Swati Dudhwal

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Swati Dudhwal

Swati Dudhwal (born 21 April 1995) is from Sujangarh town in Churu district of Rajasthan. She is a female compound archer and part of the national team. She won the silver medal at the 2015 Asian Archery Championships in the women's team event.

स्वाति दूधवाल का परिचय

स्वाति ने कक्षा 6 से 12 वीं तक वालीबाल खेला। जूनियर, सब-जूनियर और सीनियर नेशनल में वालीबाल में हिस्सा लिया। जयपुर के महारानी कालेज में एडमिशन वालीबाल के आधार पर हुआ लेकिन आज इसी खिलाड़ी ने विश्व यूनिवर्सिटी तीरंदाजी में स्वर्ण पदक जीत लिया। स्वाति जब चुरू के आदर्श विद्यामन्दिर से पढ़कर जयपुर आई और कालेज में एडमिशन लिया तो वालीबाल की प्रेक्टिश करने के लिए रोजाना एसएमएस स्टेडियम आने लगी। वालीबाल टीम गेम था इसलिए अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी नेम और फेम नहीं मिलता था। बस इसी कारण से व्यक्तिगत खेल में हिस्सा लेने के लिए तीरंदाजी सबसे ज्यादा पसंद आया। स्वाति के पिता गिरधारी दूधवाल ने भी इसमें स्वाति का साथ दिया। हैसियत न होते हुये भी स्वाति को 2.50 लाख का धनुष खरीद कर दिया। स्वाति के पिता गिरधारी दूधवाल चुरू में कांस्टेबल हैं। स्वाति पहली तीरंदाज है जिसने राजस्थान यूनिवर्सिटी को खेलों में स्वर्ण पदक दिलाया। [1]

कु स्वाति दूधवाल - प्रगतिनगर, सुजानगढ़, ने अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी में हुये जुलाई 2013 एसियन ग्रांड विश्वकप में रजत पदक जीता था। [2]

अंतर्राष्ट्रीय पदक

  • एसियन तीरंदाजी चैम्पियनशिप - 2015 टीम रजत
  • एसियन तीरंदाजी ताईपे ओपन - 2015 कांस्य
  • यूथ वर्ल्ड तीरंदाजी चैम्पियनशिप - 2013 टीम कांस्य
  • एसियन तीरंदाजी ग्रां पी - 2013 टीम कांस्य

राष्ट्रीय पदक

  • नेशनल गेम्स - 2015 टीम स्वर्ण
  • सीनियर नेशनल तीरंदाजी - 2015 टीम स्वर्ण
  • सीनियर नेशनल तीरंदाजी - 2014 टीम स्वर्ण

समाचार जगत में स्वाति

भारत का वल्र्ड यूनिवर्सिटी आर्चरी चैम्पियनशिप में यह पहला स्वर्ण पदक है। चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील के गांव धां की स्वाति अब तुर्की में होने वाले तीरंदाजी विश्व कप के तीसरे चरण में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।[3]

स्वाति दूधवाल शेखावाटी में कमाल की बेटी है। एमए की पढ़ाई के साथ-साथ तीरंदाजी में नित नई उपलब्धि हासिल कर रही है। रविवार को मंगोलिया में आयोजित वल्र्ड यूनिवर्सिटी आर्चरी चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। स्वाति राजस्थान के चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील के गांव धां की रहने वाली हैं। सोमवार को वह मंगोलिया से भारत के लिए रवाना हुई। पूरा चूरू उसके स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए उसका इंतजार कर रहा है।

अब तक इन देशों में जीते पदक

स्वाति वर्ष 2015 में थाइलैण्ड में एक नवम्बर से 9 नवम्बर तक हुई 19वीं एशियन तीरंदाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीता।

