Gomati River
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Gomati River (गोमती नदी) is a tributary of the Ganges. The Gomti, a monsoon- and groundwater-fed river, originates from Gomat Taal (formally known as Fulhaar jheel) near Madho Tanda, Bisalpur , Pilibhit, India. It extends 960 kms through Uttar Pradesh and meets the Ganges near Saidpur (Ghazipur), Kaithi, 27 kms from Varanasi district.
Origin
Variants
- Gomati River (गोमती नदी) (AS, p.301)
- Gomati (गॊमती) (Tirtha) (III.85.5)
- Gomti,
- Gumti
Jat clans
History
Course
It meets a small river, the Gaihaaee, 20 kms from its origin. The Gomti is a narrow stream until it reaches Mohammadi Kheri, a tehsil of Lakhimpur Kheri district (about 100 km from its origin), where it is joined by tributaries such as the Sukheta, Choha and Andhra Choha. The river is then well-defined, with the Kathina tributary joining it at Mailani and Sarayan joining it at a village in Sitapur district. A major tributary is the Sai River, which joins the Gomti near Jaunpur. The Markandey Mahadeo temple is at the confluence of the Gomti and the Ganges.
After 240 kms the Gomti enters Lucknow, meandering through the city for about 12 kms and supplying its water. In the Lucknow area, 25 city drains pour untreated sewage into the river. At the downstream end, the Gomti barrage converts the river into a lake.
In addition to Lucknow, Lakhimpur Kheri, Sultanpur Kerakat and Jaunpur are the most prominent of the 15 towns in the river's catchment basin. The river cuts the Sultanpur district and Jaunpur in half, becoming wider in the city.
Gomti in mythology
According to Hindu history, the river is the daughter of the Hindu sage Vashista; bathing in the Gomti on Ekadashi (the eleventh day of the two lunar phases of the Hindu calendar month) can wash away sins.[1] According to Bhagavata Purana one of Hinduism's major religious works, the Gomti is one of India's transcendental rivers.[1] The rare Gomti Chakra is found there.[2]
In Mahabharata
Gomati (गॊमती) (River)/(Tirtha) in Mahabharata (III.85.5), (VI.10.17),
Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 85 mentions sacred asylums, tirthas, mountans and regions of eastern country. Gomati (गॊमती) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.85.5). [3]....O Bharata is a place called Naimisha (नैमिष) (III.85.4) which is regarded by the celestials. There in that region are several sacred tirthas belonging to the gods. There also is the sacred and beautiful Gomati (गॊमती) (III.85.5) which is adored by celestial Rishis...
Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 10 describes geography and provinces of Bharatavarsha. Gomati (गॊमती) (River) is mentioned in Mahabharata (VI.10.17).[4]....of Gomati, and Dhutapapa and the large river called Gandaki, of Kausiki, and Nischitra, and Kirtya, and Nichita, and Lohatarini;...
गोमती नदी
विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...1. गोमती नदी (AS, p.301-302) = गोमल नदी : ऋग्वेद में वर्णित नदी-- 'त्वं सिंधो कुभयागोमतीं क्रुमुं मेहत्न्या सरथंयाभिरीयसे।' --ऋग्वेद, 10, 75-76 (नदी-सूक्त)। इस नदी का अभिज्ञान वर्तमान गोमल नदी से किया गया है जो सिंधु नदी में पश्चिम की ओर से आकर मिलती है (मैकडॉनल्ड- हिस्ट्री ऑफ संस्कृत लिटरेचर 1929,पृ. 140) कुभा (काबुल तथा [पृ.302]: क्रुमु गोमती के समान ही सिंध की पश्चिमी शाखाएं हैं.
2. गोमती नदी (AS, p.302) = उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध नदी है जो बीसलपुर (जिला पीलीभीत) की झील से निकलकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा में मिल जाती है. यह अवध की प्रसिद्ध नदी है.
रामायण काल में गोमती कौशल देश की सीमा के बाहर बहती थी क्योंकि वाल्मीकि अयोध्या कांड 49,8 में वर्णित है कि वनवास के लिए जाते समय श्रीराम ने गोमती को पार करने से पहले ही कौशल की सीमा को पार कर लिया था-- 'गत्वा तु सुचिरंकालं तत: शीतवहां नदीम्, गोमतीं गोयुतानूपामतरत्सागरंगमाम्'-- इस वर्णन में गोमती को शीतल जल वाली नदी बताया गया है तथा इसके तट पर गौवों के समूहों का उल्लेख है. बाल्मीकि ने गोमती को सागरगामिनी कहा है क्योंकि गंगा में मिलकर नदी अंततः सागर में ही गिरती है.
राम ने वन की यात्रा के समय प्रथम रात्रि तमसा तीर पर बिताकर अगले दिन गोमती और स्यंदिका (=सई) को पार किया था-- 'गोमतीं चाप्यतिक्रम्य राघव: शीघ्रगै हर्ये:, मयूरहंसाभिरुतांततार स्यंदिकां' अयोध्या कांड 49,11. रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने भी बन जाते समय भारत को गोमती पार करते बताया है-- 'तमसा प्रथम दिवस कारिवासू, दूसर गोमतितीर निवासू'-- अयोध्या कांड.
