Subedar Chhotu Ram Sheoran

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Subedar Chhotu Ram Sheoran

Subedar Chhotu Ram Sheoran (17.5.1912-6.1.1982) from village Ahulana, tahsil Gohana, district Sonipat (Haryana) was born in the family of Sh. Molu Ram Sheoran and Smt. Basanti Devi of Nandal Gotra from village Bohar, Rohtak in Haryana. He joined 15 Punjab Regiment in 1932 and soon promoted to the post of Subedar. He fought World War II in Burma and was awarded with Military Cross, Burma Star, War Medal and 1939-1945 Star Medal for his remarkable acts of bravery. In addition to this he was allotted an agricultural land in Montgomery, Pakistan which was transferred to Puthi Gohana, Gohana, Sonipat, Haryana after division of the country.

सूबेदार छोटूराम श्योराण का जीवन परिचय

सूबेदार छोटूराम श्योराण का जन्म 17 मई, 1912 को गांव आहुलाना तहसील गोहाना जिला सोनीपत (हरियाणा) के साधारण किसान परिवार में श्योराण गोत्र में हुआ था । आपके पूर्वज किसी समय में जिला भिवानी के गाँव मंढोली कला से यहाँ आये थे । सूबेदार छोटू राम के पिताजी का नाम श्री मोलू राम श्योराण और माताजी का नाम बसंती देवी था। उनकी माताजी का गोत्र नांदल था और वह बोहर, जिला रोहतक की रहनेवली थी। वह बचपन से ही आर्य समाज परिवार से जुड़े हुए थे । उनका बचपन का नाम दरिया सिंह था। सूबेदार छोटूराम के 6 भाई और एक बहन थी, उन्हें प्यार से छोटू बोला जाता था । उनका विवाह छन्नो देवी गोत्र हुड्डा, निवासी सांघी, जिला रोहतक के साथ हुआ।

प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक पाठशाला में हुई । उन्हें बचपन से पहलवानी का शौक था ।

सेना में उपलब्धियाँ

आप 21 सितंबर सन 1932 में 15वीं पंजाब रेजीमेंट, भारतीय शाही सेना में भर्ती हुए और कुछ समय बाद उन्हें सूबेदार का पद हासिल हुआ । उनके उल्लेखनीय कार्यो के कारण 15वीं पंजाब रेजीमेंट के अंदर बहुत बड़ी जिम्मेवारी मिली । द्वितीय विश्वयुद्ध 1939-45 बर्मा में उनकी अनेक उपलब्धियां रही । इस युद्ध में 15वीं पंजाब रेजीमेंट रिसाले के बहुत थोड़े सैनिक बचे रहने पर भी और अग्रिम चोकी पर गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद बहादुरी से लड़े और विजय पताका फहराने का गौरव प्राप्त हुआ। उनकी इस उल्लेखनीय वीरता, अदम्य साहस और कर्तव्यनिष्ठा अनुशासन और सच्ची देशभक्ति का परिचय देने के फलस्वरूप उन्हें सेना की तरफ से मिलिट्री क्रॉस, बर्मा स्टार, वार मेडलदि 1939-1945 स्टार महावीर चक्र से सम्मानित किए गए। सूबेदार छोटू राम रोहतक व सोनीपत ज़िले के मिलिट्री क्रॉस से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति थे |

उन्हें सरकार की तरफ से पाकिस्तान के माउंट गुमरी में एक मुरब्बा कृषि भूमि दी थी जिसे देश विभाजन के बाद पुट्टी (गोहाना सोनीपत) में ट्रांसफर कर दी गई थी, पुट्टी में एक हवेली और 5 गाँव की नंबरदारी भी दी गई थी। यह हवेली अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है।

1939-45 बर्मा में लड़ाई लड़ी

25.1.45 को सूबेदार छोटूराम बर्मा में नेकपीसिन के क्षेत्र में एक लड़ाई गश्तीदल की कमान संभाल रहे थे। लगभग 1200 घंटे गश्त करने वाले प्रमुख दुश्मन की गोलियां को देखते हुए और लगभग तुरंत बाद अपनी सेना की टुकड़ी को एल.एम.जी. द्वारा तीन तरफ से निकाल दिया गया, जो दुश्मन के ठिकानों से था।

