Rana Udaybhanu Singh
Author:Laxman Burdak, IFS (Retd.), Jaipur |
Rana Udaybhanu Singh (born 1893, died 1954) was the Jat ruler of princely state of Dholpur (1911 - 1949) in Rajasthan, India. He was from Bamraulia gotra of Jats.
Life
He was born on 12th December 1893 and succeeded Rana Ram Singh in 1911 after his death. He was younger brother of Rana Ram Singh, who had no issue. He got full rights on 9 October 1913.
He married in 1911 with the sister of the Rais of Badrukhan and had issue. He was educated at Mayo College, Ajmer; later joined the Imperial Cadet Corps at Dehradun. He received G.C.I.E. [cr.1931], K.C.S.I. [cr.1918], K.C.V.O. [cr.1922. He was Honorary Colonel of 1/143rd Narsingh (Dholpur) Infantry.
Last ruler of Dholpur
He was the last ruler of Dholpur. After India's independence in 1947, Maharaja Rana Udaybhan Singh acceded his State into the Union of India on 7 April 1949. Dholpur was merged with three neighbouring states, Bharatpur, Alwar and Karauli to form the Matsya Union within the Union of India, and was later merged with several other such unions to form the present-day state of Rajasthan. He passed away on 22nd October 1954.
महाराज राणा उदयभानसिंह (r.1911- 1948)
ठाकुर देशराज लिखते हैं कि श्रीमान् जी का जन्म सन् 1901 ई. हुआ था। आप महाराज रामसिंहजी के छोटे भ्राता थे। 1911 ई. में ज्येष्ठ भ्राता के स्वर्गवास होने पर गद्दी पर बैठे। सन् 1913 ई. में राज्यधिकार प्राप्त हुए। आपने केडिट कोर में भी शिक्षा पाई थी। महाराज राणा बहादुर का उपाधि सहित पूरा नाम ‘रईस उद्दौला पिहदार उल्मल्क महाराजधिराज श्री सवाई महाराज राणा लेफ्टीनेण्ट कर्नल सर उदयभानसिंह लोकेन्द्र बहादुर दिलेरगंज जयदेव के. सी. एस. आई., के, सी. बी. ओ.’ था। यह अभिमान की बात थी कि भरतपुर की भांति महाराज राणा धौलपुर भी सरकार अंग्रजों को कोई खिराज नहीं देते थे। महाराज राणाओं के लिए 17 तोपों की सलामी थी। श्रीमान् जी जातिय कार्यों में भी खूब दिलचस्पी लेते थे। मेरठ में जिस समय जाट महासभा का वार्षिक अधिवेशन हुआ था, श्रीमान् जी ने उसका सभापतित्व ग्रहण करके अपने जातीय प्रेम का परिचय दिया था। लखावटी का प्रसिद्ध जाट कालेज आप ही के नाम पर प्रसिद्ध है। आप उसके संरक्षक हैं। सन् 1930 ई. में देहली में होने वाले जाट महासभा को महोत्सव में पधार कर आपने अपने हृदय-द्वार को खोलकर बता दिया था “मैं अपनी जाति की जितनी भी सेवा करूंगा उतना ही मुझे आनन्द प्राप्त होगा।” भरतपुर की भलाई के मामलात में महाराज श्री कृष्णसिंह के पश्चात् आपने पूर्ण दिलचस्पी ली थी। पहली ‘गोलमेज कान्फ्रेन्स’ में शामिल होकर देश और गवर्नमेण्ट के लिए उनके हृदय में जो सद्भाव हैं, उन्हें भली-भांति प्रकट किया था। इस बात पर उन्हें अभिमान था कि उनका जन्म उस महान् जाट जाति में हुआ है जो सदैव उन्नत और उदार विचारों वाली सिद्ध हुई है। पिछले वर्ष आप नरेन्द्र-मंडल के प्रो. चांसलर नियुक्त हुए हैं। यह बात आपकी सर्वप्रियता का उदाहरण है। आप एक तपस्वी और धर्मिष्ठ नरेश हैं। ईश्वर-वन्दना, संत-सेवा, मिलनसारी और मृदुभाषण आपके सर्वोत्कृष्ट गुण हैं। अन्याय और पक्षपात आपके राज्य में उस समय तक प्रवेश नहीं कर सका था। प्रजा न कर-भार से दुखित थी और न बेगार की मार से पीड़ित।
जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठान्त-693
राजस्थान की अन्य रियासतों की जब हम प्रजा के सुख की दृष्टि से तुलना करते हैं तो धौलपुर हमें सर्वश्रेष्ठ दिखाई देता है। शारीरिक स्वास्थ्य के अनुपात से सभी राज्यों की प्रजा से धौलपुर की प्रजा श्रेष्ठ दिखलाई पड़ती थी। अधिकांश भारतीय-नरेश शराबी, कबाबी और विलासी बने हुए थे। महाराज राणा एकदम इन दुर्व्यसनों से कोसों दूर थे। वास्तव में धौलपुर के महाराज राणा “तपेश्वर और राजेश्वर” का संमिश्रण थे। यदि हम यह कह दें कि वे कलियुग के ‘जनकराज विदेह’ हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
बिड़ला मंदिर की नींव रखी
Further reading
- Dr. Ajay Kumar Agnihotri (1985) : "Gohad ke jaton ka Itihas" (Hindi)
- Dr. Natthan Singh (2004) : "Jat Itihas"
- Jat Samaj, Agra: October-November 2004
- Dr. Natthan Singh (2005): Sujas Prabandh (Gohad ke Shasakon ki Veer gatha – by Poet Nathan), Jat Veer Prakashan Gwalior
Gallery
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Maharaja Uday Bhan Singh of Dholpur
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A Hunting Tiger Party during the visit of Maharaj Rana Udai Bhanu Singh of Dholpur and Nawab of Rampur to the Maharaja of Gwalior. In this picture the center figure behind the tiger is the Maharaj Rana Udai Bhanu Singh of Dholpur . Visitors to Gwalior in Raj day's were often drawn by the excellent tiger hunting.
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Maharaja Rana Udai Bhan Singh of Dholpur
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Kunwar Nishant Singh Panwar of Maulaheri
References
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