Shveta
Shveta (श्वेत) may refer to 1. Shveta Varsha (श्वेतवर्ष), 2. Shveta Giri (श्वेतगिरि).
Variants
- Shveta श्वेत (1) = Shveta Varsha (श्वेतवर्ष) (p.926)
- Shveta श्वेत (2) = Shveta Giri (श्वेतगिरि) (p.926)
Jat clans
Mention by Panini
Shveta (श्वेत) is a place name mentioned by Panini under Sutangamadi (सुतंगमादि) (4.2.80.14) group. [1]
History
In Mahabharata
Shveta (शवेत) is mentioned in Mahabharata (II.25.1), (VI.9.2) as a Mountain; Shveta as a king is mentioned in verse (IX.44.59), (XIII.116.69) and Shveta (श्वेता) as a Lady in verse (IX.45.22).
Anusasana Parva/Book XIII Chapter 116 gives List of Kings who had abstained from flesh in Karttika month. Shveta is mentioned in verse (XIII.116.69). [2]
Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 25 mentions that Arjuna subjugated the countries that lay to the North, Arjuna arrives to conquer Harivarsha. ...""that heroic and foremost of the Pandavas endued with great energy, crossing the White mountains, subjugated the country of the Kimpurushas ruled by Darunaputra...." [3]
Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 9 mentions that Dhritarashtra asks Sanjaya to tell the names of all the Varshas, and of all the mountains, and also of all those that dwell on those mountains. Shveta Mountain is mentioned in verse (VI.9.2)....."On the south of Sweta and the north of Nishadha, is the Varsha, called Ramanaka. The men that are born there are all of white complexion..." [4]
Shalya Parva, Mahabharata/Book IX Chapter 44 mentions about all the warriors who came to the ceremony for investing Kartikeya with the status of generalissimo. Shveta king is mentioned in verse IX.44.59. [5]
Shalya Parva, Mahabharata/Book IX Chapter 45 gives List of the mothers who became the companions when Skanda was installed. Shveta (श्वेता) warrior mother is mentioned in verse (IX.45.22).[6]
Virata's son Sweta was a great warrior, described as a commander of Matshya army. However the role he played was that of a commander-in-chief, for the whole of Pandava army for Day One. Then when their commander (Sweta) was slain, Arjuna and Krishna, slowly withdrew the troops (for their nightly rest). And then the withdrawal took place of both the armies. Kauravas made shouts of victory. The Pandavass entered (their quarters) cheerlessly, thinking, of that awful slaughter in single combat of their commander. (6,48). (see - Kurukshetra War Day-1)
श्वेतवर्ष
विजयेन्द्र कुमार माथुर [7] ने लेख किया है ...श्वेतवर्ष (AS, p.926): विष्णुपुराण के अनुसार शाल्मल द्वीप का एक वर्ष या भाग, जो इस द्वीप के [p.927]:राजा वपुष्मान के पुत्र 'श्वेत' के नाम से प्रसिद्ध है। इसी स्थान पर ही सम्भवतः श्वेतपर्वत या श्वेतगिरि की स्थिति थी। यदि श्वेतगिरि का अभिज्ञान धवलगिरि या धौलागिरि से निश्चित समझा जा सके तो श्वेतवर्ष की स्थिति धौलागिरि के पर्वतीय प्रदेश या तिब्बत में मानी जा सकती है। (दे.श्वेतगिरि, श्वेतपर्वत)
श्वेतगिरि
विजयेन्द्र कुमार माथुर [8] ने लेख किया है ...श्वेतगिरि (AS, p.926): महाभारत, वनपर्व में उल्लिखित पर्वत - 'श्वेतंगिरिं प्रवेक्ष्यामो मंदरं चैव पर्वतम्, यत्रमणिवरो: यक्षः कुबेरश्चैव यक्षराट्।' महाभारत, वनपर्व 139,5. श्वेतगिरि को मंदराचल पर्वत के निकट बताया गया है। यक्षराज कुबेर का निवास कहे जाने से जान पड़ता है कि श्वेतगिरि कैलास पर्वत का ही एक नाम था। कैलास के हिमधवल शिखरों की श्वेतता का वर्णन संस्कृत साहित्य में प्रसिद्ध ही है। महाभारत, वनपर्व 139, 11 में कुछ आगे इसी प्रसंग के अंतर्गत कैलास का उल्लेख है।
जैन धर्म के ग्रंथ 'जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति' में श्वेतगिरि की जंबूद्वीप के 6 वर्षपर्वतों में गणना की गई है। 'विष्णुपुराण' 2, 2, 10 में मेरु पर्वत के उत्तर में तीन पर्वत श्रेणियां बताई गई हैं- नील, श्वेत, श्रंगी; 'नीलः श्वेतश्च श्रंगी च उत्तरे वर्षपर्वताः।' यह श्वेतवर्ष का मुख्य पर्वत है। 'महाभारत' का 'श्वेतगिरि' तथा 'विष्णुपुराण' का 'श्वेत' एक ही जान पड़ते हैं। श्वेतगिरि का अभिज्ञान कुछ विद्वान हिमालय में स्थित 'धवलगिरि' या 'धौलागिरि' से भी करते हैं। श्वेतगिरि को महाभारत में श्वेतपर्वत भी कहा गया है। 'मत्स्यपुराण' में दैत्य-दानवों को श्वेतपर्वत का निवासी बताया गया है।
External links
References
- ↑ V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.507
- ↑ सिलेन पृथुना चैव वीरसेनेन चैव ह, इक्ष्वाकुणा शम्भुना च शवेतेन सगरेण च (XIII.116.69)
- ↑ स शवेतपर्वतं वीरः समतिक्रम्य भारत, थेशं किं पुरुषावासं दरुमपुत्रेण रक्षितम (II.25.1)
- ↑ दक्षिणेन तु शवेतस्य नीलस्यैवॊत्तरेण तु, वर्षं रमणकं नाम जायन्ते तत्र मानवाः (VI.9.2)
- ↑ पुत्र मेषः परवाहश च तदा नन्दॊपनन्दकौ धूम्रः शवेतः कलिङ्गश च सिद्धार्दॊ वरदस तदा (IX.44.59)
- ↑ शिशुमार मुखी शवेता लॊहिताक्षी विभीषणा, जटालिका कामचरी दीर्घजिह्वा बलॊत्कटा (IX.45.22)
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.926-927
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.926