Manipur
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Manipur (मणिपुर) is a state in northeastern India, with the city of Imphal as its capital.
Variants
- Manipura मणिपुर (AS, p.695)
- Manimayipuri (मणिमयीपुरी) Ramayana (7.23.5)
- Maniman (मणिमान्) Mahabharata (I.61.42), (I.177.7), (II.9.9),
- Manimana (मणिमान)
Location
It is bounded by the Indian states of Nagaland to the north, Mizoram to the south, and Assam to the west; Myanmar (Sagaing Region and Chin State) lies to its east.
History
Maniman (मणिमान्) Mahabharata (I.61.42), (I.177.7), (II.9.9),
Adi Parva, Mahabharata/Book I Chapter 61 gives genealogy of the Danavas, Asuras, Kauravas, Pandavas, Gandharvas, Apsaras, Rakshasas. Manimana (मणिमान) is listed in (I.61.42). [1]...And, O king, that great Asura who was known as Vritra became on earth the royal sage known by the name of Manimana.
Adi Parva, Mahabharata/Book I Chapter 177 mentions Kshatriyas who came on Swayamvara of Draupadi. Manimana (मणिमान) is listed in verse (I.177.7).[2]... Vrihanta, Manimana, Dandadhara, Sahadeva, Jayatsena, Meghasandhi, Magadha...
Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 9 mentions Kings who attended Sabha of Varuna. Manimana (मणिमान) is listed in (II.9.9). [3]....the Nagas called Kamvala and Aswatara; and Dhritarashtra and Valahaka; Manimana and Kundadhara and Karkotaka and Dhananjaya...
मणिपुर
विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...मणिपुर, असम, (AS, p.695): भारत की पूर्वी सीमा पर स्थित अति प्राचीन स्थान. वाल्मीकि उत्तर 23,5 में शायद इसी को मणिमयीपुरी कहा गया है. यहां नागों की स्थिति बताई गई है—‘ स तु भोगवतीं गत्वा पुरीं वासुकिपालिताम्, कृत्वा नागान्वशे हृष्टो ययौ मणिमयीं पुरीम्’. [5]
मणिपुर का राज्य महाभारत के समय में भी था. वहां संभवत इस स्थान को ही मणिमान् कहा गया है. नागकन्या उलूपी जिससे अर्जुन का विवाह हुआ था और उसका पुत्र बब्रुवाहन नाग देश में रहते थे. किंवदंती में इसे मणिपुर का प्रदेश माना जाता है. आज भी मणिपुर के आदिवासी नागा लोग ही हैं. 1714 ई. से मणिपुर का ज्ञात [p.696] इतिहास प्रारंभ होता है. इससे पूर्व यह प्रदेश छोटे छोटे कबीलों में बटा हुआ था जिन पर नागा सरदारों का प्रभुत्व था. इस वर्ष पामबीह नामक नागा ने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया और पूरे प्रदेश पर अपना अधिकार स्थापित किया. इसने अपना नाम गरीबनिवाज रखा था. यही वर्तमान मणिपुर का सर्वप्रथम राजा माना जाता है. इसने ब्रह्मदेश के कुछ क्षेत्र जीतकर मणिपुर में मिला लिए. इसके पश्चात यहां के राजा जयसिंह हुए. इनके समय में मणिपुर पर ब्रह्मदेश का असफल आक्रमण हुआ. 1824 ई. में मणिपुर पर एक बार ब्रह्मदेश के राजा ने आक्रमण किया किंतु अंग्रेजी सेना की सहायता से उसे विफल बना दिया गया. इस समय मणिपुर में गंभीर सिंह का राज्य था. इनकी मृत्यु 1834 ई. में हो गई और नरसिंह देव गद्दी पर बैठे. इन्होंने अंग्रेजों के आदेश से ब्रह्मदेश से संधि कर ली और कूबो की घाटी लौटा दी . 1851 ई. में चंद्रकीर्ति सिंह को अंग्रेजों ने मणिपुर का राजा बनाया. जिसने 1879 ई. में अंग्रेजों की नागाओं के विरुद्ध युद्ध में सहायता की. लार्ड लैंसडाउन के समय में अंग्रेजों और मणिपुर के शासक टिकेंद्र जीत सिंह में शत्रुता के कारण युद्ध हुआ जिसमें मणिपुर की पराजय हुई और तत्पश्चात यहां पूरी तरह से अंग्रेजी सत्ता बस्तियां हैं. उत्तरी भारत में नरभक्षी नागा और दक्षिण में कुर्की लोग रहते हैं. मणिपुर प्राचीन काल से अपने विशिष्ट लोक नृत्य के लिए प्रसिद्ध रहा है.
