Ramkaran Singh Paroda

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search

Ramkaran Singh Paroda (रामकरण सिंह परोदा) was a freedom fighter from Ajmer district in Rajasthan. He was born at village Saradhana (सराधना) in Ajmer district in Rajasthan. After completing his graduation occupied many posts in govt service. He took part in freedom movement as well as did social services. He tried to calm down Jat-Rajput struggle in Jodhpur during 1947-48 but lost his life.

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ....चौधरी रामकर्णसिंह परोदा - [पृ.106]: आप ग्राम सराधना के निवासी हैं। आपके पिता का नाम चौधरी हजारीमल तथा पितामह का नाम चौधरी कालूराम जी है। आपके पितामह अभी जीवित हैं और उनकी आयु करीब 80 वर्ष की है। आपकी आयु इस समय 31 वर्ष के लगभग है।


[पृ.107]:आपकी वर्नाकुलर मिडिल तक की शिक्षा अपने गांव में हुई। फिर आपने गवर्नमेंट हाई स्कूल अजमेर से मैट्रिक सन् 1936 में पास किया। मैट्रिक पास करने के बाद आप जाट कॉलेज लखावटी में भर्ती हुए और वहां से सन् 1938 में FA (कृषि) पास किया। सन 1940 में बीएससी (कृषि) की डिग्री गवर्नमेंट एग्रीकल्चर कॉलेज कानपुर से प्राप्त की।

शिक्षा समाप्त करते ही आप को सरकार ने असिस्टेंट मार्केटिंग ऑफिसर अजमेर मेरवाड़ा के पद पर नियुक्त कर दिया। मार्केटिंग का महकमा इस जिले में बिल्कुल नया ही खोला गया था परंतु आपने इसका संचालन बहुत ही सुंदर रुप से किया। आपने अजमेर शहर में घी ग्रेडिंग स्टेशन खोला तथा देहात में उनके ग्रेडिंग की स्कीम जारी की। आपने युद्ध काल में अंग्रेजी असिस्टेंट रिक्रूटिंग ऑफिसर का कार्य भी किया। आपको अपने रिक्रूटिंग सेवाओं के उपलक्ष में सरकार का एक रिक्रूटिंग वेज प्रदान किया गया।

इस समय आप रूरल डेवलपमेंट ऑफिसर (ग्राम सुधार अफसर) के उच्च पद पर नियुक्त हैं। आप अभी हाल ही यूपी से इस पद की ट्रेनिंग ले कर आए हैं। आशा है कि आप से देहाती जनता का काफी हित होगा।

आपको विद्यार्थी जीवन काल से ही जाति प्रेम है। आपने अपने विद्यार्थी जीवन में अजमेर मेरवाड़ा जाट विद्यार्थी सभा की स्थापना की जिससे जाट नवयुवकों में जागृति उत्पन्न करने का सराहनीय कार्य किया।


[पृ.108]: आपके दो संतान हैं - एक पुत्र एक पुत्री जिनकी अवस्था 6 व 4 वर्ष है।

जीवन परिचय

गैलरी

सन्दर्भ

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.106-108

Back to Jat Jan Sewak


Back to The Freedom Fighters