Shivdatt Singh Dhaka

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Shivdatt Singh Dhaka was a social worker who worked for the welfare of the Jats. He was from Nattha Singh Dhaka Ka Chak (नत्था सिंह ढाका का चक), Dhakawali, Bahawalpur (Pakistan). He was landlord of Puriudang. He was a Social worker at Sangaria in Hanumangarh, Rajasthan. He and his brother Harish Chandra Dhaka had came to India after partition. He was one of the founder members in developing the Sangaria Jat High School. [1]

जीवन परिचय

कुँवर शिवदत्तसिंहजी उड़ान भावलपुर स्टेट ने जाट इतिहास (उत्पत्ति और गौरव खंड) पुस्तक के छपाने के लिए सहायता दी। [2]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....चौधरी हरिश्चंद्रजी ढाका - [p.143]: जिनका सर्वस्य पाकिस्तान ने हज्म कर लिया, बड़ी जिम्मेदारी और अच्छी खासी पूंजी, कुछ भी अपने साथ नहीं ला सके। कुछ ही मिनटों में जो साह से मोहताज हो गए उन चौधरी हरिश्चंद्र ढाका को भरतपुर में प्रवास करने की इच्छा से आया देखकर मैं सन्न रह गया। बहावलपुर रियासत में उनका और उनके छोटे भाई हरिदत्त सिंह का बड़ा पैसा रहा था। नदियों के पानी से सींचे जाने वाली हजारों बीघे जमीन उनके पास थी। मैंने देखा भरतपुर की जमीन में यह क्या कमा सकेंगे।


[p.144]:और भरतपुर का भाग्य स्वयं खतरे में है। इसलिए उन्हें भरतपुर में बसाने में मुझे कोई आनंद की झलक न दिखी। वह मुझसे कुछ नाराज से होकर लौट गए। आज मैं देखता हूं ठीक ही हुआ जो वह भरतपुर में न बसे। मत्स्य की कांग्रेसी मिनिस्ट्री तमाम प्रवासी जाटों के पीछे पड़ी है और भगाने पर कटिबंध है।

चौधरी हरिश्चंद्र जी का बहावलपुर राज्य में एक स्वतंत्र गांव था - नत्था सिंह ढाका का चक। इसी प्रकार उनके भाई शिवदत्त सिंह जी पूरीउड़ांग के मालिक थे।

उन्होंने अपने संपन्नता के समय में कौमी कामों में भरसक मदद की है। संगरिया जाट हाई स्कूल की इमारतें चिल्ला-चिल्लाकर कहते हैं कि हमें ऊंचा करने में चौधरी हरिश्चंद्र जी ढाका की पसीने की कमाई का एक अच्छा अंश लगा हुआ है।

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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