Purnia
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Purnia (पूर्णिया) is a city and district in the Indian state of Bihar.
Variants
- Purniya पूर्णिया, बिहार, AS, p.575)
- Purnea
- Purna–Aranya
Location
It is nearly 302 kilometres from Patna, as well as 171 km from Siliguri, 90 km from Bhagalpur.
Origin
Several possible origins for the name Purnia have been proposed.
- The name may originate from the Sanskrit word Purna–Aranya, which means "complete jungle".[2]
- Purnia could also be an altered form of the old name Purania, derived from the word Purain or Lotus, which is said to have grown on the Kosi and Mahananda rivers.
History
Purnia is part of the Mithila region.[3] Mithila first gained prominence after being settled by Indo-Aryan peoples who established the Mithila Kingdom (also called Kingdom of the Videhas).[4] During the late Vedic period (c. 1100–500 BCE), Videha became one of the major political and cultural centers of South Asia, along with Kuru and Pañcāla. The kings of the Videha Kingdom were called Janakas.[5] The Videha Kingdom was later incorporated into the Vajji confederacy, which had its capital in the city of Vaishali, which is also in Mithila.[6]
पूर्णिया
विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है .....पूर्णिया, बिहार, AS, p.575): यह जिला महानंद और कोसी नदियों से चिंतित है. पूर्व बौद्ध काल में पूर्णिया का पश्चिमी भाग अंग जनपद में सम्मिलित था और तत्पश्चात मगध में. हर्ष के समय में गौड़ाधिप शशांक सांग का राज्य यहां तक विस्तृत था किंतु 620 ई. के लगभग हर्ष ने शशांक को पराजित किया और यह प्रदेश भी कान्यकुब्ज के शासन के अंतर्गत आ गया. मध्ययुग में यहाँ बिहार के अन्य प्रदेशों की भांति ही पाल और सेन नरेशों का राज्य था. मुगलों के जमाने में पूर्णिया, साम्राज्य के सीमावर्ती इलाके में सम्मिलित था और यहां सैनिक शासन था. पूर्णिया नाम कुछ विद्वानों के मत में पुंड्र का अपभ्रंश है (देखें:पुंड्र ). स्थानीय जनश्रुति में पूर्णिया 'पुरइन' (कमल) का शुद्ध रूप माना जाता है जो यहां पहले समय में कमाल-सरोवरों की स्थिति का सूचक है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि प्राचीन काल में घने जंगल या पूर्ण अरण्य होने के कारण ही से पूर्णिया कहा जाता था. (देखें फाउल्ट-बिहार दि हार्ट ऑफ इंडिया, पृ.121)
पुंड्र = पौंड्र
विजयेन्द्र कुमार माथुर[8] ने लेख किया है .....पुंड्र = पौंड्र (AS, p.562) : बंगाल में गंगा की मुख्यधारा पद्मा के उत्तर में स्थित प्रदेश को प्राचीन काल में पुंड्रदेश कहते थे (इंपिरियल गैजेटियर आफ इंडिया, पृ.316). नदी से दक्षिण का भूभाग बंग कहलाता था. कुछ विद्वानों का मत है कि वर्तमान पवना ही प्राचीन पुंड्र है. यह नाम वास्तव में इस प्रदेश में प्राचीन काल में बसने [p.563]: वाली वन्यजाति का अभिधान था. इन्हीं लोगों का मूलस्थान होने से यह प्रदेश पुंड्र कहलाया. महाभारत में पौंड्र वासुदेव के आख्यान में कृष्ण के इस प्रतिद्वंदी को ही पुंड्रदेश का ही निवासी बताया गया है. बिहार के पूर्णिया नामक नगर को भी पुंड्रदेश में स्थित कहा गया है और ऐसा विचार है कि इस नगर का नाम पुंड्र का ही अपभ्रंश है. विष्णु पुराण में पुंड्र प्रदेश पर-- संभवत: पूर्व गुप्त काल में -- देवरक्षित राजा का शासन बताया गया है-- 'कोशल-आंध्र-पुंड्-ताम्रलिप्तसमुद्रतटपुरी च देव रक्षितरक्षितो रक्षिता'-- विष्णु 4,24,64. पुंड्र प्रदेश से संबंधित पुंड्रनगर का उल्लेख महास्थानगढ़ (जिला बोगरा, बंगाल) से प्राप्त मौर्यकालीन अभिलेख में है जिसमें इस नगर को पुंड्रनगल कहा गया है. इसका अभिज्ञान महास्थानगढ़ से ही किया गया है. महास्थान (गढ़) का उल्लेख शायद पाणिनि 6,2,89 में महानगर के नाम से है. गुप्त काल में पुंड्र, पुंड्रवर्धनभुक्ति नाम से दामोदरपुर-पट्टलेखों में वर्णित है. इस भुक्ति में अनेक विषय सम्मिलित थे (देखें पुंड्रवर्धन). प्राचीन समय में यह देश ऊनी कपड़ों और पौंडे या गन्ने के लिए प्रसिद्ध था. (संभव है 'पौंडा' नाम इसी देश के नाम पर हुआ हो और अंततः यह पुंड्र जाति से संबंधित हो. यह भी द्रष्टव्य है कि 'गुड़' का संबंध भी गौड़ देश से इसी प्रकार जोड़ा जाता है) महाभारत वन पर्व है 51,22 में बंग,अंग और उड्र के साथ ही पौंड्र देश का उल्लेख है-- 'यत्र सर्वान महीपालाञ छत्रतेजॊभयार्दितान्, सवंङ्गाङ्गान् सपौण्ड्र उड्रान् सचॊलद्राविडान्ध्रकान्'.
External links
References
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.575
- ↑ https://purnea.nic.in/
- ↑ Jha, Makhan (1997). Anthropology of Ancient Hindu Kingdoms: A Study in Civilizational Perspective. ISBN 9788175330344.
- ↑ Michael Witzel (1989), Tracing the Vedic dialects in Dialectes dans les litteratures Indo-Aryennes ed. Caillat, Paris, pages 13, 17 116–124, 141–143
- ↑ Witzel, M. (1989). "Tracing the Vedic dialects". In Caillat, C. (ed.). Dialectes dans les litteratures Indo-Aryennes. Paris: Fondation Hugot. pp. 141–143.
- ↑ Hemchandra, R. (1972). Political History of Ancient India. Calcutta: University of Calcutta.
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.575
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.562