Neemsar

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Sitapur district map

Neemsar (नीमसर) (Nimsar) village is Sitapur (UP) . Its ancient name was Naimisharanya .[1][2]

प्राचीन साहित्य में

यजुर्वेद 21/18 में काम्पील (काम्पिल्य) , ब्राहमणग्रंथों में कौषीतकि ब्राहमण26/5 मन्त्र में , "नैमिषीय" छान्दोम्य उपनिषद् मन्त्र में नैमिषाराण्य का वर्णन है। प्राचीन काल में ऋषि मुनियों ने जहाँ अनेक आश्रम बनाये हुए थे। वर्तमान में यह नीमसर कहलाता है और एक महत्वपूर्ण तीर्थ है।

नैमिषारण्य

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...नैमिषारण्य (AS, p.509) (=नीमसार) उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले का एक स्थान है। गोमती नदी के तट पर सीतापुर से 20 मील की दूरी पर यह प्राचीन तीर्थ स्थान है। विष्णु पुराण के अनुसार यह बड़ा पवित्र स्थान है।

पुराणों तथा महाभारत में वर्णित नैमिषारण्य वह पुण्य स्थान है, जहाँ 88 सहस्र ऋषीश्वरों को वेदव्यास के शिष्य सूत ने महाभारत तथा पुराणों की कथाएँ सुनाई थीं- 'लोमहर्षणपुत्र उपश्रवा: सौति: पौराणिको नैमिषारण्ये शौनकस्य कुलपतेद्वदिशवार्षिके सत्रे, सुखासीनानभ्यगच्छम् ब्रह्मर्षीन् संशितव्रतान् विनयावनतो भूत्वा कदाचित् सूतनंदन:। तमाश्रममनुप्राप्तं नैमिषारण्यवासिनाम्, चित्रा: श्रोतुत कथास्तत्र परिवव्रस्तुपस्विन:'महाभारत, आदिपर्व 1, 1-23.

'नैमिष' नाम की व्युत्पत्ति के विषय में वराह पुराण में यह निर्देश हैं- 'एवंकृत्वा ततो देवो मुनिं गोरमुखं तदा, उवाच निमिषेणोदं निहतं दानवं बलम्। अरण्येऽस्मिं स्ततस्त्वेतन्नैमिषारण्य संज्ञितम्'-- अर्थात् ऐसा करके उस समय भगवान ने गौरमुख मुनि से कहा कि मैंने एक निमिष में ही इस दानव सेना का संहार किया है, इसीलिए (भविष्य में) इस अरण्य को लोग नैमिषारण्य कहेंगे।

वाल्मीकि रामायण उत्तरकांड 19, 15 से ज्ञात होता है कि यह पवित्र स्थली गोमती नदी के तट पर स्थित थी, जैसा कि आज भी हैं- 'यज्ञवाटश्च सुमहानगोमत्यानैमिषैवने'। 'ततो भ्यगच्छत् काकुत्स्थ: सह सैन्येन नैमिषम्' (उत्तरकांड 92, 2) में श्रीराम का अश्वमेध यज्ञ के लिए नैमिषारण्य जाने का उल्लेख है। रघुवंश 19,1 में भी नैमिष का वर्णन है- 'शिश्रिये श्रुतवतामपश्चिम् पश्चिमे वयसिनैमिष वशी'- जिससे अयोध्या के नरेशों का वृद्धावस्था में नैमिषारण्य जाकर वानप्रस्थाश्रम में प्रविष्ट होने की परम्परा का पता चलता है।

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References