Sai River

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(Redirected from Syandika)
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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Sai River (सई नदी), also referred to as the Adi Ganga, is a tributary of the Gomati River in the Indian state of Uttar Pradesh.[1]

Variants

  • Sai River सई नदी = Syandika स्यंदिका (AS, p.930)
  • Syandika स्यंदिका नदी, पूर्वी उ.प्र. (p.1002)

Course

The river originates at the sprawling pond on the hilltop at Parsoi, a village in the Hardoi district. It separates the region of Lucknow from Unnao. The river flows south by Raebareli, comes into the region of Pratapgarh and Jaunpur through the west, then turns east and touches the Ghuisarnath Dham. From there it touches another Chandika Dham. Most of the districts of Uttar Pradesh are situated on the banks of the Sai River. Shani Dev Dham is located on banks of the Sai River at Parsadepur.

History

सई नदी

सई नदी (AS, p.930): उत्तर-पूर्व भारत मे बहने वाली एक नदी है। सई को अयोध्या के निकट बहने वाली नदी कहा गया है, जिसका वर्णन रामायण में है। सई गोमती नदी में गिरती है। इसका उद्गम कुमायूँ की पहाड़ियों में है। (दे. स्यंदिका)[2]

सई नदी परिचय

यह उत्तर प्रदेश प्रांत के रायबरेली, प्रतापगढ़, जौनपुर, उन्नाव और हरदोई जैसे कई प्रमुख ज़िलों में बहने वाली नदी है। सई गोमती की मुख्य सहायक नदी है।

उद्गम: हरदोई जनपद के भिजवान झील से निकली सई नदी 715 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद जौनपुर के राजघाट पर गोमती में मिल जाती है। पूरे सफर में सई नदी हरदोई, रायबरेली, प्रतापगढ़ और जौनपुर जनपद से होकर गुजरती है। इसमें जनपद रायबरेली में कतवारा नैया, महाराजगंज नैया, नसीराबाद नैया, बसदा, शोभ तथा प्रतापगढ़ में भैंसरा, लोनी, सकरनी, बकुलाही आदि छोटी नदियां मिलती हैं।

सहायक नदियाँ: सई की प्रमुख सहायक नदी बकुलाही है, जो कि उत्तर प्रदेश के रायबरेली, प्रतापगढ़ व इलाहाबाद में बहती है। लोनी और सकरनी जैसी छोटी नदियाँ सई की सहायक धाराएँ हैं।

संदर्भ: भारताकोश-सई नदी

स्यंदिका

स्यंदिका नदी (AS, p.1002): विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ... पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहने वाली सई नदी का प्राचीन नाम. यह गोमती की सहायक नदी है. इसका उद्गम भवाली से नीचे कुमायूं की पहाड़ियों में है. वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीरामचंद्र ने अयोध्या से वन जाते समय इस नदी को गोमती के पश्चात पार किया था--'गोमतीम् च अपि अतिक्रम्य राघवः शीघ्रगैः हयैः । मयूर हम्स अभिरुताम् ततार स्यन्दिकाम् नदीम्' वाल्मीकि अयोध्या. 49,11. इस नदी को पार करने के पश्चात, गंगा तट पर, शृंगवेरपुर से पहले, श्रीराम ने पीछे छूटे हुए अनेक जनपदों वाले और मनु द्वारा इक्ष्वाकु को प्रदत्त, समृद्ध कौशल जनपद की भूमि सीता को दिखाई -- 'स महीम् मनुना राज्ञा दत्ताम् इक्ष्वाकवे पुरा, स्फीताम् राष्ट्र आवृताम् रामः वैदेहीम् अन्वदर्शयत्' अयोध्या. 49,12. इस वर्णन से सूचित होता है कि स्यंदिका, कौशल जनपद की सीमा पर बहती थी (किंतु अयोध्या 49,8-9 से यह भी जान पड़ता है कि वेदश्रुति नामक नदी भी कौशल की सीमा के निकट बैठी थी). भरत की चित्रकूट यात्रा के संबंध में वाल्मीकि ने इस नदी का उल्लेख नहीं किया है. अध्यात्म रामायण में स्यंदिका का कोई वर्णन राम के वनगमन के संबंध में नहीं है. तुलसीदास ने रामचरितमानस, अयोध्या कांड 188 दोहे के आगे, सई का उल्लेख किया है, 'सई तीर बसि चले बिहाने, श्रृंगवेरपुर सब निअराने'. तुलसी ने गोमती और गंगा के बीच में सई का वर्णन किया है जो भौगोलिक दृष्टि से ठीक है और वाल्मीकिके उपर्युक्त स्यंदिका-विषयक उल्लेख से मिल जाता है. सई लगभग 230 मील लंबी नदी है. यह जौनपुर से लगभग 10 मील दूर गोमती में मिलती है.

External links

References

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