Parashurama Kshetra
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Parashurama Kshetra (परशुराम क्षेत्र) is mentioned in Mahabharata. It was the area located in Aparanta land of the Shurparaka country. Aparanta (meaning "Western border") was a geographical region of ancient India, variously corresponding to the northern Konkan, northern Gujarat, Kathiawar, Kachch and Sindh.
Origin
Variants
- Parashuramakhetra (परशुराम क्षेत्र) दे. Shurparaka शूर्पारक (AS, p.531)
History
The people along the western coast speak of the land as Parashurama Kshetra, the "Land of Parashurama". Some say it is Kerala, others say that it extends from Kanyakumari to Gokarna in what is today Karnataka, or that it extends farther still still up the Conkan Coast.[1]
परशुराम क्षेत्र
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...परशुराम क्षेत्र (AS, p.531): शूर्पारक देश जो अपरान्त भूमि में स्थित था, परशुराम के लिए सागर द्वारा उत्सृष्ट किया गया था-- महा. शांतिपर्व 49,66-67
परशुराम क्षेत्र परिचय
प्राचीन समय से ही कथाओं और साहित्य आदि में विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है। मालाबार और कोंकण अर्थात् केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के सम्मिलित समुद्री क्षेत्र को ही 'परशुराम क्षेत्र' कहा गया है। एक जनश्रुति के अनुसार गोवा, जिसमें कोंकण क्षेत्र भी है और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक माना जाता है, की रचना परशुराम ने की थी। कहावत है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणों की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था। लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम 'वाणावली' और 'वाणस्थली' इत्यादि है। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भी भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है। [3]