Pale Ram Dalal

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Pale Ram Dalal

Pale Ram Dalal (Hon. Captain) (born:20.5.1922), Vir Chakra, MM, from village Daboda Kalan in Bahadurgarh Tehsil of Jhajjar district in Haryana. Subedar Pale Ram had earned M.M. for killing 89 Japanese during Second World War. He fought 1947-48 Indo-Pak war. He again fought 1965 Indo-Pak war (Battle of Dograi) in which he was awarded Veer Chakra for his bravery. Unit - 3 Jat Regiment (Dograi Batallion)

सूबेदार पाले राम दलाल का परिचय

सूबेदार पाले राम दलाल

वीर चक्र

यूनिट - 3 जाट रेजिमेंट (डोगराई पलटन)

डोगराई की दूसरी लड़ाई

ऑपरेशन रिडिल

भारत-पाक युद्ध 1965

सूबेदार पाले राम का जन्म 20 मई 1922 को अविभाजित पंजाब के रोहतक (अब झज्जर) जिले की बहादुरगढ़ तहसील के दाबोदा कलां (मेहंदीपुर दाबोदा) गांव में चौधरी भजन सिंह के घर में हुआ था। 20 मई 1940 को वह ब्रिटिश-भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। उनके गाँव में स्कूल नहीं था, इसलिए उन्होंने बटालियन में अपनी सेवा के समय शिक्षा प्राप्त की थी।

सूबेदार पाले राम द्वितीय विश्व युद्ध में एक ब्रिटिश सैन्य पदक से सम्मानित थे और 1947-48 में पाकिस्तान के साथ हुए सबसे पहले युद्ध के अनुभवी थे। 6 सितंबर 1965 को डोगराई की पहली लड़ाई में वह दुश्मन के स्वचालित फायर में पूरी तरह घिरे हुए थे, परंतु उन्होंने आगे बढ़ रहे दुश्मन के टैंकों पर निडरता से निशाना साधकर एक रॉकेट लांचर दागा, व दुश्मन के एक टैंक को नष्ट कर दिया, जिसने अन्य टैंकों के हमले को भी धीमा कर दिया। वर्ष 1965 तक वह सूबेदार के पद पर पदौन्नत हो चुके थे।

ऑपरेशन रिडिल में 54 इंफेट्री ब्रिगेड के संचालन आदेशों के अंतर्गत 21 सितंबर 1965 की आधी रात 3 जाट बटालियन के 523 जवानों को पाकिस्तान के डोगराई शहर पर दूसरी बार हमला कर कब्जा करना था।

डोगराई पर हमले के समय सूबेदार पाले राम 'चार्ली' कंपनी के साथ रिजर्व प्लाटून के प्लाटून कमांडर थे। जब 'चार्ली' और 'डेल्टा' कंपनियां दुश्मन बंकरों से आमने-सामने की लड़ाई में जूझ रहीं थीं, तभी सूबेदार पाले राम के नेतृत्व वाली रिजर्व प्लाटून को कंपनी के वास्तविक लक्ष्य पर कब्जा करने का आदेश दिया गया। सूबेदार पाले राम ने बाएं और दाएं किनारों से हो रही लाइट मशीनगनों की भीषण गोलीबारी के बीच "जाट बलवान-जय भगवान" के युद्धघोष के साथ हमले का नेतृत्व किया। सूबेदार पाले राम रेंगते हुए एक मशीनगन बंकर तक पहुंचे और एक हथगोला फेंककर उस मशीनगन को शांत कर दिया। परंतु, इस साहसिक कार्रवाई में छाती पर मशीनगन की गोलियां लगने से गंभीर घायल होने के उपरांत भी अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा को अनदेखा करते हुए वह रेंगते हुए एक अन्य मशीनगन बंकर की ओर गए तथा उस बंकर में भी एक हथगोला फेंककर उसे भी नष्ट कर दिया।

सूबेदार पाले राम के असाधारण साहस और दृढ़ संकल्प से प्रेरित होकर उनकी पलटन ने वीरता से लड़ाई लड़ी और 22 सितंबर 1965 की सुबह डोगराई पर कब्जा कर लिया। इस भीषण लड़ाई में सूबेदार पाले राम को सात गोलियां लगीं, परंतु दुश्मन के एक-एक बंकर के नष्ट हो जाने तक और सबसे ऊंचे बंकर के ऊपर तिरंगा फहराए जाने तक उन्होंने मोर्चे से हटने से मना कर दिया।

दुश्मन के सामने उनके अदम्य साहस और असाधारण वीरता एवं दृढ़ निश्चय के लिए सूबेदार पाले राम को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। सूबेदार पाले राम मानद कैप्टन के पद से सेना से सेवानिवृत्त हुए।

डोगराई की लड़ाई में सूबेदार पाले राम द्वारा प्रदर्शित की गई अद्भुत वीरता को देश युगों युगों तक याद रखेगा। जय हिंद!! जय जवान!!

गैलरी

स्रोत

External links

References

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