Raigarh Maharashtra
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Raigarh (रायगढ़) is a hill fort situated in Mahad, Raigad district of Maharashtra, India.
Variants
- Raigarh Maharashtra रायगढ़, जिला कोलाबा, महाराष्ट्र, (AS, p.793)
- Raigad (रायगड) (Marathi)
History
The Raigad Fort, formerly known as Rairi, was built by Chandraraoji More, the King of Jawali, who was then seized by Shivaji who made it his capital in 1674 when he was crowned the King of a Maratha Kingdom which later developed into the Maratha Empire, eventually covering much of western and central India.[1]
Shivaji seized the fort in 1656, renovated and expanded the fort of Rairi and renamed it as Raigad (King's Fort).
The villages of Pachad and Raigadwadi are located at the base of the Raigad fort. These two villages were considered very important during the Maratha rule in Raigad. The actual climb to the top of the Raigad fort starts from Pachad. During Shivaji Maharaj's rule, A cavalry of 10,000 was always kept on standby in Pachad village. Shivaji also built another fort Lingana around 2 miles away from Raigad. The Lingana fort was used to keep prisoners.
In 1689, Zulfikhar Khan captured Raigad and Aurangzeb renamed it as Islamgad. In 1707, Siddi Fathekan captured the fort and held it until 1733. After 1733 maratha sardar captured raigad again and hold it until 1818.[2]
In 1765, The fort of Raigad along with Malwan in present Sindhudurg District, the southernmost district of Maharashtra, was the target of an armed expedition by the British East India Company, which considered it a piratical stronghold.
In 1818, the fort was bombarded and destroyed by cannons from the hill of Kalkai. And on 9 May 1818, as per the treaty, it was handed over to the British East India Company.
रायगढ़, महाराष्ट्र
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है .....रायगढ़ (AS, p.793) पश्चिमी भारत का ऐतिहासिक क्षेत्र है। यह मुंबई (भूतपूर्व बंबई) के ठीक दक्षिण में महाराष्ट्र में स्थित है। यह कोंकण समुद्रतटीय मैदान का हिस्सा है, इसका क्षेत्र लहरदार और आड़ी-तिरछी पहाड़ियों वाला है, जो पश्चिमी घाट (पूर्व) की सह्याद्रि पहाड़ियों की खड़ी ढलुआ कगारों से अरब सागर (पश्चिम) के ऊँचे किनारों तक पहुँचता है।
1662 ई. में शिवाजी तथा बीजापुर के सुल्तान में काफ़ी संघर्ष के पश्चात् संधि हुई थी जिससे शिवाजी ने अपना जीता हुआ सारा प्रदेश प्राप्त कर लिया था। इस संधि के लिए शिवाजी के पिता कई वर्ष पश्चात् पुत्र से मिलने आए थे। शिवाजी ने उन्हें अपना जीता हुआ समस्त प्रांत दिखाया। उस समय शाहजी के सुझाव को मानकर रैरी पहाड़ी के उल्ल श्रृंग पर शिवाजी ने रायगढ़ को बसाने का इरादा किया था। समाधि भी रायगढ़ में ही है। यहाँ उन्होंने एक क़िला तथा प्रासाद बनवाया और वे यहीं निवास करने लगे। इस प्रकार शिवाजी के राज्य की राजधानी रायगढ़ में ही स्थापित हुई। रायगढ़ चारों ओर से सह्यद्रि की अनेक पर्वत मालाओं से घिरा हुआ था और उसके उल्ल श्रृंग दूर से दिखाई देते थे। महाकवि भूषण ने रायगढ़ के विषय में लिखा है -
- दच्छिन के सब दुग्ग जिति दुग्ग सहार विलास,
- सिव सेवक सिव गढ़ पती कियो रायगढ़ वास,
- तँह नृप राजधानी करी,
- जीति सकल तुरकान,
- सिव सरजा रुचि दान में,
- कीन्हों सुजस जहान।
शिवराज भूषण में छंद 15 से छंद 24 तक रायगढ़ के वैभव-विलास का विस्तृत वर्णन है। छंद 15 [पी.794]: ('वारि पताल सो माची मही अमरावती की छबि ऊपर छाजें) से यह भी ज्ञात होता है कि रायगढ़ के दुर्ग की पानी से भरी हुई एक बहुत गहरी खाई भी थी। शिवाजी का राज्याभिषेक रायगढ़ में, 6 जून, 1674 ई. को हुआ था। काशी के प्रसिद्ध विद्वान् गंगाभट्ट इस समारोह के आचार्य थे। उपरान्त 1689-90 ई. में औरंगज़ेब ने इस पर अधिकार कर लिया।
External links
References
- ↑ "Raigarh". Imperial Gazetteer of India, Volume 21. 1909. pp. 47–48.
- ↑ Naravane, M.S. (1998). The maritime and coastal forts of India. New Delhi: APH Pub. Corp. p. 61. ISBN 9788170249108.
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.793