Bhagirath Karwasara

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Grenadier Bhagirath Karwasara

Bhagirath Karwasara (Grenadier) (10.1.1978- 08.06.2002) became Martyr of Militancy in Milanpur sector of Assam. He was awarded Shaurya Chakra (posthumous) for his act of bravery. He was from Karwasaron Ki Dhani, near Gotan, Merta city tahsil, Nagaur district in Rajasthan.

Unit - 13 Grenadiers

ग्रेनेडियर भागीरथ कड़वासरा

ग्रेनेडियर भागीरथ कड़वासरा

2687845W

10-01-1978 - 08-06-2002

शौर्य चक्र (मरणोपरांत)

वीरांगना - श्रीमती संतोष देवी

यूनिट - 13 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट

आतंकवाद विरोधी अभियान

ग्रेनेडियर भागीरथ कड़वासरा का जन्म 10 जनवरी 1978 को राजस्थान के नागौर जिले की मेड़ता तहसील के गोटन क्षेत्र की कड़वासरों की ढाणी गांव में श्री हपाराम कड़वासरा एवं श्रीमती मंगली देवी के परिवार में हुआ था।

5 जनवरी 1995 को वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 13 ग्रेनेडियर्स बटालियन में ग्रेनेडियर के पद पर नियुक्त किया गया था। ग्रेनेडियर भागीरथ अपने सेवाकाल में अधिकतर पूर्वोत्तर भारत में तैनात रहे थे। वर्ष 2002 में वह असम में तैनात थे।

8 जून 2002 को ग्रेनेडियर भागीरथ कड़वासरा असम के मिलानपुर गांव में घेरा और अन्वेषण अभियान में भाग ले रहे थे। आकस्मिक, एक झोंपड़ी से छिपे हुए उग्रवादी निकले और भागने लगे।

ग्रेनेडियर भागीरथ ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए भाग रहे उग्रवादियों को चुनौती दी। उग्रवादियों ने प्रत्युत्तर की कार्रवाई में तीव्र स्वचालित फायरिंग की और हथगोले फेंके। ग्रेनेडियर भागीरथ ने अपने घेरा दल पर गंभीर संकट को भांपते हुए, भीषण स्वचालित फायरिंग में भी भाग रहे उग्रवादियों का पीछा किया।

इस भयानक प्रक्रिया में उन्हें ठोड़ी और छाती पर गोलियों के घाव लग गए। गंभीर घाव होते हुए भी ग्रेनेडियर भागीरथ ने अति प्रचंड फायरिंग कर उग्रवादियों पर आक्रमण किया और अपने घेरा दल पर प्रभावी फायरिंग कर रहे एक कट्टर उग्रवादी को मार दिया।

अत्यधिक मात्रा में रक्त बहते हुए भी, ग्रेनेडियर भागीरथ वीरगति प्राप्त होने तक भागते हुए उग्रवादी का पीछा करते रहे और उस पर गोलियां चलाते रहे, जिससे उनका दल सुरक्षित रह पाया।

उसकी इस दुस्साहसिक कृत्य से अन्य आतंकवादी पूर्ण रूप से भयभीत हो गया। वह भागा और घेरा दल द्वारा मारा गया। उग्रवादियों से एक एके-56 राइफल, गोला-बारूद और विस्फोटक पाए गए।

ग्रेनेडियर भागीरथ ने अदम्य साहस, दृढ़ संकल्प, उदात्त धैर्य और प्रचंड साहस का परिचय दिया व सर्वोच्च बलिदान दिया।

26 जनवरी 2003 को उन्हें मरणोपरांत "शौर्य चक्र" से सम्मानित किया गया। 28 मार्च 2007 को गांव में इनके भव्य स्मारक का लोकार्पण किया गया।


Grenadier Bhagirath Karwasara

On 08 June 2002 Grenadier Bhageerath Karwasra was part of cordon and search operation launched in village Milanpur in Assam. Suddenly, holed-up terrorists broke through a hut and started fleeing.

Reacting speedily, Grenadier Bhageerath challenged the fleeing terrorists who retaliated with heavy automatic fire and grenades. Sensing grave danger to cordon party, Grenadier Bhageerath pursued the fleeing terrorists despite heavy automatic fire.

In the process, he sustained gun-shot wounds on chin and chest. Notwithstanding his critical injuries, Grenadier Bhageerath charged at the terrorists firing from the hip killing one hardcore terrorist who had been firing effectively at the cordon party.

Bleeding profusely Grenadier Bhageerath continued chasing and firing at the fleeing terrorist, thereby ensuing safety of the party, till he attained martyrdom.

His daredevil action totally unnerved the other terrorist who ran haywire and was killed by the cordon party. One AK-56 rifle, ammunition and explosives were recovered.

Grenadier Bhageerath displayed indomitable resolve, steely grit, determination and raw courage and made the supreme sacrifice.

Source - Ramesh Sharma

शहीद भागीरथ कड़वासरा का परिचय

अमर शहीद भागीरथ कड़वासरा का जन्म नागौर जिले की मेड़ता तहसिल के गांव कड़वासरोँ की ढाणी, गोटन मेँ 10 जनवरी 1978 को हुआ । आपके पिता का नाम श्री हपाराम व माता का नाम श्रीमति मंगलीदेवी है । आपका विवाह ग्राम टानणपुर, गोटन के श्री पूराराम बांगड़ा की पुत्री संतोष से हुआ । आपके एक पुत्री सुष्मिता है ।

सेना मेँ चयन: शहीद भागीरथ का चयन 5 जनवरी 1995 को भारतीय सेना की 13 ग्रिनेडियर्स बटालियन मेँ हुआ । आपने अपनी ज्यादातर देशसेवा पूर्वी क्षेत्र मेँ निभायी ।

शहादत: उस समय आप भारतीय सेना के मिलनपुर सेक्टर (आसाम) में तैनात थे । तभी आपको कुछ उग्रवादियोँ की घुसपैठ की खबर मिली । देशसेवा को परमोधर्म मानने वाले वीर सिपाही उग्रवादियोँ का विध्वंस करने निकल पड़े । तीन घंटे चली आमने सामने की मुठभेड़ मेँ सभी दुश्मन मार गिरा दिये गये । शहीद भागीरथ भी 5-6 दुश्मनोँ को मारकर देशहित मेँ बलिदान हो गये ।

शहीद का सम्मान

दिनांक 9 जून को शहीद का शव गांव लाया गया तथा पूर्ण ससैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया । 26 मार्च 2003 को शहीद भागीरथ को मरणोपरांत भारतीय सेना के "शौर्य चक्र सम्मान" से सम्मानित किया गया । 28 मार्च 2007 को गांव मेँ शहीद का भव्य स्मारक बनाया गया । जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन जल संसाधन मंत्री सांवरलाल जाटहनुमान बेनिवाल ने की ।

लेखक: Balveer Ghintala Tejabhakt

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