Kulak
Kulak (कुलक)/ Kulakia (कुलकिया)[1] Kulik (कुलिक) [2] is a gotra of Jats.[3] [4]
Origin
They are descendants of ancestor Kulika (कुलिक) of Nagavanshi. [5]
History
जाटों का शासन-विधान
ठाकुर देशराज [6] ने लिखा है... अब हमें यह विचार करना है कि प्राचीन भारत के वे खानदान जो जाटों में शामिल हैं उन्होंने कौन-कौन सी हुकूमतों को चलाया था।
कांभोज, कुंतीभोज और अवंती ये सब भौज्य पद्धति से शासन करते थे। भूमि में जो भी कुछ पैदा होता था उसका एक निश्चित अंश केंद्रीय सभा को देते थे। केंद्रीय सभा में परिवारों की ओर से कुलपति बैठते थे। यह सभा कुलक कहलाती थी। यह लोग राजस्व को कुआ बावड़ी खुदवाने, बाग लगाने और सेना रखने में खर्च करते थे। भोज लोगों की ही एक शाखा प्रमार कहलाने लगी थी। द्वारिका का जाति राष्ट्र भौज्य राज्य भी कहलाता था। कुछ लोग भौज्य के अर्थ संयुक्त शासन के भी करते हैं।
दलीप सिंह अहलावत[7] ने लिखा है....यौधेयों की कालान्तर में कई शाखायें भी हो गईं। कुलकिया शाखा के लोग अब अजीतगढ़ चूड़ी के पास मौजूद हैं। इस वंश में ढाका शाखा के भी अनेक गांव हैं जिनमें गांव ढानी जयपुर में, ढकौली, पटौली, औगटा, सहदपुर आदि मेरठ में, मिल्क, मानिपुर, छाचरी आदि जिला बिजनौर में सुप्रसिद्ध गांव हैं।....यौधेय के शाखागोत्र - 1. कुलकिया 2. ढाका ।
Notable persons
Distribution
External links
References
- ↑ Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.32,sn-354.
- ↑ Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.32,sn-363.
- ↑ Dr Pema Ram:Rajasthan Ke Jaton Ka Itihas, p.297
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. क-130
- ↑ Mahendra Singh Arya et al.: Adhunik Jat Itihas, Agra 1998, p. 233
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Itihas (Utpatti Aur Gaurav Khand)/Ashtam Parichhed,p.137-138
- ↑ जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृ.-199
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