Vasha

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Vasha (वाश) is name of a place mentioned by Panini in Ashtadhyayi (4.2.80.5).

Variants =

Mention by Panini

Vasha (वाश) is name of a place mentioned by Panini in Ashtadhyayi under Kashadi (काशादि) (4.2.80.5) group. [1]

Jat clans

History

Bhim Singh Dahiya[2] write...83. Bassi people are mentioned by Ait. Br. as Vasha.[3] They are the same as Basae of Herodotus and Vaisi of Assyria, one of the Median tribes. Bassis are now a Jat as well as Khatri clan. Aitereya Brahmana places them in Madhyadesha. Kaushitaki Upanishad places them with Matsyas; Gopatha Br. shows them with the Ushinaras (Sibiyas).


The Vedas mention five sub-divisions of ancient India:[4]...Vasha or Vaśa is a Janapda in Madhya-desha (Central region).

वंश = वश

वंश अथवा वश (AS, p.828): एक प्राचीन देश का नाम था। ऐतरेय ब्राह्मण तथा कौशीतकी उपनिषद में इस देश का नाम (वश) कुरु-पंचाल तथा उशीनर के प्रसंग में उल्लिखित है (तथा दे.शतपथ ब्राह्मण 12; 2, 2, 13) ओल्डनबर्ग के अनुसार 'वश' या 'वंश' वत्स के ही रूपांतर हैं। [5]

वत्स गोत्र का इतिहास

महिपाल आर्य[6] लिखते हैं कि ...कौषीतकी उपनिषद् में मत्स्य महाजनपद के साथ ही "वश" का भी उल्लेख किया गया है। वश की राजधानी कौशाम्बी नगरी थी और यही जनपद बाद में वत्स कहलाया।

उशीनर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है ...उशीनर को ऐतरेय ब्राह्मण (ऐतरेय ब्राह्मण, 8,14) के अनुसार मध्य देश में स्थित एक जनपद बताया गया है- 'अस्यांध्रुवायां मध्यमायां प्रतिष्ठायां दिशि'। यहीं कुरुपांचाल और वश जनपदों की स्थिति बताई गई है। कौशीतकी उपनिषद में भी उशीनर-वासियों का नाम मत्स्य, कुरुपांचाल और बशदेशीयों के साथ है।

कथासरित्सागर[8] में उशीनरगिरि का उल्लेख कनखल-हरिद्वार के प्रदेश के अंतर्गत किया गया है। यह स्थान दिव्यावदान (पृ. 22) में वर्णित उसिरगिरि और विनयपिटक (विनयपिटक भाग 2, पृष्ठ 39 ) का उसिरध्वज जान पड़ता है।

पाणिनि ने अष्टाध्यायी 2, 4, 20 और 4, 2, 118 में उशीनर का उल्लेख किया है। कौशीतकी उपनिषद से ज्ञात होता है कि पूर्व बुद्धकाल में गार्ग्य बालाकि जो काशी नरेश अजातशत्रु का समकालीन था उशीनर देश में रहता था।

महाभारत में उशीनर नरेश की राजधानी भोजनगर में बताई है- 'गालवो विमृशन्नेव स्वकार्यगतमानस:, जगाम भोजनगरं द्रष्टुमौशीनरं नृपम्।' (उद्योग पर्व महाभारत 118, 2)

शांतिपर्व महाभारत 29, 39 में उशीनर के शिबि नामक राजा का उल्लेख है- 'शिबिमौशीनरं चैव मृतं सृंजय शुश्रृम'।

ऋग्वेद 10, 59, 10 में उशीनराणी नामक रानी का उल्लेख है- 'समिन्द्रेरय गामनाडवाहंय आवहदुशीनराण्या अन:, भरतामप यद्रपो द्यौ: पृथिवि क्षमारपो मोषुते किंचनाममत्' या जैसा कि उपर्युक्त उद्धरणों से सूचित होता है उशीनरदेश वर्तमान हरिद्वार के निकटवर्ती प्रदेश का नाम था। इसमें ज़िला देहरादून का यमुना तटवर्ती प्रदेश भी सम्मिलित था क्योंकि वन पर्व महाभारत 130, 21 में यमुना के पार्श्ववर्ती प्रदेश में उशीनर नरेश द्वारा यज्ञ किए जाने का उल्लेख है- 'जलां चोपजलां चैव, यमुनामभितो नदीम्, उशीनरो वै यत्रेष्ट्वा वासवादत्यरिच्यत।' [9]

In Mahabharata

References

  1. V. S. Agrawala: India as Known to Panini, 1953, p.502
  2. Jats the Ancient Rulers (A clan study)/Jat Clan in India, p. 280
  3. See Sanskrit English Dictionary, M. Williams, 1960.
  4. Misra, Sudama (1973). Janapada state in ancient India. Vārāṇasī: Bhāratīya Vidyā Prakāśana. p.24
  5. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.828
  6. जाट ज्योति, अगस्त 2013,p.13-17
  7. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.102
  8. दुर्गाप्रसाद और काशीनाथ पांडुरंग द्वारा संपादित, तृतीय संस्करण=पृ. 5
  9. भारतकोश-उशीनर

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