Mana Ram Jat

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Shaheed ManaRam Jat

Shahid Mana Ram Jat (Berwal) (b.1.7.1988-14.6.2014) from village Basni Lunkaran, tahsil Riyan Bari, district Nagaur, Rajasthan, became Martyr on 14.06.2014 in Nagaur while performing duty in Delhi Traffic Police. [1]

परिचय

मानाराम जाट का जन्म 1 जुलाई 1988 को नागौर जिले की रियांबडी तहसिल के गांव बासनी लूणकरण के बैरवाल गौत्री जाट किसान परिवार में हुआ । आपके पिताजी का नाम श्री गैनाराम जी व माताजी का नाम धापूदेवी है । चार भाई बहनों में आप सबसे बडे थे । आपकी दोनों बहनें अभी शिक्षण कर रही है तथा सबसे छोटा भाई सन् 2007 में ट्रैक्टर से गिरकर काल का ग्रास बन गया । आपका विवाह सन् 2007 में कालणी ग्राम की संजू देवी के साथ संपन्न हुआ । सन् 2011 में आपको पुत्ररत्न की प्राप्ती हुई । आपके पुत्र का नाम मयंक चौधरी है ।

शिक्षा

अपनी पूरी शिक्षा मौसी दाखूदेवी के घर डांगावास में भाईयों बलदेव व सुरेश देहडू के साथ रहकर की थी । आपने प्रारंभिक शिक्षा राज.उ.प्रा.विधालय, डांगावास से पूर्ण की थी व राज.उच्च मा.विधालय, मेडता सिटी से हायर सेकंडरी उतीर्ण की । इस दौरान NCC में भी सम्मिलित रहे तथा खो-खो के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे । तत्पश्चात उच्च शिक्षा हेतु राजकीय महाविद्यालय, मेडता में प्रवेश लिया व स्नातक पूर्ण की ।

दिल्ली पुलिस में चयन

पढाई में आप शुरू से ही अव्वल रहे थे । साल 2007 में अपने छोटे भाई को खो देने पर पूरा परिवार जैसे टूट सा गया था । शहीद मानाराम भी अपने परिवार की जिम्मेदारियाँ वहन करने में पिताजी के साथ लग गया । पढाई के साथ साथ घर के कार्यों में परिवार वालों का हाथ बंटाने लगा । साल 2010 में मानाराम का चयन दिल्ली पुलिस में हो गया । इसी के साथ पूरे परिवार में फिर से खुशियाँ भर आई । 18 जुलाई 2010 को शहीद मानाराम ने दिल्ली पुलिस में नियुक्ति पत्र ग्रहण किया ।

शहादत

On 14.06.2014 (Saturday) Constable Mana Ram, No. 1310-T (28108215) was deployed at Zakhira Intersection in Delhi for traffic regulation duty. A car was diverted from No Entry on flyover. Car driver deliberated the accident and dragged the Constable Mana Ram about 150 Meters while trying to derail the Constable from Car Bonnet. Later he succumbed to his injury in the Hospital. In this way, the Constable Mana Ram, No. 1310-T (28108215) laid his life in the line of duty.

खुशियाँ तो जैसे भगवान ने इस परिवार के भाग्य में लिखी ही नहीं थी ।

हर खुशी अपने साथ एक झकझौर देने वाला हादसा भी ला रही थी ।


वर्ष 2011 में आपको पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई । ट्रैफिक पुलिस की इतनी व्यस्त सेवा देने के बावजूद भी अपने परिवार से मिलने जरूर आते थे । शहादत वाले दिन दिनांक 14 जून, 2014 को आप "जकीरा फ्लाई ऑवर" के नीचे अपना कृत्तव्य निभा रहे थे । सांय लगभग 07:45 पर एक सफेद स्वीफ्ट गाड़ी तेज गति में आयी । शहीद मानाराम ने भागकर गाड़ी को रूकवाने का प्रयास किया मगर नशे में चूर व दौलत की चकाचोंध में अँधे उन युवाओं ने गाड़ी को मानाराम के उपर चडा दी और मानाराम बोनट के नीचे फँस गये । फिर तो हैवानों ने क्रूरता की हदें ही पार करदी और मानाराम को लगभग 50 मीटर तक घसीट के ले गये । मानाराम जाट मौके पर ही शहीद हो गये । इस घटना ने दिल्ली सहित समस्त देशवासियों का ह्रदय हिला के रख दिया । इस तरह एक गरीब जाट किसान परिवार ने अपना कुलदीपक तथा दिल्ली पुलिस ने अपना एक सच्चा वीर, बहादुर व कर्तव्य परायण सिपाही गंवा दिया ।

शहादत के पश्चात

15 जून को शहीद मानाराम के शव को दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर रखकर श्रृद्धांजलि दी गई । आला पुलिस अधिकारियों द्वारा वीर शहीद को पुष्पचक्र अर्पित किये गये तथा सलामी दी गई । तत्पश्चात 1 TA व 25 पुलिसकर्मियों के साथ उनके शव को उनके गांव बासनी लाया गया । 16 जून प्रात: 09:45 पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया । पादूकलां SHO श्रीमति सुशीला, रियांबडी SDM सहित आसपास के गाँवों के सैंकड़ों लोग शहीद मानाराम जाट को अंतिम विदाई देने पहुँचें । दिल्ली पुलिस द्वारा शहीद के परिवार को 1 करोड़ की सहायता राशि प्रदान की गई । मगर अफसोस कि राजस्थान सरकार अभी तक मौन है ।

मित्रों की जुबानी

शहीद मानाराम जाट के साथ दिल्ली पुलिस में कार्यरत मित्र रामलाल लटियाल, अशोक छाबा व सुरेन्द्र कमेडिया बताते है कि - "मानाराम बेहद खुशमिजाज इंसान था । वह अक्सर कहता था कि हम खुशनसीब है जो जल्दी नौकरी लग गये और घर परिवार की जिम्मेदारियाँ उठा ली । वह कहता था कि जल्द ही बहनों का रिश्ता करना है और शादी के लिए पैसों की बचत करनी है । हम सभी पुलिस वालों के लिए एक आदर्श बनकर दिखायेंगे ।"

उनके दोस्त बताते है कि मानाराम के बिना दिल्ली सुनी सी लगने लगी है । हर चौराहे पर बस उनकी तस्वीर नजर आती हैं ।

"जिंदगी को शहादत में लपेटकर, खो गये हो जाने कहां,

पावन नमन आपकी बहादुरी को, दुआ है ना भूले जहां ।"

शहीद मानाराम जाट की शहादत को नमन..

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लेखक

संदर्भ

  1. Jat Gatha, January-2016,p.18

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