सूबेदार छोटूराम ने एक बार अपने गश्तीं दल को आग लौटाने का आदेश दिया। गश्ती तब ग्रेनेड डिस्चार्ज आग की चपेट में आ गया, जिसमें चार लोग घायल हो गए। गश्ती दल को वापस लेने और हताहतों को निकालने के लिए सूबेदार ने एक बार आगे की ओर धराशायी कर दिया और गश्ती की वापसी को कवर करने के लिए खुद एक ब्रेन गन मंगा ली। जब वह सेरटेन कर रहा था कि गश्ती के शेष भाग को स्पष्ट कर दिया गया था कि सब ने ब्रेन गनर को वापस लेने का आदेश दिया था और हालांकि दो आईएनआर को निकालने की कोशिश करने के लिए अपनी स्टेन गन से खुद को रेंगते हुए आगे बढ़ गए, जो गंभीर रूप से घायल थे और भारी मशीन गन के तहत आग। सूबेदार ने इन लोगों तक पहुंचने के लिए कई बार कोशिश की, जब तक कि वह खुद घायल न हो जाए। सूबेदार छोटूराम अंततः शत्रु के बारे में बहुमूल्य जानकारी लाते हुए परिधि में लौट आए। सूबेदार छोटूराम की विशिष्ट वीरता और शांत-चित्तता इस साथियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण था और यह पूरी तरह से उनके साहसी कार्यों के कारण था कि उनके कई गश्ती एक अनैतिक स्थिति से निकाले गए थे। सूबेदार छोटूराम को 1943 में अरकान में एक आईडीएसएम के लिए सिफारिश की गई थी, लेकिन एक मिल्ट्री क्रॉस 15वीं 1945 से सम्मानित किया गया था और 50दिन बाद बुरी तरह से घायल हो गए थे जिन्होंने अपनी बहादुरी का परिचय दिया काफी समय तक युद्ध चलता रहा और फिर कुछ दिन बाद सेना के अफसरों ने उनको घायल हुए मिला और उन्हें हस्पताल में भर्ती कराया गया 24मई को लंदन में मिल्ट्री क्रॉस देने का घोषणा की गई थी और 10-10-45को सेना से सेवानिवृत्त हुए

समाज सुधार

सेवा निवृत्ति के बाद स्वतंत्रता आन्दोलनों में बढ चढ कर हिस्सा लिया । आजादी के बाद उन्होंने अनेक समाज सुधार के कार्य जैसे नशा विरोधी, जाति प्रथा, आर्य समाज के माध्यम से शिक्षा का प्रचार प्रसार, मांसाहार का विरोध,मूर्ति पूजा का खंडन व समाज में व्यापत कुरीतियों का विरोध किया । दूर दूर तक खाप पंचायतों में सटीक निर्णय देने के लिए उन्हे बुलाया जाता था। सामाजिक कार्यक्रमों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए उन्हें भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा सम्मानित किया गया।

1960 में गांव के सरपंच बने, 1968 में जिला सैनिक बोर्ड रोहतक के सचिव रहे एवं 1970 में ब्लाक समिति के चेयरमैन चुने गये । हरियाणा पंजाब राजस्थान महापंचायत के प्रमुख सदस्य रहे और खानपुर गुरुकुल के कई वर्ष तक प्रधान भी रहे। कई वर्ष तक आर्य समाज आहुलाना के प्रधान तथा खानपुर गुरुकुल महासभा के पदाधिकारी रहे । एक अच्छे सामाजिक और राजनैतिक नेता के रूप में आज भी उनको एक प्रेरणा के रूप में जाना जाता है । किसानों के मसीहा सर छोटू राम के काफी प्रिय रहे । पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, आर्य सभा के संस्थापक पूर्व सांसद स्वामी इंद्रवेश , स्वतंत्रता सेनानी एवं आर्य समाज के प्रसिद्ध भजनोपदेशक धर्मपाल सिंह भालोठिया, स्वतंत्रता सेनानी रणवीर सिंह हुड्डा व पूर्व सांसद व डी सी रामनारायण चौधरीे उनके प्रमुख रहे। आपकी ससुराल सांघी में होने के कारण सांघी के स्वतंत्रता सेनानी चौधरी रणवीर सिंह हुड्डा के काफी निकट रहे । सिसाना के परमवीर चक्र विजेता कर्नल होशियार सिंह दहिया के पास अच्छा आना जाना था ।

