Ram Chandra Mirdha

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लेखक:लक्ष्मण बुरड़क, IFS (R)

Ram Chandra Mirdha (born:18.9.1989 - ) (मास्टर रामचंद्र मिर्धा), from Kuchera (कुचेरा), Nagaur, was a Social worker in Nagaur, Rajasthan. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....मास्टर रामचंद्र मिर्धा- [पृ.180]: जब हम मारवाड़ का इतिहास लिखने बैठेंगे उसमें मिर्धा रामचंद्र का नाम अवश्य आएगा। इस सज्जन ने जीवन में जिस सच्चाई और उद्योग से काम किया है और अपने जीवन में जो सफलता इन्हें प्राप्त हुई है उस विचार से इनका नाम मारवाड़ के जाटों में प्रथम नहीं तो दूसरा अवश्य है।

इनका जन्म 18 सितंबर 1889 को कुचेरा ग्राम में हुआ। 18 वर्ष की आयु में मिडिल पास करके आपने स्कूल में मास्टर की नौकरी कर ली। नौकरी करते-करते सन् 1917 में आपने दसवीं कक्षा पास कर ली और एफ़ए की परीक्षा में भी सम्मिलित हुए। मारवाड़ के जाटों में अङ्ग्रेज़ी पढ़ने और मिडिल पास करने में आपका नाम पहला है।

सच्चे और उद्योगी होने के कारण आपका नाम जोधपुर के प्रथम श्रेणी के मास्टरों में है। इनका मुख्य काम जीवन भर स्कूल में पढ़ाना और प्राइवेट ट्यूशन करना रहा है। उसी साधारण तौर से इन्होने आर्थिक स्थिति अनुसार कई बहनों और भाइयों की शादियां की हैं तथा बेटों की पढ़ाई और शादी की हैं। इनके एक छोटे भाई कैप्टन रामकरण मिर्धा हैं जो एक बड़े सज्जन तथा उद्योग की मूर्ति हैं। जोधपुर सरकार से सवा ₹200 मासिक पेंशन पाते हैं और आजकल नागौर प्रबंधकारिणी कमेटी के प्रधान हैं। मास्टर साहब के 3 सुपुत्र और एक सुपुत्री है। सबसे बड़े पुत्र कुँवर सुखदेव मिर्धा बीए एलएलबी जो फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट और हाकिम हैं। दूसरे पुत्र कुंवर रामबक्श मिर्धा बीएएलएलबी मिरधा कोर्ट इंस्पेक्टर है। सबसे छोटे कुँवर रामकिशोर मिर्धा है जो


[पृ.181]: आजकल M.A. LLB में पढ़ रहे हैं। इनके दामाद बाबू आईदान सिंह सब इंस्पेक्टर कॉपरेटिव सोसायटी हैं। यह सब नवयुवक बड़े होनहार तथा प्रसन्नचित हैं।

जाति सेवा के नाते मास्टर साहब ने जातीय विद्या संस्थाओं में बड़े उद्योग के साथ काम काम किया है और शुरू से लेकर आज तक उसी लग्न के साथ इस कार्य में जुटे चले आ रहे हैं। समय के पाबंद हैं जीवन भर अपने सब कार्य नियम और समय की पाबंदी के अधीन रख कर जो सफलता और नाम इन्होंने कमाया है वह प्रशंसनीय है। जीवन भर अधिक उद्योग और परिश्रम करने के कारण उनकी आंखों की दृष्टि वह शक्ति बहुत कमजोर हो गई है। तिस पर भी ये कार्य में लगे रहते हैं।

संसार के अन्य लोगों व विशेषकर जाट जाति को इस परिवार से पाठ लेना चाहिए और सच्चे उद्योगो होकर उन्नति करनी चाहिए। यह परिवार मिर्धा बलदेवराम जी के परिवार की एक शाखा है जो मारवाड़ में आदर्श रूप है।

External links

Gallery

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.180-181
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.180-181

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