Sabarmati

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(Redirected from Nandikunda)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Sabarmati (साबरमती नदी) is one of the major west-flowing rivers in India.[1]

Origin

It originates in the Aravalli Range of the Udaipur District of Rajasthan and meets the Gulf of Khambhat of Arabian Sea after travelling 371 km in a south-westerly direction across Rajasthan and Gujarat. 48 km of the river length is in Rajasthan, while 323 km is in Gujarat.[2]

Variants

Basin

The Sabarmati basin has a maximum length of 300 km. and maximum width of 105 km. The total catchment area of the basin is 21674 km2 out of which, 4124 km2 lies in Rajasthan State and the remaining 18550 km2 in Gujarat.[3]

Sabarmati river basin is situated in the mid-southern part of Rajasthan. To its east lie the Banas and Mahi Basins, to its north the Luni Basin and to its west the West Banas Basin. Its southern boundary is the border with Gujarat State. The Sabarmati river basin extends over parts of Udaipur, Sirohi, Pali and Dungarpur Districts. Orthographically, the western part of the Basin is marked by hilly terrain belonging to the Aravalli Range. East of the hills lies a narrow alluvial plain with a gentle eastward slope.[3]

Major tributaries

The major tributaries are the Sei, Wakal, Watrak, Shedhi, Harnav, Guhai, Hathmati, Khari, Meshwo, Mazam and Mohar.[4][5] Average annual water availability in the Sabarmati basin is 308 m3/capita, which is significantly lower than the national average of 1545 m3/capita.[6]

History

V. S. Agrawala[7] writes that Of the names ending with garta, Bahugarta and Chakragarta: Bahugarta refers most likely to the valley of Sabarmati Skt Śvabhramatī, literally the river of holes or pits (Śvabhra=hole, pit). Chakragarta refers to the region of Chakratirtha on the Gomati River near Dwarka in Prabhasa-kshetra.


The origin legend is that Shiva brought the goddess Ganga to Gujarat and that caused the Sabarmati to come into being.[8] The ancient name of sabarmati river is Bhogwa. Ahmedabad and Gandhinagar, the commercial and political capitals of Gujarat respectively, were established on the banks of Sabarmati river. The legend is that Sultan Ahmed Shah of Gujarat, resting on the bank of Sabarmati, was inspired by the courage of a rabbit chasing a dog to the extent of establishing Ahmedabad in 1411. The soils of the Sabarmati area on the banks of the river are rich.

During India's independence struggle, Mahatma Gandhi established Sabarmati Ashram as his home on the banks of this river.[9]

साबरमती

साबरमती (AS, p.953): प्राचीन नाम श्वभ्रमती और गिरिकर्णिका ( दे. श्वभ्र). [10]

श्वभ्र

विजयेन्द्र कुमार माथुर[11] ने लेख किया है ... श्वभर (AS, p.925) श्वभ्रमती या साबरमती नदी (गुजरात) का तटवर्ती प्रदेश. रुद्रदामन् के गिरनार अभिलेख में इस प्रदेश का रुद्रदामन द्वारा जीते जाने का वर्णन है--'स्ववीर्यार्जितानामनुरक्त सर्वप्रकृतीनां पूर्वापराकरा वन्त्यनूपनी वृदानर्त सुराष्ट्र श्वभ्रभरुकच्छ सिंधु सौवीर...'

श्वभ्रमती

विजयेन्द्र कुमार माथुर[12] ने लेख किया है ...श्वभ्रमती (AS, p.925) साबरमती नदी (गुजरात) का प्राचीन नाम है. यह नदी मीरपुर के निकट नंदिकुंड से निकल कर केम्बे की खाड़ी में गिरती है. श्वभ्रमती अथवा साबरमती के तटवर्ती प्रदेश का उल्लेख रुद्रदामन् के गिरनार अभिलेख में है.

साबरमती परिचय

साबरमती नदी पश्चिमी भारत की प्रमुख नदी है, जो पश्चिम भारत के गुजरात राज्य से होते हुए मेवाड़ की पहाड़ियों से निकलकर 200 मील बहने के उपरांत दक्षिण पश्चिम की ओर खंबात की खाड़ी में गिरती है। इसके द्वारा लगभग 9,500 वर्ग मील क्षेत्र का जल निकास होता है। साबरमती नदी कि लंबाई 371 किमी है।

नामकरण: इस नदी का नाम 'साबर' और 'हाथमती' नामक नदियों की धाराओं के मिलने के कारण 'साबरमती' पड़ा।

तीर्थस्थल: अहमदाबाद नगर के बीच से बहने वाली ‘साबरमती’ और इसके आसपास नदी के किनारे कई तीर्थस्थल हैं। साबरमती नदी के पश्चिमी तट पर स्थित गुजरात की राजधानी गांधीनगर का नाम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नाम पर रखा गया है। 649 वर्ग किमी. में फैले गांधीनगर को चंडीगढ़ के बाद भारत का दूसरा नियोजित शहर माना जाता है।

