Lalana
Lalana (ललाना) is a Village in Nohar tehsil of District Hanumangarh in the Indian state of Rajasthan. Following villages in Nohar tahsil are after Lalana:
Jat Gotras
- Kadwasra
- Kasnia
- Khichar - Came from Bachharara
- Bijrania
History
ललाना के खीचड़
बछरारा से खीचड़ों का प्रस्थान: मालाराम जी के मैनास गाँव बसाने के 15 पीढ़ी बाद उनके वंशज ने बछरारा गाँव बसाया। बछरारा गाँव के खीचड़ गोत्र के कुछ परिवार गाँव ललाना (नोहर, हनुमानगढ़) में आकर बस गए। ललाना से पूर्णराम जी हुये जिनके एक ही लड़का कुसलाराम था। कुसलाराम के 4 पुत्र थे, जो खड़ियाल (तह:एलनाबाद, सिरसा) में कुछ समय रहे। घगगर नदी तब खुली बहती थी और बाढ़ आने पर गाँव डूबता था। तब उन्होने ऊंचाई पर नीमला गाँव (तह:एलनाबाद) बसाया।
ललाना (नोहर, हनुमानगढ़) के खीचड़: पूर्णराम के पुत्र कुसला राम तब ललाना (नोहर, हनुमानगढ़) में आ बसे थे। कुसला राम के एक ही लड़का हुया केसरराम। केसरराम के 4 पुत्र थे - (1) बखता राम (2) खेता राम, (3) तारू राम, (4) बींझा राम। चारों भाईयों की सन्तानें नीमला मसानिया आ गए। केसर राम जी के चार पुत्रों में से बड़े बखता राम सलेमगढ़ मसानी चले गए। इनमें से कुछ रामपुरिया, नीमला, टिब्बी आदि में बस गए। बखता राम संवत 1913 में गाँव मसानिया (बाद में यह सलेमगढ़ मसानी बना) आ गए। कुछ परिवार टिब्बी, झमर में बसे। वर्ष 1857 ई में बखताराम गाँव मसानिया में रहते थे। गजेटीर में इन 45 गाँव का नाम भी मसानिया अंकित था। वर्तमान सिरसा गज़ट के अनुसार भी यह गाँव मसानिया ही था। जो सिरसा खंड जिला हिसार में था। 45 गाँव अंग्रेजों को देने के बदले टिबबी क्षेत्र के 45 गाँव बीकानेर स्टेट को दिये गये।
बखता राम 1857 ई में मसानिया गाँव में बस्ते थे। बखताराम के पुत्र सुखा राम हुये। दूसरे पुत्र मोहक राम छोटी उम्र में ही फौत हो गए। सूखा राम के पुत्र हुये जीवन राम व जेठा राम। जेठा राम की सन्तानें नथवानिया गाँव चली गई, जहां इनका ननिहाल था। जीवन राम के पुत्र जेठा राम व नारायण राम हुये, जो नथवानिया गाँव में रहते हैं। नारायण राम के दो पुत्र हुये लूणा राम (जन्म:1943-मृत्यु:20.2.2004) (सलेमगढ़)।
लूणा राम के 3 पुत्र हुये 1. कृष्णकुमार - इनके पुत्र हुये आदित्य, 2. महेंद्र - इनके पुत्र हुये सुभाष, 3. ओमप्रकाश - इनके पुत्र हुये संदीप
स्वतन्त्रता आंदोलन
[पृ.19]: आर्य की पुलिस सेवा से बर्खास्तगी का समाचार जनता में आग की तरह फैल गया। जनता ने कुंभाराम आर्य को अपनी पलकों पर बिठा लिया। किसान समुदाय ने आर्य को पग-पग पर सहयोग देने का वचन दिया। कुंभाराम अब पूर्ण रूप से राजनीति के मंच पर आ गए।
[पृ.20]: प्रजापरिषद का प्रचार प्रसार करने के एवज में आर्य को सरकार ने जेल में डाल दिया। कुछ समय बाद जेल से मुक्त होने पर उनके हाथों में परिषद की कमान आ गई। सरकार से दो-दो हाथ करने का मानस बना लिया। आपने गांव-गांव ढाणी-ढाणी जाकर अलख जगाने का बीड़ा उठाया। अलख जगाने के लिए सर्वप्रथम नोहर तहसील के ललाना गांव में मीटिंग बुलाई गई। सैकड़ों किसान इस मीटिंग में आए। कुंभाराम का साथ देने की सौगंध खाई। [1]
Notable persons
External links
References
- ↑ मरू माणक कुम्भाराम: लेखक मनसुख रणवां, कल्पना पब्लिकेशन जयपुर, 2006, ISBN 81-89691-08-7, पृ.19-22
- ↑ Jat Gatha, September-2015,p. 15
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