मणिपुर परिचय
भारत का एक पूर्वी राज्य है। मणिपुर राज्य की राजधानी इंफाल है। मणिपुर राज्य के उत्तर और दक्षिण में मिज़ोरम, पश्चिम में असम, और पूर्व में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से म्यांमार लगा हुआ है। मणिपुर का क्षेत्रफल 22,347 वर्ग किमी है। मेइती जनजाति, जो घाटी क्षेत्र में ही रहते हैं, वे ही यहाँ के मूल निवासी हैं। इनकी भाषा मेइतिलोन है। इसी भाषा को मणिपुरी भाषा कहते हैं। यह भाषा 1992 में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित की गई। यहाँ के पर्वतीय भाग में नागा व कुकी जनजाति के लोग निवास करते हैं। मणिपुरी बहुत ही संवेदनशील सीमावर्ती राज्य है। मणि का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषण’ है। अत: मणिपुर का अर्थ 'आभूषण की भूमि' है। मणिपुर में प्राकृतिक संसाधनों का प्रचुर भंडार है। यहाँ की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यहाँ जल-प्रपात है, रंग-बिरंगे फूलों वाली वनस्पति हैं। यहाँ पर कुछ दुर्लभ वनस्पतियां और जीव जंतु भी पाये जाते हैं। घने जंगल हैं, स्वच्छ जल से युक्त नदियां हैं, पर्वतों पर मनोरम प्राकृतिक सुन्दरता है।
इतिहास: ईस्वी युग के प्रारंभ होने के पहले से ही मणिपुर का लंबा और शानदार इतिहास है। यहाँ के राजवंशों का लिखित इतिहास सन् 33 ई. में पखंगबा के राज्याभिषेक के साथ मिलता है। उसके बाद अनेक राजाओं ने मणिपुर पर शासन किया। मणिपुर की स्वातंत्रता और संप्रभुता 19वीं सदी के आरंभ तक बनी रही। उसके बाद सात वर्ष (1819 से 1825 तक) बर्मी शासकों ने यहाँ पर कब्जां करके शासन किया। 1891 में मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया और 1947 में देश के साथ स्व तंत्र हुआ। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्यक आयुक्त के अधीन भारतीय संघ के भाग ‘सी’ के राज्यक के रूप में सम्मिलित हुआ। कालांतर में एक प्रादेशिक परिषद का गठन किया गया जिसमें 30 सदस्य चयन के द्वारा और दो सदस्यि मनोनीत थे। इसके पश्चात् 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अधीन 30 सदस्य चयन द्वारा और तीन मनोनीत सदस्यों की विधानसभा स्थापित की गई। 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का पद मुख्यी आयुक्त स्थान पर उपराज्यंपाल कर दिया गया। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य की श्रेणी मिली और 60 निर्वाचित सदस्योंग की विधानसभा का गठन किया गया। इस विधानसभा में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए 19 सीट आरक्षित हैं। मणिपुर से लोकसभा के दो और राज्यू सभा का एक प्रतिनिधि है।
भूगोल: भारत के पूर्वी सिरे पर मणिपुर राज्य स्थित है। इसके पूर्व में म्यां मार (बर्मा) और उत्तर में नागालैंड राज्यर है, पश्चिम में असम राज्यि और दक्षिण में मिज़ोरम राज्यण है। मणिपुर का क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किलोमीटर है। भौगोलिक रूप से मणिपुर के दो भाग हैं, पहाडियां और घाटियाँ। घाटी मध्यू में है और उसके चारों तरफ पहाडियां हैं। ये पहाडियां राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 9/10 भाग हैं। मणिपुर की घाटी समुद्र के तल से लगभग 790 मीटर ऊपर है। यह पर्वतीय शृंखला उत्तर में ऊंची है और धीरे धीरे मणिपुर के दक्षिणी हिस्सेड में पहुंचने पर यह कम ऊंची रह जाती है। इससे घाटी में दक्षिण की ओर ढलान का निर्माण होता है।
संदर्भ: भारतकोश-मणिपुर
External links
References
- ↑ 42 वृत्र इत्य अभिविख्यातॊ यस तु राजन महासुरः, मणिमान नाम राजर्षिः स बभूव नराधिपः (I.61.42)
- ↑ 7 बृहन्तॊ मणिमांश चैव दण्डधारश च वीर्यवान, सहदेवॊ जयत्सेनॊ मेघसंधिश च मागधः (I.177.7)
- ↑ कम्बलाश्वतरौ नागौ धृतराष्ट्र बलाहकौ, मणिमान कुण्डलधरः कर्कॊटक धनंजयौ (II.9.9)
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.695
- ↑ रामायणम्/उत्तरकाण्डम्,23.5