Toybo

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

West Singhbhum District Map

Toybo (तोयबो) is a small Village/hamlet in Chakradharpur Block in West Singhbhum District of Jharkhand State, India. Author visited the place on 20.1.1981.

Location

Toybo comes under Toybo Panchayath. It is located 41 KM towards west from District head quarters Chaibasa. 13 KM from Chakradharpur. 79 KM from State capital Ranchi. Hurangda ( 8 KM ) , Karaikela ( 8 KM ) , Nakti ( 9 KM ) , Simidiri ( 10 KM ) , Hathiya ( 12 KM ) are the nearby Villages to Toybo. Toybo is surrounded by Kuchai Block towards East , Bandgaon Block towards west , Sonua Block towards South , Arki Block towards North . Chakradharpur , Barughutu , Chaibasa , Khunti are the near by Cities to Toybo.[1]

Toybo Fall

Toybo Fall (तोयबो जल-प्रपात) is situated about 20 km from Tholkabad in West Singhbhum District of Jharkhand. It cascades down from a height of 100 feet. The valley of this fall serves as a playground for the wild elephants.[2]

टॉयबो जल-प्रपात (Toybo Fall)

टॉयबो जल-प्रपात (Toybo Fall): झारखंड प्रदेश के पश्चिम सिंहभूम जिले में चक्रधरपुर तहसील में थोल्काबाद से 20 किमी दूर स्थित है। यहाँ 100 फीट की ऊँचाई से पानी गिरता है तथा इसकी घाटी में जंगली हाथी क्रीडा करते हैं। टॉयबो झरना एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल के सघनतम इलाके टॉयबो में टॉयबो झरना है। पश्चिम सिंहभूम में मनोहरपुर के पास कारो नदी और कोयल नदी का संगम है। इससे नीचे थोल्काबाद से 20 किमी दूरी पर 100 फीट की ऊँचाई से टॉयबो झरना गिरता है।

आदिवासी भाषा में 'टोय' मतलब 'कटा हुआ' और 'बो' का मतलब 'सिर' होता है। टॉयबो यानि कटा हुआ सिर। यह थोलकोबाद से 20 किमी की दूरी पर अवस्थित है। झरने के जमे हुए पानी में काफी मछलियां हैं। पर एक मान्यता के तहत लोग यहां मछलियां नहीं पकड़ते हैं। किंवदन्ती है कि काफी पहले यहां एक पिता-पुत्र मछलियां पकड़ने गए। पिता मछली के लिए पानी में उतरा। पर वह डूब गया और कुछ देर में सिर्फ उसका कटा हुआ सिर ही बाहर निकला। बाकी शरीर बाहर नहीं आया। यह खबर आसपास में जंगल की आग की तरह फैल गई। और भय कहें या मान्यता उसके बाद से यहां कोई मछली पकड़ने नहीं आता है। और उसी कटे हुए सिर के चलते ही इसका नामकरण टॉयबो झरना हो गया। हालांकि जंगल के आकार के छोटे होने का असर झरना में भी देखा जा सकता है। पहले झरने के चट्टानों से होकर कई जगहों से पानी गिरता था। पर अब सिर्फ एक या दो जगहों से पानी गिर रहा है। पर्यावरण विभाग को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। वरना दशकों बाद यहाँ सिर्फ चट्टान और पत्थर ही शेष रह जाएंगे।

External links

References