Vishvamitri

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(Redirected from Vishwamitri)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Vadodara district map

Vishwamitri River (विश्वामित्री नदी) flows mainly through the west of the city of Vadodara, Gujarat, India. The name of this river is said to have been derived from the name of the great saint Vishwamitra.[1]

Variants

Course

This river system is containing three major tributaries: Vishwamitri, Dhadhar and Jambuva. All the three tributaries originate from Pavagadh hills and Jambughoda forests. This river system includes the Sayaji Sarovar on the Vishwamitri River near Ajwa, and the Dev Dam on the Dhadhar Branch.[2] Its flow is from East to West in between two large perennial rivers Mahi River and Narmada.

History

The Vishwamitri River banks are home to a lot of places of historical importance like Chhatri, Pratappura Sarovar, Old Bridge, Suspension Bridge, Boat House.[3]

Two other tributaries namely Dhadhar and Khanpur merge into it before it amalgamates with the Gulf of Khambhat. Human settlement dating back to 1000 B.C has been found on the bank of river Vishwamitri which ascertains the existence of Stone Age Era. Also in the beginning of the Christian era, a small township was developed on a mound on the banks of this river which later came to be known as Ankotakka (currently known as Akota) while the mound is popular as Dhantekri. The Vishwamitri River was key to the settlement of Vadodara. [4]

विश्वामित्री नदी

विश्वामित्री नदी (AS, p.865): गुजरात में चांपानेर के निकट एक पहाड़ी से निकलती है और बड़ौदा के समीप चार अन्य नदियों के संगम स्थान पर उनसे मिल जाती है। (दे. चांपानेर)[5]

चांपानेर = चंपानेर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है ... चांपानेर (AS, p.331): चांपानेर अथवा 'चंपानेर' गुजरात में बड़ौदा से 21 मील (लगभग 19.2 कि.मी.) और गोधरा से 25 मील (लगभग 40 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है। गुजरात की मध्ययुगीन राजधानी चांपानेर, जिसका मूल नाम 'चंपानगर' या 'चंपानेर' था, के स्थान पर वर्तमान समय में पावागढ़ नामक नगर बसा हुआ है। यहाँ से चांपानेर रोड स्टेशन 12 मील (लगभग 19.2 कि.मी.) है। इस नगर को जैन धर्म ग्रन्थों में तीर्थ स्थल माना गया है। जैन ग्रन्थ 'तीर्थमाला चैत्यवदंन' में चांपानेर का नामोल्लेख है- 'चंपानेरक धर्मचक्र मथुराऽयोध्या प्रतिष्ठानके -।'

प्राचीन चांपानेर नगरी 12 वर्ग मील के घेरे में बसी हुई थी। पावागढ़ की पहाड़ी पर उस समय एक दुर्ग भी था, जिसे पवनगढ़ या पावागढ़ कहते थे। यह दुर्ग अब नष्ट-भ्रष्ट हो गया है, पर प्राचीन महाकाली का मंदिर आज भी विद्यमान है। चांपानेर की पहाड़ी समुद्र तल से 2800 फुट ऊँची है। इसका संबंध ऋषि विक्रमादित्य से बताया जाता है। चांपानेर का संस्थापक गुजरात नरेश वनराज का चंपा नामक मंत्री था। चांदबरौत नामक गुजराती लेखक के अनुसार 11वीं शती में गुजरात के शासक भीमदेव के समय में चांपानेर का राजा मामगौर तुअर था। 1300 ई. में चौहानों ने चांपानेर पर अधिकार कर लिया। 1484 ई. में महमूद बेगड़ा ने इस नगरी पर आक्रमण किया और वीर राजपूतों ने विवश होकर अपने प्राण शत्रु से लड़ते-लड़ते गवां दिए। रावल पतई जयसिंह और उसका मंत्री डूंगरसी पकड़े गए और इस्लाम स्वीकार न करने पर मुस्लिम आक्रांताओं ने 17 नवंबर, 1484 ई. में उनका वध कर दिया। इस प्रकार चांपानेर के 184 वर्ष के प्राचीन राजपूत राज्य की समाप्ति हुई।

मुग़लों का अधिकार: 1535 ई. में मुग़ल बादशाह हुमायूँ ने चांपानेर दुर्ग पर अधिकार कर लिया, पर यह आधिपत्य धीरे-धीरे शिथिल होने लगा और 1573 ई. में अकबर को नगर का घेरा डालना पड़ा और उसने फिर से इसे हस्तगत कर लिया। इस प्रकार संघर्षमय अस्तित्व के साथ चांपानेर मुग़लों के कब्जे में प्राय: 150 वर्षों तक रहा। 1729 ई. में सिंधिया का यहाँ अधिकार हो गया और 1853 ई. में अंग्रेज़ों ने सिंधिया से इसे लेकर बंबई (वर्तमान मुम्बई) प्रांत में मिला दिया। वर्तमान चांपानेर मुस्लिमों द्वारा बसाई गई बस्ती है। राजपूतों के समय का चांपानेर यहाँ से कुछ दूर है।

स्थापत्य': गुजरात के सुलतानों ने चांपानेर में अनेक सुंदर प्रासाद बनवाए थे। ये सब अब खंडहर हो गए हैं। 'हलोल' नामक नगर, जो बहुत दिनों तक संपन्न और समृद्ध दशा में रहा, चांपानेर का ही उपनगर था। इसका महत्व गुजरात के सुलतान बहादुरशाह की मृत्यु के पश्चात् (16वीं शती) समाप्त हो गया। पहाड़ी पर

[p.332]: जो काली मंदिर है, वह बहुत प्राचीन है। कहा जाता है कि विश्वामित्र ने उसकी स्थापना की थी। इन्हीं ऋषि के नाम से इस पहाड़ी से निकलने वाली नदी 'विश्वामित्री' कहलाती है। महादजी सिंधिया ने पहाड़ी की चोटी पर पहुँचने के लिए शैलकृत सीढ़ियाँ बनवाईं थीं। चांपानेर तक पहुँचने के लिए सात दरवाजों में से होकर जाना पड़ता है।

External links

References

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