अहमदाबाद के पास साबरमती ने रेलवे-पुल से लेकर सरदार-पुल तक और उससे भी अधिक दक्षिण की ओर कई तीर्थ हैं। उनमें भी जहां चंद्रभागा नदी साबरमती से मिलती है वहां दधीचि ने तप किया था, इसलिए वह स्थान अधिक पवित्र माना जाता है। और आस-पास के लोगों ने इहलोक को छोड़कर परलोक जानेवाले वाले यात्रियों को अग्निदाह देकर विदा करने की जगह वही पसंद की है। इससे वह श्मशान घाट भी है। श्मशान के अधिपति दूधेश्वर महादेव वहां विराजमान हैं और इस महायात्रा की निगरानी करते हैं।

स्वरूप: सरस्वती नदी भारत की वर्तमान नदियों सतलज और साबरमती का संयुक्त रूप थी। सतलज तिब्बत से निकलती है और साबरमती गुजरात के बाद खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी की धारा को पंजाब के लुधियाना नगर से उत्तर-पश्चिम में लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित 'सिधवान' नामक स्थान पर मोड़ देकर 'बिआस नदी' में मिला दिया गया जिससे आगे की धारा सूख गयी है। यह धारा आगे चलकर चम्बल नदी की शाखा नदी बनास से पुष्ट होती है और वहीं अरावली पहाड़ियों से अब साबरमती नदी का आरम्भ माना जाता है।

महत्व: साबरमती गुजरात की विशेष लोकमाता है। आबू के परिसर से जिन नदियों का उद्गम होता है, उनमें यह ज्येष्ठ और श्रेष्ठ है। ‘साबरमती प्रवाह सनातन है-इसीलिए नित्य-नूतन है।’ गुजरात की नदियों में तीन-चार बड़ी नदियां आंतरप्रांतीय है। नर्मदा, तापी, माही - तीनों दूर-दूर से निकलकर पूर्व की ओर से आकर गुजरात में घुसती हैं और समुद्र में विलीन हो जाती हैं। साबरमती इनसे अलग है। अरावली पहाड़ में जन्म पाकर तथा अनेक नदियों को साथ में लेकर दक्षिण की ओर बहती हुई अंत में वह सागर से जा मिलती है। साबरमती के जैसी कुटुंब-वत्सल नदियां हमारे देश में भी अधिक नहीं है। साबरमती को विशेष रूप से 'गुर्जरी माता' कह सकते हैं। उसके किनारे गुजरात के आदिम निवासी सनातन काल से बसते आये हैं। उसके किनारे ब्राह्मणों ने तप किया है। राजपूतों ने कभी धर्म के लिए, तो बहुत बार अपनी बेवकूफी से भरी हुई ज़िद के लिए, वीर पुरषार्थ कर दिखाया है। वैश्यों ने इसके किनारे गांव और और शहर बसाकर गुजरात की समृद्धि बढ़ायी है और अब आधुनिक युग का अनुकरण करके शूद्रों ने भी साबरमती के किनारे मिलें चलाई हैं।

संदर्भ: भारतकोश-साबरमती नदी

गिरिकर्णिका

विजयेन्द्र कुमार माथुर[13] ने लेख किया है ...गिरिकर्णिका (AS, p.288) गुजरात की साबरमती नदी का प्राचीन नाम। (पद्मपुराण-उत्तर. 52) साबरमती का यह नाम सौंदर्य बोध की दृष्टि से बहुत ही सुन्दर है। पर्वत की कर्णिका या कान में पहनने की बाली के समान। यह नदी का विशेषण हमारे प्राचीन साहित्यकारों एवं भौगोलिकों की सौंदर्यमयी दृष्टि का अच्छा परिचायक है।

नंदीकुण्ड

नंदीकुण्ड (AS, p.472) - साबरमती (=साभ्रमती) नदी का उद्गम। (दे. पद्मपुराण-उत्तरखंड , 52). [14]

External links

References

  1. Water Year Book 2011-12: Mahi, Sabarmati & Other West Flowing Rivers (PDF). Gandhinagar: Central Water Commission. 2012. p. 14.
  2. Water Year Book 2011-12: Mahi, Sabarmati & Other West Flowing Rivers (PDF). Gandhinagar: Central Water Commission. 2012. p. 14.
  3. Integrated Hydrological Data Book (PDF). New Delhi: Central Water Commission. 2016. p. 1.
  4. Water Year Book 2011-12: Mahi, Sabarmati & Other West Flowing Rivers (PDF). Gandhinagar: Central Water Commission. 2012. p. 14.
  5. "Sabarmati River, INDIA". National River Conservation Directorate.
  6. Integrated Hydrological Data Book (PDF). New Delhi: Central Water Commission. 2016. p. 1.
  7. V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.66
  8. "The sacrificial maiden river". The Times of India. 2 September 2002.
  9. "Sabarmati Ashram History".
  10. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.953
  11. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.925
  12. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.925
  13. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.288
  14. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.472

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