Mundhal Haridwar
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
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Mundhal (मुंढाल) is a village in Haridwar tahsil and district of Uttar Pradesh, India.
Origin
Variants
- Mundhal Haridwar (मुंढाल), जिला हरिद्वार, उत्तराखंड (AS, p.749)
- Mundhala (मुन्धाल)/(मुंधाल)
- Mundal (मुंडाल)[1]
History
मुंढाल
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...मुंढाल (AS, p.749), जिला सहारनपुर, उ.प्र. में हरिद्वार से 6 मील पूर्व में स्थित है. इसका वर्णन जनरल कनिंघम ने 1866 ई. में किया था. उस समय यहां एक देवालय था जो 20 फुट चौड़े चबूतरे पर अवस्थित था. इसके चतुर्दिक एक परिखा थी. चारों कोनों पर परिखा की समाप्ति शीर्षों के रूप में होती थी. दक्षिण में कलशवाहिनी की मूर्ति थी. पश्चिम में सिंह और उत्तर में मेष की मूर्तियां थीं. पूर्व का कोना खंडित अवस्था में था. देवालय के पास जंगल में अनेक शिलाएँ बिखरी हुई थी जो कभी स्तंभों के खंड सिरदल आदि रही होंगी. अब इस देवालय के स्थान पर वन विभाग का विश्रामगृह है जो उसी के पत्थरों से निर्मित है. इसमें मंदिर की कई मूर्तियां रखी हैं. इस स्थान से 4 मील पूर्व की ओर एक प्राचीन नगर के अवशेष हैं जिसका वर्तमान नाम पांडुवाला है. कनिंघम ने इस स्थान को ब्रहमपुर राज्य की राजधानी माना है जहां चीनी यात्री युवानच्वांग आया था. ( देखें पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट 1891)
फील्ड सत्यापन
इस स्थान का सत्यापन एस. चंदोला (मो:9412054439) सेवा निवृत प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तराखंड द्वारा निम्नानुसार किया गया है: यह स्थान राजाजी टाइगर रिजर्व में है. वास्तव में जो स्थान कनिंघम ने 1866 में मुन्धाल के नाम से दर्शाया है वह मुन्धाल के एकदम निकट मीठावली नामक फ़ॉरेस्ट रेस्ट हाउस है जिसका निर्माण सन 1889 में हुआ था जो बाद में गिर गया और मेरे CWLW के कार्यकाल में इसका पुराने नक़्शे पर जीर्णोद्धार किया गया। यह स्थान हरिद्वार से 6 मील पूर्व में स्थित है। मीठावली से 4 मील पूर्व की ओर पांडूवाला जल स्त्रोत है जिसे मैंने भी देखा है। पांडूवाला में एक प्राचीन शिव मंदिर भी है जो मैं नहीं देख पाया पर अब अवश्य देखूँगा। पांडूवाला जल स्त्रोत अब गर्मियों में सूख जाता है परंतु इस के ऊपर बड़े बड़े जल कुंड हैं जिससे लगता है कि यहाँ पर प्राचीन बसाहट रही हो। निकटवर्ती मुन्धाल में आज एक वन चोकी है जिस के निकट एक मंदिर है जहां स्थानीय मुसलमान गुज्जर भी पूजते हैं और यहाँ पर एक प्राचीन मूर्ति भी है।