Sukhvir Singh Batar

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Sukhvir Singh Batar is from village Batranau, Laxmangarh, Sikar, Rajasthan. His role in promoting education in Sikar district is worth praising particularly in Institutes like Jat Boarding House Sikar and Gramin Mahila Shikshan Sansthan Sikar.

जीवन परिचय

रणमल सिंह[1] लिखते हैं कि अध्ययन के दौरान सुखवीर सिंह बाटड़ जो मेरे से डेढ़ वर्ष छोटा था, मेरा कुछ समय तक सहपाठी रहा। उसने मुझे कहा कि मेरे गाँव के सारे लड़के मुकुंदगढ़ (झुञ्झुणु) पढ़ने चले गए हैं, इसलिए मेरा यहाँ मन नहीं लग रहा है। मास्टर उमरदान जी बारेठ मेरे पढ़ाई में होशियार होने से मुझसे प्रभावित थे, उनसे अनुरोध कर मैनें सुखवीर सिंह बाटड़ की टीसी कटवाकर मुकुंदगढ़ पढ़ने जाने में मदद की।

ग्रामीण महिला शिक्षण संस्थान

रणमल सिंह[2] लिखते हैं कि सीकर जिले में बालिका शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर सहयोग देना मेरा उद्देश्य रहा, परंतु सीकर शहर में दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों के अध्ययन की व्यवस्था एवं आवास की व्यवस्था की सदैव कमी रही। वर्ष 1986 में सुखवीर सिंह बाटड़ के साथ मिलकर ग्रामीण महिला शिक्षण संस्थान की स्थापना करने में मैं संस्थापक सदस्य रहा। श्रीमति कमला बेनीवाल तत्कालीन राजस्व मंत्री, राजस्थान सरकार के सहयोग से भूमि आवंटन शिवसिंहपुरा में करवाया गया। इस संस्थान के लिए भूमि आवंटन के पश्चात भवन निर्माण हेतु राशि चंदे के रूप में एकत्र करना बड़ी चुनौती थी। प्रारम्भ में 1100 रुपये प्रति सदस्य चंदा लेने एवं 100 सदस्य बनाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़े। चैनसिंह आर्य, लक्ष्मण सिंह सुंडा एवं सूरजमल ठेकेदार की दृढ़-निश्चयी, ईमानदार एवं स्वच्छ छवि के कारण यह संस्थान उत्तरोत्तर विकास की ओर अग्रसर हुई। आज यहाँ न केवल दो छात्रावास हैं अपितु सीनियर सेकंडरी स्कूल एवं पी. जी. कालेज भी संचालित हैं। बालिका शिक्षा में आज राजस्थान में झुंझुनूं के बाद सीकर जिले का नाम है। कालेज व्याख्याता, अध्यापक ही नहीं आई.ए.एस./आई.पी.एस./आई.आर.सएस. आदि अखिल भारतीय सेवाओं में भी सीकर की लड़कियां चयनित होकर आगे आ रही हैं।

External links

References

  1. रणमल सिंह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 119
  2. रणमल सिंह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 130-131

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