Pippalaguha

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Pipphali Cave in Rajgir, where Mahākāśyapa is recorded to have stayed.

Pippalaguha (पिप्पलगुहा) caves are located in Rajgir on Vaibhara hills in Bihar. Pipphali Cave in Rajgir is the place where Mahākāśyapa is recorded to have stayed. It is also called Jarasandha Cave. Author (Laxman Burdak) visited Rajgir on 12.11.2010 and has provided content and images here.

Origin

Variants

History

पिप्पलगुहा

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ..पिप्पलगुहा (AS, p.559), बिहार. पिप्पल गुहा राजगृह (बिहार) में 'वैभार' पहाड़ी के पूर्वी ढाल पर स्थित है. इसे जरासंध की गुहा भी कहते हैं. कुछ विद्वानों के मत में यह भारत की प्राचीनतम इमारत है. कहा जाता है कि महाभारत काल में इसी स्थान पर मगध राज जरासंध का प्रासाद था. कुछ पाली ग्रंथों के अनुसार प्रथम धर्म-संगीति का सभापति महाकश्यप पिप्पलगुहा में ही रहा करता था. बुद्ध एक बार महा कश्यप से मिलने स्वयं इस स्थान पर आए थे. युवान च्वांग ने भी इस गुहा का उल्लेख किया है तथा इसे असुरों का निवास स्थान माना है. महा [p.560] भारत में मय दानव की कथा से सूचित होता है कि असुरों या दानवों की कोई जाति प्राचीन काल में विशाल वास्तु रचनाएं निर्माण करने में परम कुशल थी. संभवत: पिप्पलगुहा की निर्मिति भी इन्हीं शिल्पियों ने की होगी. जरासंध की बैठक की दीवार असाधारण रूप से स्थूल समझी जाती है. इस इमारत के पीछे एक लंबी गुफा 1895 ई. तक वर्तमान थी. (देखें लिस्ट ऑफ एंशिएंट मोनुमेंट्स इन बंगाल-1895, पृ.262-263)

पिप्फलिगुहा

पिप्फलि गुहा या 'पिप्पल गुहा' राजगृह (बिहार) में 'वैभार' पहाड़ी पर स्थित थी। कहा जाता है कि यहाँ महात्मा बुद्ध भोजन के उपरान्त विश्राम किया करते थे। 'मंजुश्रीमूलकल्प' में इस गुहा को 'पैपल गुहा' कहा गया है। यह विपुल पर्वत के गरम स्रोतों के निकट थी। आधुनिक समय मे जरासंध की बैठक से इसे मिलाया जाता है।[2] ‘उदान’ के अनुसार स्थविर महाकाप्फ इस गुफ़ा (गुहा) में निवास करते थे। 'संयुक्त निकाय' में आता है कि वे इसी गुहा में अस्वस्थ हुए थे। प्रसिद्ध चीनी यत्री युवानच्वांग के वर्णन के अनुसार वेणुवन से एक मील दूर दक्षिण-पश्चिम में, दक्षिणगिरि के उत्तर में बड़े बांसों के वन में एक विशाल गुफ़ा थी, यहाँ स्थविर महाकाश्यप पाँच सौ भिक्षुओं के साथ रहते थे।[3] एक अन्य यात्री फाह्यान ने भी सप्तपर्णा गुहा से एक मील दूरी पर 'पिप्पल गुहा' का उल्लेख किया है। माना जाता है कि पिप्फलि गुहा में बुद्ध भोजन के उपरान्त विश्राम और ध्यान किया करते थे। 'उदानट्ठ कथा' में आया है कि इस गुहा के बाहर पीपल का एक पेड़ खड़ा था, इसीलिए यह 'पिप्पलि गुहा' कहलाती थी।[4]

संदर्भ: भारतकोश-पिप्फलिगुहा

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.559-560
  2. बु.भा.भू, पृ. 206-207
  3. वाटर्स, ट्रेविल्स ऑफ़ यूआन च्वांग, पृष्ठ 159।
  4. भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 494 |