Bhadraka
Bhadraka (भद्रक) or Parabhadraka (परभद्रक) was one of The Mahabharata Tribes.
Jat Gotras from Bhadraka
- Bhadu (भादू) Bhaado (भादो) Bhatoo (भाटू) Bhatoo (भाटू) Bhadoo (भादू) gotra of Jats are descendants of Mahabharata King Bhadraka (भद्रक).
- Bhada (भादा)
- The rulers of Bhadawar province were known as Bhadu. Their ancestral places were Bhadra and Bhadrajana.[1]
जाट इतिहास
ठाकुर देशराज[2] ने महाभारत कालीन प्रजातंत्री समूहों का उल्लेख किया है जिनका निशान इस समय जाटों में पाया जाता है....भद्रक - महाभारत कालीन जनपदों में भद्रक लोगों का वर्णन और आता है। ये अवश्य ही जंगल देश के भादरा नगर के क्षेत्र में रहे होंगे और निश्चय ही भादरा इनकी राजधानी रही होगी। भादरा से जोधपुर और अजमेर की ओर इनका बढ़ना पाया जाता है। ले लोग शान्तिप्रिय पाये जाते हैं और अब भादू और कहीं-कहीं भादा कहलाते हैं।
भादू गोत्र का इतिहास
दलीप सिंह अहलावत लिखते हैं कि महाभारतकालीन जनपदों में भद्रक लोगों का भी वर्णन आता है। ये जाटवंश अवश्य ही जांगल देश के भादरा नगर के क्षेत्र में रहे होंगे और निश्चित ही भादरा इनकी राजधानी रही होगी। भादरा से जोधपुर और अजमेर की ओर इनका बढ़ना पाया जाता है। ये लोग शान्तिप्रिय पाये जाते हैं और अब भादू और कहीं-कहीं भादा कहलाते हैं।[3]
In Mahabharata
Bhadrakara (भद्रकर) in Mahabharata (I.89.46), (1.94), (II.13.25),
Panibhadraka (पाणिभद्रक) or Bhadraka (भद्रक) in Mahabharata (VI.47.9)
Parabhadraka (परभद्रक) in Mahabharata (VI.52.14), (VIII.17.8),(VIII.17.26),(VIII.44.7)
Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 13 mentions the tribes who fled out of fear of Jarasandha. Bhadrakara (भद्रकर ) is mentioned in Mahabharata (II.13.25).[4]....Bhadrakas fled towards the west from the fear of Jarasandha along with the eighteen tribes of the Bhojas; the Surasenas, the Vodhas, the Salwas, the Patachcharas, the Susthalas, the Mukuttas, and the Kulindas, and the Kuntis.....
Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 47 has mentioned them as Panibhadraka (पणिभद्रक), who assembled there for battle to protect Bhishma with their (respective) troops. [5]
Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 52 has mentioned them as Prabhadraka (परभद्रक) who sided with Kauravas along with Panchala tribe (VI.52.14). [6]
References
- ↑ Dr Mahendra Singh Arya, Dharmpal Singh Dudee, Kishan Singh Faujdar & Vijendra Singh Narwar: Ādhunik Jat Itihas (The modern history of Jats), Agra 1998 p. 272
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter V,p.142
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III,p.195
- ↑ शूरसेना भद्र कारा बॊधाः शाल्वाः पतच चराः, सुस्दराश च सुकुट्टाश च कुणिन्थाः कुन्तिभिः सह (II.13.25)
- ↑ चित्रसेनेन सहिताः सहिताः पाणिभद्रकैः, भीष्मम एवाभिरक्षन्तु सह सैन्यपुरस्कृताः (VI.47.9)
- ↑ धृष्टथ्युम्नः शिखण्डी च पाञ्चालाश च परभद्रकाः, मध्ये सैन्यस्य महतः सदिता युथ्धाय भारत (VI.52.14)
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