Sarurpur Kalan

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Sarurpur Kalan (सरूरपुर कलां) is a large village in Bagpat tahsil and district of Uttar Pradesh.

Location

Pincode of the village is 250619. It is situated 10km away from Baghpat city. This village has got its own gram panchayat. Tyodhi, Ahamadpur Gathina and Shikohpur are some of the nearby villages.

Jat gotras

History

Some families from Nirojpur village in Bagpat established this village.

इतिहास

इंद्रप्रस्थ से प्रस्थान: ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ....नैण गोत्र के कुछ लोगों ने इंद्रप्रस्थ से चलकर सरवरपुर बसाया और फिर भिराणी को आबाद किया। सरवरपुर जिसे अब सरूरपुर कहते बागपत तहसील में भिराणी बीकानेर की तहसील भादरा में है। कुछ समय पश्चात उन्हें भिराणी छोडकर जाना पड़ा।

भिराणी छोडकर जाना: ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....भिराणी छोडकर जाने का कारण इस प्रकार बयान किया जाता है कि एक नैण युवक बालासर (बीकानेर इलाका) में ब्याहा गया था। वह अपने ससुराल गया। कुछ तरुण युवतियों ने मज़ाक में उसको सौते हुये चारपाई से बांध दिया। पाँवों में रस्सी डालकर रस्सी एक भैंसे की पूंछ में बांध दी और कांटेदार छड़ी से भैंसे को बिदका दिया। भैंसा भाग खड़ा हुआ। युवक घिसटता हुआ मर गया। बहुत दिनों के बाद भिराणी का एक नैण उसी गाँव होकर कहीं जा रहा था। तो उस युवक की विधवा ने ताना दिया कि नैण तो सब मुर्दा हैं वरना अपने लड़के का बदला क्यों छोड़ते। वह नैण वापस लौट गया और नैण लोगों को लाकर बालासर पर चढ़ाई करदी। उन्होने बालासर में खूब मार-काट की। जब वे लौट गए तो बालासर के बचे-खुचे लोग पड़ौसियों को लेकर भिराणी पर चढ़ाई करदी। उन्होने भिराणी को तहस-नहस कर दिया। तभी की यह लोकोक्ति मशहूर है – “छिम-छिम मेहा बरसा, छीलर-छीलर पाणी, नैण-नैण उडी गए, खाली रहगई भिराणी”।

इसी भांति बालासर पर एक लोकोक्ति है – “माहियाँ आवे रिड़कदी, लस्सी हो गई खट्टी। शीश न गूंथावदी, बालासर की जट्टी।:

अर्थात बालासर की जाटनियों ने मांग निकालना बंद कर दिया। तात्पर्य यह है कि वे सब विधवा हो गई।

यह घटना 14वीं शताब्दी की है। बचे-खुचे नैण भिराणी को छोडकर अनेक स्थानों पर जा बसे। चौधरी हरिश्चंद्र जी का कहना है कि उनके पूर्वजों में से राजू लधासर, दूला बछरारा, कालू मालूपुरा, हुकमा केऊ, और लालू बींझासर में आबाद हुये। इन गांवों मे केऊ तहसील डूंगरगढ़ (बीकानेर डिवीजन) और बाकी तीनों गाँव रतनगढ़ तहसील (बीकानेर डिवीजन) में हैं।


ठाकुर देशराज [3] ने लेख किया है कि....[p.335]: यह पहले लिखा जा चुका है कि नैण गोत तंवर घराने के एक मशहूर सरदार नैणसी के नाम पर विख्यात हुआ। नैणसी का समय संवत 1150 अथवा सन् 1100 के आस-पास बैठता है। क्योंकि इनके एक वंशज किशनपाल ने विक्रम संवत 1260 अर्थात सन् 1203 ई. में सरवरपुर नाम का एक गाँव बागपत के पास बसाया था। ऐसा भाटों की बही से जान पड़ता है। सरवरपुर आजकल सरूरपुर नाम से प्रसिद्ध है। किशनपाल नैणसी से 5वीं पीढ़ी में है। 20 वर्ष एक पीढ़ी का मानते हुये नैणसी का समय 1150 और 1160 संवत में बैठता है और ईस्वी सन् 1100 के आस-पास बनता है।

यही समय तवरों का दिल्ली से निष्कासन का है। हमने तंवर वंश की एक तवारीख में यह पढ़ा है कि चौहानों का दिल्ली पर अधिपति होते ही तंवर दिल्ली को छोड़ गए। कुछ तंवर टेहरी और गढ़वाल की तरफ गए। कुछ द्वाब और हरयाणा में फ़ेल गए। इतिहासकार ऐसा कहते हैं कि तंवर राजा अनंगपाल ने निस्संतान होने के कारण पृथ्वीराज चौहान को


[p.336]: गोद ले लिया था। यह घटना सन् 1200 के आस-पास की है। इसका मतलब है कि नैणसी तंवर जिसके नाम से नैण गोत्र विख्यात हुआ पहले ही दिल्ली छोडकर जा चुका था और कहीं दोआब में बस गया था। अथवा वह उधर तंवर राज्य का सीमांत सरदार रहा होगा। उसी के 5वीं पीढ़ी के वंशज किशनपाल ने सरवरपुर (अब सरूरपुर) को आबाद किया।

Population

Population of Sarurpur Kalan according to Census 2011, stood at 12,990 (Males : 7116, Females : 5874).[4]

Notable persons

External Links

References



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