Matanhail
Matanhail (मातनहेल) is a large village located about 25 kilometres West of Jhajjar city, in Jhajjar district of Haryana. It is also a tehsil of Jhajjar district,
Founder
Jat Gotras
List of villages under Matanhail tahsil
Akehri Madanpur (अकेहड़ी मदनपुर), Amdal Shahpur (अमदल शाहपुर) Bahu Matanhail (बहु/ बाहु), Bazidpur Tappa Birohar (बाजीतपुर टप्पा बिरहोड़) Bhambulia (बम्बुलिया) Bhindawas (भिंडवास/ भिंडावास), Bilochpura (बिलोचपुरा), Birohar (बिरहोड़/ बिरोहड़), Chadwana (चढवाना), Chhuchhakwas (बीड़ छुछकवास), Dhalanwas (ढलानवास), Goriya (गौरिया) Islamgarh (इस्लामगढ़), Jhamri (झामरी), Jharli (झाड़ली), Kaliyawas (कालियावास), Khachroli (खाचरौली), Khanpur Kalan (खानपुर कलां), Khanpur Khurd (खानपुर खुर्द), Khaparwas (खापड़वास), Khera Tharu (खेड़ा थरू), Khetawas (खेतावास), Khorda (खोरड़ा), Koyalpuri (कोयलपुरी), Maliawas (मालियावास), Mankawas (मनकावास), Maraut (मारौत), Matanhail (मातनहेल), Mohanbari (मोहनबाड़ी), Mundsa (मुंडसा), Noganwa (नोगावां), Redhuwas (रेढुवास) Ruriawas (रुड़ियावास) Sasroli (सासरौली), Sehlanga (सेहलंगा), Shahjapur (शांहजहापुर), Sunderheti (सुन्दरहेटी),
History
Sainik School to be opened in Matanhel
Notable persons
- Amir Singh Suhag - Freedom Fighter (from Indian Army - pre-Independence days). रास्ते में जहाज में जवानों को नं० 6 रिसाला के एक सवार अमीरसिंह सुहाग, गांव मातनहेल जि० रोहतक ने देश की आजादी प्राप्ति एवं अंग्रेजों के विरुद्ध भड़कानेवाले भाषण दिये। यह भी निश्चय किया गया कि कराची की बन्दरगाह पर एक अंग्रेजी हैट (Hat) को इंग्लैंड की ओर ठोकर मारी जायेगी और सब बोलेंगे कि “अंग्रेज भारत से इंग्लैंड जाओ।” कराची की बन्दरगाह पर इन सैनिकों का भारी स्वागत तथा खाने का प्रबन्ध किया गया था। परन्तु जहाज यात्रा में ही अंग्रेज अफसरों को इन सब बातों की सूचना मिल गई थी। अतः उन्होंने कराची में यह सन्देश भेज दिया। अतः वहां से सब स्वागत प्रबन्ध हटा दिये गये और 6 नम्बर रिसाला के लिए स्पैशल ट्रेन लगा दी गई। जहाज से सब सैनिक कराची बन्दरगाह पर उतर गये।
पूर्व योजना के अनुसार नं० 6 रिसाले के सवार अमीरसिंह जाट ने हैट को भूमि पर रखकर उसे इंग्लैंड की ओर जोर से ठोकर मारी और ऊंचे स्वर से कहा - “अंग्रेज भारत से इंग्लैंड जाओ।” इसके साथ ही 6 नम्बर रिसाले के जवानों तथा अन्य यूनिटों के सैनिकों ने भी जोर-जोर से यही शब्द कहे और जयहिन्द, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, भारत माता की जय आदि के नारे लगाये। कराची के नागरिक यह सुनकर दंग रह गये और अंग्रेजों को भारी ठेस पहुंची। नं० 6 रिसाले के सैनिकों को तुरन्त स्पेशल ट्रेन में बैठाकर फिरोजपुर रेजिमेंटल सैंटर में भेज दिया और उसी दिन सबको दो-दो महीने की छुट्टी पर भेज दिया गया।[3]
- Kulwant Chahar grandson of Late Sh. Sher Singh is living and working in Vienna, Austria(Europe).
- Vinod Suhag Grandson of Lt.Gangadat O.B.I.in World War 1.(1914-1919).
- Ram Pratap Jat (Sepoy ) became martyr of casualty on 13.03.1986 at Siachin Glacier. He was from Matanhail village in Jhajjar district of Haryana.
- Unit - 11 Jat Regiment
External links
References
- ↑ Jat Varna Mimansa (1910) by Pandit Amichandra Sharma, p.34
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 302)
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat (Page 872-873)
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