Pithunda
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Pithunda (पिथुण्ड) was a port in the ancient kingdom of Kalinga on the eastern coast of India. Pithundra was the capital of an old kingdom in what is now the Krishna district of Andhra Pradesh, not far from Masulipatam (Andhra Pradesh).[1]
Variants
- Pithuda पिथुड़ (AS, p.558)
- Pitundra पितुन्द्र, दे. Pithuda पिथुड, (AS, p.557)
- Pihunda पिहुण्ड, दे. Pithuda पिथुड, (AS, p.562)
- Pithunda (पिथुण्ड)
- Pithundra
History
Sylvain Levi considers that Pithunda was located to the south of Pallur near Chicacola (Srikakulam in Andhra Pradesh) and Kalingapatanam.[2]
Pithunda is described in the Jain text Uttaradhyana Sutra as an important center at the time of Mahavira (599 – 527 BC), and was frequented by merchants from Champa (now Vietnam).[3] The Hathigumpha inscription says that Kharavela (c. 209 – 170 BC) devastated the city.[4] This occurred during a war between Kalinga and the Tamil confederacy to the south. After defeating the city, Kharavela is said to have ploughed it using a plough yoked to asses.[5] Pithunda was called Pithundra in the Peripus and the Geography of Ptolemy (c. 90 – 168 AD).[6]
Hathigumpha inscription
Hathigumpha inscription mentions in Lines 10-11
Line 10-11 - And in the eleventh year [His majesty] secured jewels and precious stones from the retreating [enemies] [His Majesty] caused to be cultivated Pithunda, founded by former kings of Kalinga, with ploughs drawn by asses. Also [His Majesty] shattered the territorial confederacy of the Tamil states having populous villages, that was existing since thirteen hundred years.[7]
पिथुड़
विजयेन्द्र कुमार माथुर[8] ने लेख किया है ... पिथुड़ (AS, p.558): कलिंग नरेश खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख के अनुसार खारवेल ने उत्तर भारत की विजय के पश्चात दक्षिण के देशों पर आक्रमण किया था. पिथुड़ नामक नगर में उसने गधों के हल चलवाये थे. सिलवन लेवी के मतानुसार पिथुड़ पिहुंड का रूपांतरण है। पिहुण्ड पांड्य देश का एक मुख्य व्यापारिक नगर था। टॉलमी इसे पितुन्द्र लिखा है। उत्तराध्ययन नामक जैन सूत्रग्रंथ (खंड-21) में भी पिहुंड का उल्लेख है. इस प्रसंग में पालित नाम के एक धनी व्यापारी के चम्पा से पिहुंड जाने का वर्णन है. तीर्थंकर महावीर के समय में (पाँचवी सदी ई.पू.) व्यापारी लोग जलयान द्वारा चम्पा से पिथुण्ड नगर को जाते थे। (इंडियन एंटीक्वेरी 1926,पृ.145). पिहुंड मछलीपटम (मद्रास) के समीप है.
पिथुण्ड
पिथुण्ड एक ऐतिहासिक स्थान जिसकी स्थिति आधुनिक तमिलनाडु, मद्रास के निकट मानी गई है। कलिंग नरेश खारवेल के हाथीगुम्फा लेख में इस स्थान का उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार उसकी सेना ने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया तथा इस स्थान को ध्वस्त कर दिया। सिलवान लेवी के मतानुसार पिथुण्ड पिहुंड का रूपांतरण है। पिहुण्ड पांड्य देश का एक मुख्य व्यापारिक नगर था। टॉलमी इसे पितुन्द्र कहता है। पिथुण्ड स्थान मुक्ता-मणियों के लिये प्रसिद्ध था। जैन ग्रंथ 'उत्तराध्ययन सूत्र' से पता चलता है कि तीर्थंकर महावीर के समय में (पाँचवी सदी ई.पू.) चम्पा के व्यापारी जलयान द्वारा पिथुण्ड नगर को जाते थे। खारवेल ने पिथुण्ड को जीतने के बाद यहाँ से मुक्ता-मणियों का उपहास प्राप्त किया था। [9]
External links
References
- ↑ Ramesh Chandra Majumdar, Anant Sadashiv Altekar (1986). Vakataka - Gupta Age Circa 200-550 A.D. Motilal Banarsidass. p. 68. ISBN 81-208-0026-5.
- ↑ Balabhadra Ghadai (July 2009). "Maritime Heritage of Orissa" (PDF). Orissa Review.
- ↑ Balabhadra Ghadai (July 2009). "Maritime Heritage of Orissa" (PDF). Orissa Review.
- ↑ Ramesh Chandra Majumdar, Anant Sadashiv Altekar (1986). Vakataka - Gupta Age Circa 200-550 A.D. Motilal Banarsidass. p. 68. ISBN 81-208-0026-5.
- ↑ Romila Thapar (2004). Early India: From the Origins to AD 1300. University of California Press. p. 212. ISBN 0-520-24225-4.
- ↑ Nihar Ranjan Patnaik (1997). Economic history of Orissa. Indus Publishing. p. 131. ISBN 81-7387-075-6.
- ↑ एकादसमे च वसे [सतुनं] पायातानं च मणि रतनानि उपलभते [।।], L.11 - कलिंग पुवराज निवेसितं पिथुडं गधवनंगलेन कासयति [।।] जनपद भावनं च तेरसवस सत कतं भिदति तमिर देह संघातं [।।]
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.558
- ↑ भारतकोश-पिथुण्ड