8-16 अगस्त तक चीन में हुई एशियन तीरंदाजी प्रतियोगिता में कांस्य, 2013 में 11-21 सितम्बर तक चीन में आयोजित यूथ वल्र्ड तीरंदाजी प्रतियोगिता में कांस्य और

2013 में ही मंगोलिया में हुई द्वितीय एशियन ग्रांड प्री तीरंदाजी में भी कांस्य जीता। इसके अलावा भी कई देशों में अनेक पदक अपने नाम किए हैं।

स्वाति का जन्म वर्ष 1995 में हुआ। महज 21 साल की उम्र में कई मैच खेल चुकी है। इंटरनेशनल लेवल पर आधा दर्जन से ज्यादा देशों में हुई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया, वहीं नेशनल लेवल पर अधिकांश राज्यों में खेल चुकी है। इनमें केरल, यूपी, दिल्ली, झारखण्ड, आंध्रप्रदेश, असम, कर्नाटक, तमिलनाड़ू, हरियाणा, राजस्थान व पंजाब राज्य शामिल हैं।

-11 बार इंटरनेशनल लेवल पर खेले मैच

-नेशनल लेवल पर 9 बार तीरंदाजी व 11 बार वॉलीबाल के मैच खेले

-3 बार यूनिवर्सिटी लेवल के मुकाबलों में हिस्सा लिया।

स्वाति के पिता गिरधारी लाल दूधवाल राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं। फिलहाल चूरू जिले के छापर पुलिस थाने में पोस्टेड हैं। माता ललिता गृहणि हैं। स्वाति की छोटी बहन का नाम सारिका व भाई का नाम सिद्धार्थ है।


इतने साल तक वॉलीबाल खेला: स्वाति तीरंदाजी से पहले वॉलीबाल खेला करती थी। पिता गिरधारी लाल बताते हैं कि खेल के प्रति इतनी लगन थी कि वह सुबह पांच बजे उठकर साइकिल लेकर वॉलीबाल खेलने निकल जाती थी। कक्षा छह से 12 वीं तक स्वाति वॉलीबाल खिलाड़ी रही। नौ बार वॉलीबाल की नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया।


पढ़ाई करने गई तो इसलिए बदला खेल: स्वाति ने कक्षा छह से दस तक की पढ़ाई सुजानगढ़ के आदर्श विद्या मंदिर स्कूल से की। इसके बाद 11वीं व 12वीं सीकर के ग्रामीण शिक्षण संस्थान से उत्तीर्ण की। प्रथम वर्ष की पढ़ाई के लिए जयपुर के महारानी कॉलेज में दाखिला लिया। उस वक्त स्वाति जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में वॉलीबाल खेलने जाती थी। तब तय किया कि वॉलीबाल की बजाय किसी एक व्यक्ति खेल में मेहनत की जाए और वॉलीबाल छोड़ तीरंदाजी की राह चुनी। बांसवाड़ा निवासी कोच धनेश्वर माहिड़ा ने तीरंदाजी में स्वाति की प्रतिभा को निखारा।


मंगोलिया के बाद अब बारी तुर्की की: मंगोलिया में राजस्थान विश्वविद्यालय की स्वाति, तेलंगाना की ज्योति सुरेखा और पंजाब की प्रियांशु कच्छप की भारतीय तिकड़ी ने फाइनल में रूस को 228-220 को हराया।


भारतीय टीम ने क्वार्टरफाइनल में ब्रिटेन को 219-218 से और सेमीफाइनल में अमरीका को 228-225 से मात दी थी। भारत का वल्र्ड यूनिवर्सिटी आर्चरी चैम्पियनशिप में यह पहला स्वर्ण पदक है।

स्वाति अब तुर्की में होने वाले तीरंदाजी विश्व कप के तीसरे चरण में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

External links

References

  1. Jat Gatha, 7/2006,p. 28
  2. Pitha Ram Guleria, Sujangarh Jat Samaj Nirdeshika, 2015, p.78
  3. Patrika news network Posted: 2016-06-06

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