ता गैलरी शामिल हैं। विक्टोरिया मेमोरियल में थॉमस डेनियल (1749-1840) और उनके भतीजे विलियम डेनियल (1769-1837) के कार्यों का सबसे बड़ा एकल संग्रह है। इसमें दुर्लभ और पुरातन पुस्तकों का संग्रह भी है जैसे कि विलियम शेक्सपियर के कार्यों का सचित्र निरूपण, आलिफ़ लैला और उमर खय्याम की रुबाइयत के साथ-साथ नवाब वाजिद अली शाह के कथक नृत्य और ठुमरी संगीत के बारे में किताबें आदि।

भारतीय संग्रहालय, कोलकाता

भारतीय संग्रहालय (Indian Museum) भारत का सर्वश्रेष्ठ संग्रहालय है। इसमें प्राचीन वस्तुओं, युद्धसामग्री, गहने, कंकाल, ममी, जीवाश्म, तथा मुगल चित्र आदि का दुर्लभ संग्रह है। भारतीय संग्रहालय की व्युत्पत्ति एसियाटिक सोसाइटी बंगाल (Asiatic Society of Bengal) से हुई जिसकी स्थापना भाषाशास्त्री और सुप्रीम कोर्ट बंगाल के जज सर विलियम जोंस (Sir William Jones) ने सन 1784 में की थी। भारत में विलियम जोंस ने पूर्वी विषयों के अध्ययन में गंभीर रुचि प्रदर्शित की। उसने संस्कृत का अध्ययन किया और 1784 में "बंगाल एशियाटिक सोसाइटी" की स्थापना की जिससे भारत के इतिहास, पुरातत्व, विशेषकर साहित्य और विधिशास्त्र संबंधी अध्ययन की नींव पड़ी। यूरोप में उसी ने संस्कृत साहित्य की गरिमा सबसे पहले घोषित की। आपने यूरोपियन और संस्कृत भाषाओं में संबंध स्थापित किया और बताया कि यूरोपियन भाषाओं का मूल संस्कृत भाषा में निहित है। आपके द्वारा ही संयुक्त रूप से इन भाषाओं को इन्डो-यूरोपियन (Indo-European) भाषायें कहा गया।

सन् 1814 में भारतीय संग्रहालय की संस्थापना डॉ नथानियल वालिक (Dr Nathaniel Wallich) नामक डेनमार्क के वनस्पतिशास्त्री ने की थी। यह एशिया का सबसे पुराना और भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय है। इसमें विज्ञान और संस्कृति से संबंधित 6 सेक्शन हैं यथा इंडियन आर्ट, आर्किओलोजी, एन्थ्रोपोलोजी, जियोलोजी, जूलोजी और एकोनोमिक बॉटनी एवं इनकी 35 गैलरी हैं।

अलीपुर वन्य प्राणी उद्यान कोलकाता में सफ़ेद शेर

अलीपुर वन्य प्राणी उद्यान (Zoological Garden, Alipore): अलीपुर वन्य प्राणी उद्यान जिसे अलीपुर चिडियाघर या कोलकाता चिडियाघर के नाम से भी जाना जाता है भारत का सबसे पुराना प्राणी उद्यान है। इसकी स्थापना वर्ष 1875 में एडवर्ड VII (Edward VII) द्वारा की गई थी जो उस समय प्रिंस ऑफ वेल्स (Prince of Wales) थे। यह कोलकाता का एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। इसे अद्वैत नामक कछुए के नाम से भी जाना जाता है जो विश्व में किसी भी प्राणी से लम्बी आयु का था। निरीक्षण के समय 1981 में इसमें सफ़ेद शेर, टाइगोन, लिटिगोन और स्नो बीयर भी यहाँ की विशेषता थे।

काली मंदिर: सडर स्ट्रीट से 6 कि॰मी॰ दक्षिण में यह शानदार मंदिर कोलकाता की संरक्षक देवी काली को समर्पित है। काली का अर्थ है "काला"। काली की मूर्ति की जिह्वा खून से सनी है और यह नरमुंडों की माला पहने हुए हैं। काली, भगवान शिव की अर्धांगिनी, पार्वती का ही विनाशक रूप है। पुराने मंदिर के स्थान पर ही वर्तमान मंदिर 1809 में बना था। यह प्रात: 3.00 बजे से रात्रि 8.00 बजे तक खुलता है।