महाभारत में भी गोमती का उल्लेख है-- 'लंघती गोमती चैव संध्या त्रिसोतसी तथा, एताश्चान्याश्च राजेन्द्र सुतीर्था लोकविश्रुता:' सभा.9,23. 'ततस्तीर्थेषु पुण्येषु गोमत्या: पांडवानृप, कृताभिषेका: प्रददुर्गाश्च वित्तं च भारत'. वन पर्व है 94,2. इस उल्लेख में नैमिषारण्य (=नीमसार, जिला सीतापुर उत्तर प्रदेश) गोमती नदी के तट पर बताया है, जो वस्तुतः ठीक है. नैमिषारण्य का वन पर्व 94,1 में उल्लेख है. भीष्म पर्व 9,18 में अन्यान्य नदियों में गोमती का उल्लेख है-- 'गॊमतीं धूतपापां च वन्दनां च महानदीम'. श्रीमद् भागवत 5,19,18 में गोमती का वर्णन है-- 'दृषद्वती गोमती सरयू'.. विष्णु पुराण में गोमती तट को पवित्र कहा गया है तथा उसे तप: स्थली माना है-- 'सुरम्ये गोमती तीरे स तेपे परमं तप:' 1,15,11.
3. गोमती नदी (AS, p.303) = (काठियावाड़, गुजरात) द्वारका के निकट एक नदी. रणछोड़ जी का प्रसिद्ध मंदिर इसी के तट पर है. गोमती समुद्र-संगम पर नारायण का मंदिर है जो नदी के दूसरे तट पर स्थित है. कहते हैं कि यह नदी वास्तव में समुद्र के जल के तट के अंदर प्रविष्ट होने से बनी है. यहीं भगवान कृष्ण की राजधानी द्वारका बसी हुई थी. यह अब गोमती-द्वारका कहलाती है. दूसरी द्वारका को, जो द्वीप पर स्थित है, बेट द्वारका कहते हैं.
गोमती नदी परिचय
गोमती नदी उत्तर प्रदेश की नदी है, जो पीलीभीत के दलदली क्षेत्र से निकलती है। यहाँ से यह शाहजहाँपुर, खीरी, सीतापुर, लखनऊ, सुल्तानपुर, एवं जौनपुर आदि ज़िलों में बहती हुई गाजीपुर के निकट गंगा नदी में मिल जाती है। गोमती नदी का पुराणों में भी उल्लेख है। पौराणिक युग में यह विश्वास था कि वाराणसी क्षेत्र की सीमा गोमती से बरना तक थी। वाराणसी में पहुंचने के पहले गोमती का पाट सई नदी के मिलने से बढ़ जाता है।
गोमती उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से 20 मील पूर्व में गोमत ताल से निकलकर प्रारंभ में 12 मील तक एक खड्ड के रूप में बहती है। 35 मील के बाद इस नदी में जोकनाई नदी मिलती है, जहाँ से नदी स्थायी जल प्रवाह के रूप में प्रवाहित होती है। इसके बाद कुछ मील आगे नदी पर शाहजहाँपुर से खीरी जाने वाली सड़क पर 210 फुट लंबा पुल है। पुल के बाद नदी शाहजहाँपुर तथा खीरी के ज़िलों में मंद गति से बहती है तथा बहुत-सी सहायक नदियाँ और नाले इसमें मिलते हैं। मुहमदी से लखनऊ, जो नदी के उद्गम स्थान से 180 मील की दूरी पर है, तक नदी की चौड़ाई 100 फुट से 120 फुट तक है। यहाँ नदी के कगार भी पर्याप्त ऊँचे हैं। सीतापुर ज़िले में 'कथना' (90 मील लंबी) तथा 'सरायाना' (120 मील लंबी) नामक दो नदियाँ गोमती में मिलती हैं।
लखनऊ से आगे बढ़ने पर नदी बाराबंकी, सुल्तानपुर तथा जौनपुर ज़िलों से होकर बहती है। इन हिस्सों में नदी का मार्ग पर्याप्त टेढ़ा-मेढ़ा है। यहाँ चौड़ाई भी 200 फुट से 600 फुट तक हो जाती है। जौनपुर नगर में 16वीं शती के अंत में 654 फुट लंबा पत्थर का बना हुआ प्रसिद्ध शाही पुल है। जौनपुर के आगे इस नदी में प्रसिद्ध सई नदी मिलती है, फिर नदी वाराणसी से 20 मील उत्तर, पटना गाँव के पास गंगा नदी से मिलती है। सुल्तानपुर में प्रवेश करने के बाद से यह नदी वहाँ से 22 मील तक अर्थात् कैथी में गंगा से संगम होने तक ज़िले की उत्तरी सरहद बनाती है। गोमती नदी अपनी सहायक नदियों के साथ 7500 वर्ग क्षेत्र को लाभान्वित करती है। अतिवृष्टि के कारण इस नदी में बहुधा बाढ़ भी आती है। गोमती में यातायात नावों द्वारा मुहमदी तक होता है।
संदर्भ : भारतकोश-गोमती नदी
External links
References
- ↑ "Bhaktivedanta VedaBase: Srimad Bhagavatam 5.19.17-18". 4 January 2010.
- ↑ "Magic SEA Underground: Magical Uses Of Gomti Chakra (Cat's Eye Shell)"
- ↑ यत्र सा गॊमती पुण्या रम्या देवर्षिसेविता, यज्ञभूमिश च देवानां शामित्रं च विवस्वतः (III.85.5)
- ↑ गॊमतीं धूतपापां च वन्दनां च महानदीम, कौशिकीं त्रिदिवां कृत्यां विचित्रां लॊहतारिणीम (VI.10.17)
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.301