स्वर्गवास

6 जनवरी 1982 को हृदय गति रुक जाने के कारण उनका देहांत हो गया। इस अवसर पर सामाजिक, धार्मिक, आर्य समाज एवं राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं तथा गणमान्य व्यक्तियों ने भारी संख्या में पधारकर इन को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके द्वारा किए गए कार्यों एवं उपलब्धियों के कारण इनको सदैव आदर सहित याद किया जाता रहेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए ये मार्गदर्शक के रूप में सदैव जाने जाएंगे।

उनका परिवार

सूबेदार छोटू राम के चार पुत्र रतन सिंह, भूप सिंह, सतवीर सिंह, धर्मवीर सिंह एवं तीन पुत्रियां हैं। जिनमें बड़ा पुत्र रतन सिंह हैडमास्टर से दूसरा भूप सिंह कृषि विभाग व तीसरा सतवीर सिंह बैंक सेवा से सेवानिवृत्त हुए व चौथा धर्मवीर सिंह किसान था। सतवीर सिंह, आर्य समाज के लिए कार्य करते हैं एवं राजनैतिक व सामाजिक कार्यकर्ता है।

सूबेदार छोटू राम के 8 पौत्र हैं: 1. डा.प्रदीप, 2. गुलाब सिंह, 3. कर्मपाल सिंह, 4. आनन्द कुमार पुत्रान रतन सिंह; 5.विजयपाल, 6. जितेन्द्र कुमार पुत्रान भूप सिंह; 7. विकास कुमार पुत्र सतवीर आर्य; 8. संदीप कुमार पुत्र धर्मवीर

सूबेदार छोटूराम के 12 पड़पौत्र ललित,अंकित,मोहित,अमित,रोहित,सुमित,अजीत,अनीश,वंश,दिव्य,अरुण व मयंक हैं। सूबेदार जी के पड़पौत्र मोहित श्योराण पुत्र गुलाब सिंह अपने परदादा जी की रीति-नीतियों को आगे बढाते हुए राजनैतिक व सामाजिक क्षेत्र में अच्छी पहचान बनाई है। इनके पड़पौत्र राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी रहे हैं जिनमें अमित श्योराण पुत्र गुलाब सिंह श्योराण बाक्सिंग तथा दिव्य श्योराण पुत्र विकास श्योराण ने जूडो कराटे में गोल्ड मेडल जीते हैं। आज भी सूबेदार जी का परिवार सामाजिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध परिवार माना जाता है। अब उनकी चौथी पीढ़ी में मयंक श्योराण नए सदस्य के रूप में हैं।

मोहित श्योराण

मोहित श्योराण का जन्म 10 जनवरी 1996 को गांव आहुलाना तहसील गोहाना जिला सोनीपत मैं आर्य समाज परिवार सूबेदार छोटू राम के घर में हुआ। उनके पिताजी गुलाब सिंह श्योराण एक साधारण किसान परिवार से हैं और माताजी श्रीमती निर्मला देवी एक साधारण महिला हैं। मोहित श्योराण का बचपन अपने ननिहाल में बिता और उन्होंने एक अच्छे संस्कारी शिक्षा को प्राप्त किया और साथ में सामाजिक और रीति रिवाजों के साथ अपने परिवार ने अपने परदादा सूबेदार छोटू राम की तरह है। उन्होंने समाज के प्रति अनेक कार्य किए।

