Panduwala
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Panduwala (पांडुवाला) is an archaeological site, two km. from Laldhang (Haridwar) in Pauri Garhwal district, Uttarakhand where ruins of temples, and remains of earthenware dated to pre and post medieval period have been found.
Variants
Location
Panduwala is located on Haridwar-Kotdwar road near Laldhang
History
The main market of Laldhang has a Shiv Temple, with ‘Panchyatan Shivling’, brought from Panduwala, an archaeological site, two km. from Laldhang, where ruins of temples, and remains of earthenware dated to pre and post medieval period have been found.[1]
पांडुवाला
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ... पांडुवाला (AS, p.539) हरिद्वार से प्राय 10 मील पूर्व और मुंढाल से 6 मील पर यहां एक प्राचीन नगर के खंडार हैं. कनिंघम ने पुरातत्व विभाग की ओर से 1891 ई. की रिपोर्ट में इस स्थान को ब्रह्मपुर राज्य की राजधानी माना है जहां चीनी यात्री युवानच्वांग, 630 ई. के लगभग आया था.
डबराल[3] ने लिखा कि ब्रह्मपुर का बाड़ाहाट या श्रीनगर होने में सबसे बड़ा विपक्षी तर्क है कि इन नगरों के पास कोई नाग मंदिर नहीं हैं जिसकी पहचान अनंतनाग अवतार वीरणेश्वर से की जाय। केदारखंड पुराण अनुसार (123 /10) पांडुवाला सोत निकट अनंत नाग अवतार लक्ष्मण ने तपस्या की थी व महाभारत आदि पर्व (75/6) अनुसार कनखल नरेश दक्ष पत्नी का नाम वीरिणी था। डबराल ने लिखा कि इस नाम से संबंध जोड़ा जा सकता है। इतिहासकार डबराल को पांडुवाला सोत की खुदाई से कुछ पात्र मिले थे जो पुरात्व विभाग ने चौथी सदी के निर्धारित किये। याने चौथी सदी में पांडुवाला सोत में वस्ति थी। अतः माना जा सकता है कि युवानच्वांग यात्रा समय पांडुवाला सोत में वस्ती थी। तर्क अनुसार पांडुवाला सोत वास्तव में चंडीघाट से गोविषाण मार्ग पर भी सही बैठता भी है। पांडुवाला सोत हरिद्वार-कोटद्वार मार्ग पर लालढांग के निकट है.
External links
References
- ↑ https://pauri.nic.in/Page25.htm
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.539
- ↑ Dabral, Shiv Prasad, (1960), Uttarakhand ka Itihas Bhag- 3, Veer Gatha Press, Garhwal, India page 394