Swami Jairamdas

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Swami Jairamdas (स्वामी जयरामदास जी) Gotra (-----), from Mandha, Sikar, was a saint, social worker and freedom fighter. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....स्वामी परमदास जी - [पृ.489]: रेवाड़ी फुलेरा रेलवे कार्ड लाइन पर भैंसलाना एक स्टेशन है। स्टेशन से पश्चिम की ओर मंढ़ा एक गाँव है। यहीं पर दादू संप्रदाय के साधुओं का एक मठ है। स्वामी परमदास जी इसी मठ के अंतिम जाट महंत थे। आप तीन भाई थे। बालदास जी, जयरामदास जी और परमदास जी। तीनों ही भाइयों ने संत रहते हुए जाट कोम की भारी सेवा की है।

स्वामी बालदास जी ने चौधरी हरलाल सिंह अलवर को श्रीमाधोपुर के पास जाटों में शिक्षा प्रसार के लिए रुपए देकर मदद की किंतु का वह काम पूरा नहीं हुआ।

जयरामदास जी जयपुर में ही समस्त भारत के जाटों में 20 वीं सदी के अद्वितीय पंडित और चिकित्सक है। आपने बीसियों हजारों की रसायने और काष्ठादिक औषधियां अपने पीछे छोड़ी थी। आपको इतिहास से बड़ा प्यार था। राजस्थानी जाटों के बारे में कई महत्वपूर्ण खोजें की थी। पूरा जीवन परिचय साधुमना चौधरी रीछपाल सिंह जी धमेडावासी ने लिखा है जो प्रकाशित हो चुका है।

अपने दोनों भाइयों के मरने पर स्वामी परमदास जी अपने मठ और गद्दी के मालिक हुए। वह बहुत कम पढ़े लिखे थे किंतु उनकी रुचि जाट कौम के हित के लिए अद्वितीय थी। उन्होंने अपने भाई की तमाम संपत्ति (औषधालय) जाट महासभा और किरथल आर्य महाविद्यालय को दान कर दी और अंतिम दिनों में तो उन्होंने अपना शरीर भी किरथल महाविद्यालय को दे


[पृ.490]: दिया। उन्हें गीता से अत्यंत प्रेम था। वह उनकी प्रिय पुस्तक थी उसके प्रचार पर जोर दिया था।

जीवन परिचय

External links

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.489-490
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.489-490

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