Ramaka
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Ramaka (रामक) refers to name of a mountain mentioned in Mahabharata, which was conquered by Sahadeva during his victory march.
Variants
- Ramaka Parvata रामक (AS, p.787)
- Ramuka (Mahavansa/Chapter 35)
History
Rāmaka (रामक).— A mountain. Sahadeva, during his triumphal tour of the south, conquered this mountain. (Sabhā Parva, Chapter 31, Verse 68).[1][2]
Ramuka. A vihara in Ceylon, built by Gajabahukagamani in the last year of his reign (Mhv.xxxv.122). v.l. Bhamuka.[3][4]
Tej Ram Sharma[5] writes that Ramaka (रामक) is mentioned in Gupta Inscriptions (No. 29 L. 5) --Dhanaidaha Copper-plate Inscription (of the time of Kumaragupta I) Gupta Year 113 (=A.D. 432). It is also an abbreviated name possibly from Rama-datta (Cf. Panini V.3.82) with the addition Of the suffix 'ka'. In the Agni Purana it is the name of Rama Raghava.[6] It is formed from √ram and means delighting, gratifying. According to lexicographers a Ramaka is a Magadha who lives as a messenger. But here it is a personal name based on the Epic hero Lord Rama.
Sandhya Jain[7] mentions in the list of Mahabharata Tribes with unclear position in Kurukshetra War (p.128-146)-- Ramaka (रामक) - The people of the Ramaka mountain who were subdued by Sahdeva (II. 28.46) in the south.
In Mahabharata
Ramaka (रामक) (Mountain) in Mahabharata (II.28.46)
Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 28 mentions Sahadeva's victory march towards south: kings and tribes defeated. Ramaka (रामक) (Mountain) is mentioned in Mahabharata (II.28.46). [8]....and the whole of the Cole mountains (Kolla-giri), and also Surabhipatana (Murchipattana), and the island called the Copper island (Tamradvipa), and the mountain called Ramaka.
In Mahavansa
Ramuka - A vihara in in the city the Mahejasanasala (hall), Ceylon, built by Gajabahukagamani in the last year of his reign (Mahavansa/Chapter 35)
Mahavansa/Chapter 35 mentions... After Vankanasika Tissa 's death his son Gaja Bahu-I reigned twenty-two years. ....He erected the great Abhayuttara-thupa, making it greater, and to the four gates thereof he made vestibules. When the king had made the Gamanitissa-tank he bestowed it on the Abhayagiri-vihara for maintenance in food. He made a mantling to the Maricavatti-thupa and gave (land) thereto for the use of the brotherhood, having bought it for a hundred thousand (pieces of money). In the last year he founded the vihara called Ramuka and built in the city the Mahejasanasala (hall).
रामक
रामक (AS, p.787): रामक नामक एक पर्वत का उल्लेख महाभारत, सभापर्व 31, 68 में हुआ है- 'कृत्स्नं कोलगिरिं चैव सुरभीपत्तनं तथा, द्वीपं ताम्राह्वयं चैव पर्वतं रामकं तथा'। यह शायद रामेश्वरम् की पहाड़ी है। यह स्थान लंका में स्थित 'एडम्स पीक' (Adam's Peak) भी हो सकता है। इसे बौद्धों ने 'सुमनकूट' नाम दिया था। (दे. रामपर्वत) [9]
रामपर्वत
राम पर्वत (AS, p.790) का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है- 'कृत्सनं कोलगिरि चैव सुरभीपत्तनं तथा, द्वीपं ताभ्राह्वयं चैव पर्वतं रामकं तथा।' महाभारत, सभापर्व 31, 68. इस स्थान को पाण्डव सहदेव ने दक्षिण की दिग्विजय यात्रा में विजित किया था। महाभारत के उपरोक्त प्रसंग से यह स्थान रामेश्वरम् की पहाड़ी [p.791]: जान पड़ता है। इसका अभिज्ञान लंका में स्थित बौद्ध तीर्थ 'सुमनकूट' या 'आदम की चोटी' (Adam's Peak) से भी किया जा सकता है। प्राचीन किंवदंती के अनुसार इस पहाड़ी पर जो चरणचिन्ह बने हैं, वे भगवान राम के हैं। वे समुद्र पार करने के पश्चात् लंका में इसी पहाड़ी के पास पहुचे थे और उनके पावन चरण चिन्ह इस पहाड़ी की भूमि पर अंकित हो गये थे। बाद में बौद्धों ने इन्हें महात्मा बुद्ध के और ईसाईयों ने आदम के चरणचिन्ह मान लिया।[10]
सुवेल
विजयेन्द्र कुमार माथुर[11] ने लेख किया है ...सुवेल पर्वत (AS, p.981): लंका में समुद्र तट पर स्थित एक पर्वत जहां सेना सहित समुद्र-पार करने के उपरांत श्रीराम कुछ समय के लिए शिविर बनाकर ठहरे थे--'ततस्तम क्षोभ्यबलम् लङ्काधिपत्तए चराः, सुवेले राघवं शैले निविष्टं प्रत्यवेदयन्'. वाल्मीकि रामायण युद्धकांड 31,1 अर्थात तब रावण को उसके दूतों ने विशाल सेना से संपन्न राम के सुवेल पर्वत पर आगमन की सूचना दी. अध्यात्म रामायण 4,8 के अनुसार 'तेनैवजग्मु: कपयो योजनानां शतंद्रुतम्, असंख्याता: सुवेलान्द्रिं रुरुधु: प्लवगोत्तमा:' अर्थात उसी पुल पर से वानर सेना सौ योजन समुद्र पार चली गई और फिर असंख्य वानर वीरों ने सुवेल पर्वत को घेर लिया. तुलसीदास ने भी (रामचरितमानस, लंका, दोहा 10 के आगे) सुवेल पर्वत का इसी प्रसंग में इस प्रकार वर्णन किया है, 'यहां सुवेल शैल रघुवीरा, उतरे सेन सहित अति भीरा'.
सुवेल पर्वत बौद्ध साहित्य में वर्णित सुमनकूट और वर्तमान ऐडम्स पीक नामक पर्वत हो सकता है. इस पर्वत पर दो चरण चिन्ह बने हैं जो प्राचीन काल में भगवान राम के पैरों के निशान समझे जाते थे. महाभारत वन पर्व में इसी पर्वत को शायद रामक पर्वत या राम पर्वत कहा गया है.
External links
References
- ↑ Source: archive.org: Puranic Encyclopedia
- ↑ https://www.wisdomlib.org/definition/ramaka
- ↑ Source: Pali Kanon: Pali Proper Names
- ↑ https://www.wisdomlib.org/definition/ramaka
- ↑ Personal and geographical names in the Gupta inscriptions/Names of Local Officers, pp.64-65
- ↑ Sanskrit-English Dictionary by Monier Williams. p. 338, col. 2.
- ↑ Sandhya Jain: Adi Deo Arya Devata - A Panoramic View of Tribal-Hindu Cultural Interface, Rupa & Co, 7/16, Ansari Road Daryaganj, New Delhi, 2004,p.140, s.n.185.
- ↑ द्वीपं ताम्राह्वयं चैव पर्वतं रामकं तदा, तिमिङ्गिलं च नृपतिं वशे चक्रे महामतिः (II.28.46)
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.787
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.790
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.981