Kshuramali

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Kshuramali (क्षुरमाली) was name of a sea mentioned in Shurparaka-Jataka visited by trader of Bharukachchha.

Variants

Origin

History

क्षुरमाली

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...क्षुरमाली (AS, p.250) 'शूर्पारक जातक' में वर्णित एक समुद्र का नाम है। इस समुद्र का वर्णन, जो अधिकांश में कल्पना रंजित है, इस प्रकार है- 'भरुकच्छापयातानं दणिजानंधनेसिनं, नवाय विप्पनट्टाय खुरमालीति युच्चतीति’ ('भरुकच्छात् प्रयातानां वणिजां धनैषिणाम्, नावा विप्रणष्टया क्षुरमालीत उच्यते') अर्थात् 'भरुकच्छ' या भड़ौंच से जहाज़ पर निकले हुए धनायी वणिकों को विदित हो कि इस समुद्र का नाम 'क्षुरमाली' है।

इससे पूर्व इसी संदर्भ में वणिक पोत का 'भृगुकच्छ' से चलकर चार मास तक समुद्र में यात्रा करने के पश्चात् क्षुरमाली समुद्र में पहुँचने का वर्णन है। इस संदर्भ में मनुष्य के समान नासिका वाली तथा छुरे के समान नासिका वाली मछलियों का पानी में डूबने-उतरने का वर्णन है। क्षुरमाली समुद्र में ही मूल्यवान हीरे की उत्पत्ति भी कही गई है। डॉ. मोतीचंद के मत में 'फ़ारस की खाड़ी' के

[p.251]: समुद्र को पाली जातकों में 'क्षुरमाल' या 'क्षुरमाली' कहा गया है, किंतु जातक का वर्णन काल्पनिक तथा अतिरंजित जान पड़ता है तथा प्राचीन काल में देश-देशांतर घूमने वाले नाविकों की रोमांच कथाओं पर आधारित प्रतीत होता है। जातक कथाओं के काल में, पाँचवी शती ई. 'भृगुकच्छ' अथवा 'भड़ौंच' के व्यापारीगण प्राय: 'यवद्वीप' (जावा) तथा उसके निकटवर्ती द्वीपों में आते-जाते रहते थे। शूर्पारक जातक में इसी मार्ग में पड़ने वाले समुद्रों का काल्पनिक एवं अतिरंजित वर्णन है। क्षुरमाली के अतिरिक्त इस संदर्भ में 'अग्निमाली', 'कुशमाल', 'नलमाली' और 'दधिमाली' आदि समुद्रों का भी रोमांचकारी वृत्तांत है।

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References