उनके समाज में अनेक उपलब्धियां मोहित ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करके विश्वविद्यालय के अंदर शिक्षा के साथ हासिल की। उन्होंने अपने जीवन में सामाजिक कार्य तथा राजनीति की शुरुआत की। मोहित श्योराण एनएसयूआई के छात्र संघ गोहाना के अध्यक्ष रहे तथा उन्होंने सामाजिक कामों में जैसे ब्लड कैंप का आयोजन और पेड़ पौधों तथा गरीब और आर्थिक मदद के लिए लोगों के लिए कार्य करते रहते हैं। उन्होंने अपने परदादा सूबेदार छोटूराम श्योराण की नीतियों पर चलकर समाज में उनके नाम को आगे बढ़ाया है।

सूबेदार छोटूराम के जीवन पर कविता

मोलू राम श्योराण के घर में, खुशी हुई बड़ी भारी।
एक बालक ने जन्म लिया, खुश होगी नगरी सारी।
17 मई 1912 था जब, इस बालक का जन्म हुआ।
वैदिक रीति के द्वारा, बुला पंडित नाम करण हुआ ।
सारे घर में खुशबू होगी,जब मंत्र बोले और हवन हुआ ।
नाम धरया दरियाव सिंह, लोगों का आवागमन हुआ।
देशी घी के लाड्डू बांटे जिनमै बड़े जोर की खुशबू आरी।।
शान का सुथरा रंग का गोरा,यो तेरा बंसती छोरा।
अगड़ पड़ोसन न्यु बोली, यो जणो सै शीशम का पोरा।
माथे ऊपर धमक इसी, जणो घी का भरया कटोरा।
इसा लागै सै बड़ा होके, दिखावेगा यो गजब डिठोरा।
हुई उमर जब पांच साल की करी स्कुल जाण की त्यारी।।
खेल कूद पढ़ने लिखणे में, था होशियार गजब का।
कुश्ती करण लाग्या सुथरी, यूँ बणग्या प्यारा सबका।
फेर सेना मे भर्ती होग्या, क्योंकि ठीक ठाक था कदका।
कुछ दिन में ही इसे काम करे, मिल्या सूबेदार का तमका।
हुआ दूसरा विश्व युद्ध, उडै जमकै लङ्या खिलारी ।।
महावीर चक्र मिल्ट्री क्रोस मिले, इसा करया था काम।
दरियाव सिंह नै बचपन में सब कहै थे छोटूराम ।
रिटायर हुआ पैन्शन होगी,अपने आया आहूलाना गाम।
छन्नो देवी धर्म पत्नी थी, था जिसका सांघी गाम।
आर्य विद्वान सन्यासी और घर आवे थे प्रचारी।।
सामाजिक कामों का करणा,थे ऊँचे आचार विचार।
1960 मे सरपंच बणा दिया, गाम नै देख व्यवहार।
फेर ब्लाक समिति के मैम्बर बण, करी सब अच्छी कार।
राष्ट्रपती नै सम्मान किया,खुश होगी थी सरकार।
गुरुकुल खानपुर के प्रधान बणा,देदी थी जिम्मेदारी ।।
छोटूराम सूबेदार साहब का, बहुत बड़ा परिवार।
तीन बेटी सुयोग्य सुशील और घर मैं बेटे चार।
8 पोते,सात पोती,सबके हैं वैदिक विचार।
12 प्रपोत्र,8 प्रपोत्री ,
सबका आपस मे प्यार।
6 जनवरी सन 82 में वह, गये छोड़ थे दुनिया दारी।।

बाहरी कड़ियाँ

S.No. Cat Name Rank Number Regiment Theatre Award Date of announcement in London Gazette -
1146 WO 373/37 Chhottu Ram Subadar 30953-I.O. 1 Battalion 15 Punjab Regiment Burma Military Cross 03 May 1945 26 Apr-24 May 1945

संदर्भ

  • सुरेन्द्र सिंह भालोठिया जयपुर द्वारा समस्त अभिलेख whatsapp से उपलब्ध कराये गए हैं (Mob:9460389546)

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