Neb Sarai

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Neb Sarai (नेब सराय) is a village in South Delhi. It is also known as Neemsera (नीमसरा).

Location

It is located in Mehrauli area and it is very to IGNOU (Indira Gandhi National Open University).

Origin

Founders

Balhara Jats

History

The meaning of the Neemsera is "The sarover which is surrounded by Neem trees".

According to legend, this village and Bahu Akbarpur, Bahu Jamalpur are founded by three brothers. They originally belonged to present-day Dadri in Haryana. When they stopped at Bahu Akbarpur to settle down, the wife of the younger brother called her son and said "Tell your uncle to unload their belongings some distance away, otherwise it will get crowded".

The Jat got the message and started walking again. Finally, they stopped at Neemsera (Neb Sarai) (80 K.M. away) and made a counter-question - "If it is still crowded, then I will go further".

Jat Gotras

Population

Population of Neb Sarai according to Census 2001 is 11541, (Males : 6733, Females : 4808).

Neb Sarai in News

नेब सराय: हर दीवार पर हैं कला की 'जिंदा' तस्वीरें

नई दिल्ली। कला और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं। आप रंगना चाहें तो कागज से कहीं आगे बढ़ जाते हैं और पूरी दुनिया आपका कैनवस बन जाती है। दक्षिणी दिल्ली का नेब सराय ऐसे ही कुछ कलाकारों की आजाद कला का ठौर बन गया है।

इस इलाके की हर गली में आपको 1-2 दीवारें ऐसी मिल जाएंगी जिनपर कोई-न-कोई पेंटिंग बनी हुई है। यहां रहने वाले कलाकारों के कारण पूरा इलाका बेहद सामान्य होने के बावजूद काफी खास दिखता है। यहां रहने वालों को हालांकि दीवार पर बनी इन कलाकृतियों का मतलब तो असल में ठीक-ठीक नहीं पता है, लेकिन कला की खूबसूरती के लिहाज से वे इसके कद्रदान तो जरूर हो गए हैं। इतना ही नहीं, वे खुशी-खुशी अपने बच्चों को इन कलाकारों की मदद करने और उनसे कला के गुर सीखने के लिए भी प्रोत्साहित करते नजर आते हैं।

नेब सराय इलाका दिल्ली के कई अनियोजित इलाकों की तरह बेतरतीब नजर आता है। अवैध तरीके से बने मकान और सड़कें बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। इसी इलाके में स्थित एनआईवी आर्ट सेंटर ने संघर्ष कर रहे कलाकारों को एक ऐसा मंच मुहैया कराया है जो न केवल उनकी कला को निखारता है बल्कि ज्यादा-से-ज्यादा लोगों तक पहुंचकर उन्हें सराहना और तारीफ भी दिलवाता है। पेंटर, शिल्पकार, स्ट्रीट कलाकार और देश भर के कई डिजाइनर अपने करियर के शुरुआती दौर में इस आर्ट सेंटर को अपना ठिकाना बनाते हैं।

एनआईवी की स्थापना 2007 में हुई थी, लेकिन यह लोकप्रिय तब हुआ जब इग्नू ने फाइन आर्ट्स में मास्टर्स प्रोग्राम शुरू किया। पंजाब से आए पेंटर अवतार सिंह इस कोर्स के पहले बैच का हिस्सा थे। वह बताते हैं, 'इस फुल-टाइम कोर्स ने कई उभर रहे कलाकारों, खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में रह रहे कलाकारों का ध्यान खींचा।'

उत्तर प्रदेश से आए शिल्पकार शैलेश ने नेब सराय में रहने का फैसला किया। इसके पीछे उनका कारण है, 'अगर आप कला की दुनिया में अपनी जगह बनाना चाहते हैं तो आपको समाज के इर्द-दिर्द रहना पड़ता है।' उन्हें रंगों के तौर पर ऐसे रसायन का उपयोग करना पड़ता है जिसकी गंध बहुत तेज होती है। कई मकानमालिकों को इससे दिक्कत होती है, लेकिन नेब सराय में उन्हें काफी सस्ती कीमत पर एक स्टूडियों किराये पर मिल गया। वह पिछले 3 साल से इस इलाके में रह रहे हैं। उनका कहना है, 'यहां के लोग काफी सहयोग करते हैं।' एनआईवी आर्ट सेंटर के साथ काम करने वाले कला इतिहासकार आ.रितेश ने बताया कि इस इलाके में कई विदेशी कलाकार भी रहते हैं। उन्होंने बताया, 'हर साल, इस कला सेंटर में करीब 300 कलाकार आते-जाते हैं।'

कुछ कलाकार कुछ हफ्तों में चले जाते हैं। कुछ कई साल तक बने रहते हैं। अवतार सिंह बताते हैं, 'यह इलाका हर लिहाज से हमारे अनुकूल है। बाजार भी काफी पास है और फिर भी यह जगह बेहद सस्ती है। रूम का किराया 5,000 से लेकर 12,000 तक है। जितनी जगह और निजता होती है उसी के हिसाब से किराया होता है।'

यहां रहने वाली बीमरी देवी ने एक कलाकार को अपनी दीवार पर पेंटिंग बनाने की इजाजत दी। अब आने-जाने वाले उनकी दीवार को गौर से देखते हुए गुजरते हैं। वह बताती हैं, 'ऐसे लोग हमारे गांव में रहते हैं तो अच्छा लगता है। इन कलाकारों ने यहां की दीवारों को खूबसूरत रंगो से रंग दिया है।' 70 साल की बीमरी देवी ने नेब सराय को झोपड़ी और एक-आध पक्के मकानों के झुरमुट से बदलते हुए देखा है। एक समय था जब यहां रहने वाले ज्यादातर लोग मजदूर हुआ करते थे। वह कहती हैं, 'अब यह गांव नहीं रह गया है, बल्कि किसी और कॉलोनी की तरह हो गया है।'

बीमरी देवी के घर से 2 गली आगे फूलवती देवी अपने घर की बाहरी दीवार पर रंगे एक बंदर की तस्वीर बड़े गर्व के साथ दिखाती हैं। उनके 10 साल के बेटे ने इस तस्वीर को बनाने वाले कलाकार की मदद की और उससे काफी कुछ सीखा। वह बताती हैं, 'उसने घर के अंदर की दीवारों पर भी कुछ तस्वीरें उकेरी हैं।'[1] (नवभारत टाइम्स, 29 सितंबर 2015)

Notable Persons

  • Pincky Balhara is an Indian Kurash wrestler and Judoka . In 2018 Asian Games at Jakarta, she won a silver medal in 52-kg category.

External Links

References


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