मार्बल पैलेस, कोलकाता

मार्बल पैलेस (Marble Palace, Kolkata): पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता का यह एक पर्यटन स्थल है। एम जी रोड पर स्थित इस पैलेस की समृद्धता देखते ही बनती है। 1800 ई. में यह पैलेस एक अमीर बंगाली जमींदार का आवास था। इसकी स्‍थापना 1835 ई. में राजा राजेंद्र मूलिक बहादुर ने की थी। यहां कुछ महत्वपूर्ण प्रतिमाएं और पेंटिंग हैं। सुंदर झूमर, यूरोपियन एंटीक, वेनेटियन ग्लास, पुराने पियानो और चीन के बने नीले गुलदान आपको उस समय के अमीरों की जीवनशैली की झलक देंगे।

फोर्ट विलियम कोलकाता 1828

फोर्ट विलियम (Fort William): फोर्ट विलियम कोलकाता में हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर बना एक किला है, जिसे ब्रिटिश राज के दौरान बनवाया गया था। इसे इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय (William III) के नाम पर बनवाया गया था। इसके सामने ही मैदान है, जो कि किले का ही भाग है और कलकत्ता का सबसे बड़ा शहरी पार्क है। चूंकि फोर्ट विलियम को अब भारतीय सेना के लिए उपयोग में लाया जाता है, यहां प्रवेश करने के लिए विशेष अनुमति लेनी होती है।

ईडन गार्डन्स: एक छोटे से तालाब में बर्मा का पेगोडा स्थापित किया गया है, जो इस गार्डन का विशेष आकर्षण है। यह स्थान स्थानीय जनता में भी लोकप्रिय है।

सेंट पॉल कैथेड्रल: यह चर्च शिल्पकला का अनूठा उदाहरण है, इसकी रंगीन कांच की खिड़कियां, भित्तिचित्र, ग्रांड-ऑल्टर, एक गॉथिक टावर दर्शनीय हैं। यह रोजाना प्रात: 9.00 बजे से दोपहर तक और सायं 3.00 बजे से 6.00 बजे तक खुलता है।

नाखोदा मस्जिद: लाल पत्थर से बनी इस विशाल मस्जिद का निर्माण 1926 में हुआ था, यहां 10,000 लोग आ सकते हैं।

पारसनाथ जैन मंदिर: 1867 में बना यह मंदिर वेनेटियन ग्लास मोजेक, पेरिस के झूमरों और ब्रूसेल्स, सोने का मुलम्मा चढ़ा गुंबद, रंगीन शीशों वाली खिड़कियां और दर्पण लगे खंबों से सजा है। यह रोजाना प्रात: 6.00 बजे से दोपहर तक और सायं 3.00 बजे से 7.00 बजे तक खुलता है।

बेलूर मठ: बेलूर मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है, इसकी स्थापना 1899 में स्वामी विवेकानंद ने की थी, जो रामकृष्ण के शिष्य थे। यहां 1938 में बना मंदिर हिंदु, मुस्लिम और इसाईशैलियों का मिश्रण है। यह अक्टूबर से मार्च केदौरान प्रात: 6.30 बजे से 11.30 बजे तक और सायं 3.30 बजे से 6.00 बजे तक तथा अप्रैल से सितंबर तक प्रात: 6.30 बजे से 11.30 बजे तक और सायं 4.00 बजे से 7.00 बजे तक खुलता है।

दक्षिणेश्वर काली मंदिर: हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित यह मां काली का मंदिर है, जहां श्री रामकृष्ण परमहंस एक पुजारी थे और जहां उन्हें सभी धर्मों में एकता लाने की अनुभूति हुई।

मदर टेरेसा होम्स: इस स्थान की यात्रा आपकी कोलकाता यात्रा को एक नया आयाम देगी। काली मंदिर के निकट स्थित यह स्थान सैंकड़ों बेघरों और "गरीबों में से भी गरीब लोगों" का घर है - जो मदर टेरेसा को उद्धृत करता है। आप अपने अंशदान से जरुरतमंदों की मदद कर सकते हैं।

बॉटनिकल गार्डन्स: कई एकड़ में फैली हरियाली, पौधों की दुर्लभ प्रजातियां, सुंदर खिले फूल, शांत वातावरण...यहां प्रकृ ति के साथ शाम गुजारने का एक सही मौका है। नदी के पश्चिमी ओर स्थित इस गार्डन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बरगद का पेड़ है, जो 10,000 वर्ग मीटर में फैला है, इसकी लगभग 420 शाखाएं हैं।

External links

References