Sitaram Kunthal
Sitaram Tomar or Sitaram Kuntal was a brave (Kuntal) clan Commander of Maharaja Nawal Singh of Bharatpur.
History
The fort at Pentha (पेंठा) near Goverdhan was constructed by Sitaram Tomar(Kuntal).[1]
राजा कौन्तेय सीताराम तोमर (कुंतल ) -पेठा (गोवेर्धन ) रियासत (भरतपुर के अधीन एक जागीर)
पेठा (प्राचीन नाम सूरतगढ़) मथुरा जिले की गोवर्धन तहसील में अवस्थित है। पेठा में प्राचीन किले के अवशेष टीले के रूप में वर्तमान देखा जा सकता है।
पेठा का इतिहास खुटेलपट्टी के इतिहास से जुड़ा हुआ है। दिल्लीपति महाराजा अनगपाल तोमर ने कुलदेवी मंशा देवी मंदिर के निर्माण में साथ साथ यहां आठ किले भी बनवाए थे। महाराज ने सुरक्षा की दृष्टि से कई गढ़ियों का भी निर्माण करवाया था।[2] महाराजा अनगपाल के पोते(पौत्र) बत्सराज देव के हिस्से में इस क्षेत्र की जागीरी आई थी।उनके नाम पर ही किला बछगाँव दुर्ग (बत्सगढ़) नाम से प्रसिद्ध हुआ । उस समय पेठा का स्वतंत्र अस्तित्व नही था यह क्षेत्र वत्सगढ़(बछगांव) के अधीन था।[3][4]
बत्सराज के कुछ पीढ़ी बाद यहाँ के राजा सूरतसिंह कुन्तल तोमर था। राजा सूरत सिंह 14 वी सदी में हुए थे। उन्ही के नाम पर पैठा को पहले सूरतगढ़ कहा जाता था।[5]
सोमवार के दिन राजा कुम्हा(अज्ञात वश के) पर विजय के बाद यहाँ प्रति सोमवार को यहां पालतू पशुओं की पैठ लगने से यह जगह जनमानस में पैठा नाम से प्रसिद्ध हुई थी।[6]
- अनगपाल के पुत्र भये जुरारदेव (सोहनपाल)
- जुरारदेव के पुत्र भैय बत्सराज महाबली
- बत्सराज ने बछगांव गढ़ बसायो
- मन से कियो राज्य ,तोमर वंश कौन्तेय की साखा
- कहाँ तक करू बखान
- अनंगपाल से पीछे चलो खुटेला वंश विशाल
कुछ समय यहां का इतिहास अंधकार के गर्त में रहने के बाद यहां के इतिहास की जानकारी 18 वी सदी में प्राप्त होती है।जब यहां पर सीताराम खूटेल का राज्य था। सीताराम, राजा सूरजमल के समकालीन थे । सीताराम भरतपुर रियासत के प्रसिद्ध सेनापति थे। पेठा भरतपुर रियासत के अधीन एक जागीरी थी।। इन्होने पेठा के किले का पुनः निर्माण करवाया था।[7]
मुस्लिम हमलो में अब यह किला पूर्ण रूप से नष्ट हो चूका है ।वर्तमान में यह दुर्ग भूमि के नीचे दफ़न है ,ऐसा किदवंती है की इस दुर्ग में बहुत बड़ी मात्रा में खजाना छुपा हुआ है। पुरातत्व विभाग ने इस क्षेत्र की भूमिगत फोटोग्राफी भी करवाई थी ।जिसे यहाँ किले और उसके साथ के मंदिर होने के प्रमाण मिले है यह मंदिर तोमरवंशी कौन्तेय कुल देवी का है ।वर्तमान में इस जगह आसपास तोमरवंशी कुंतल जाटों की आबादी बसी हुई है। [8]
महाराजा सूरजमल के पूर्वजो ने सिनसिनवार और खुटेल जाटों का एक संघ बनाया था। इस संगठन को सिन-खूट नाम से जाना जाता था।पराक्रमी वीरवर महाराजा सूरजमल की युद्ध में सहायता के खुटेलपट्टी (तोमरवाटी) हमेशा तैयार रही उस समय मथुरा में 5 दुर्ग प्रमुख थे अडिंग ,सोंख फराह ,पेठा (गोवेर्धन ),फराह
External links
References
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter VIII,p.561
- ↑ Pandav gatha Writter Kanwar pal singh
- ↑ Pandav gatha Writter Kanwar pal singh
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter VIII,p.561
- ↑ Pandav gatha Writter Kanwar pal singh
- ↑ Pandav gatha Writter Kanwar pal singh
- ↑ Pandav gatha Writter Kanwar pal singh
- ↑ Pandav gatha Writter Kanwar pal singh
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