Narayana: Difference between revisions
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Revision as of 04:09, 11 June 2010
Narayana village is in Phulera tahsil of Jaipur district in Rajasthan
This village was municipal Board before 1995 but in 1995 Municipal Board converted in Gram Panchayat. It is famous due to religious. This is a TAPOSTHALI of Sant Dadu Dayal. When Guru Govind Singh (10th Guru of Sikhs) was going to Naded (Maharastra) from Amritsar he stayed here for a night and his non-vegetarian BAAZ (Hawk) eat BAZRA on request of Sant Dadu Dayal. There are Dadudwara and a Gurudwara also.
नरायणा दादूद्वारा का इतिहास तथा वर्तमान मठाधीश
नरायणा संत श्री दादू दयाल जी की तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. यहाँ पर दादू पंथ की सर्वोच्च पीठ दादूद्वारा स्थित है. दादू दयाल जी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर यहाँ के तत्कालीन जागीरदार ठा. नारायण सिंह ने अपनी जागीरदारी संत दादू दयाल जी को समर्पित कर दी थी और अपना नाम बदल कर नारायण दास रख लिया था. उसके बाद से ही नरायना ठिकाना गुरुद्वारा के अधीन चला आ रहा है और भारत के आज़ाद होने तक यहाँ पर दादूद्वारा की ही जागीरदारी थी. वर्तमान में दादूद्वारा मठ के मठाधीश स्वामी श्री गोपाल दास जी महाराज है. जो मूल रूप से सीकर जिले के निवासी है और जाति से जाट हैं. स्वामी श्री गोपाल दास जी का जन्म बिजारनिया गोत्र में हुआ था. कहते है के पहले गोपाल दास जी महाराज के माता पिता के कोई संतान नहीं थी. तब उन्होंने संत श्री दादू दयाल जी की तपोस्थली में आकर मनौती मांगी कि हमारे संतान हो जाती है तो हमारी पहली पुत्र संतान को दादू द्वारा कि सेवा के लिए सौंप दिया जायेगा. उसके बाद गोपाल दास जी का जन्म हुआ तथा मनौती के चलते श्री गोपाल दास जी को उनके माता पिता द्वारा बचपन में ही दादूद्वारा के तत्कालीन मठाधीश स्वामी श्री हरी राम दास जी महाराज को सौंप दिया गया था. तब से श्री गोपा दास जी महाराज दादूद्वारा में ही पले बढे और श्री हरी राम दास जी महाराज के देवलोक गमन के बाद श्री गोपाल दास जी महाराज को मठाधीश बनाया गया. वर्तमान में दादूद्वारा नरायणा में शेखावाटी के कई जाट छात्र रह कर शिक्षा ग्रहण कर रहे है.
नरायणा गुरूद्वारा का इतिहास
सिक्खों के दसवें धर्म गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी अमृतसर से नांदेड (महाराष्ट्र) जा रहे थे. नरायणा संत श्री दादू दयाल जी ख्याति से प्रभावित होकर गुरु गोविन्द सिंह उनसे मिलने गए तथा चर्चा करते करते शाम का वक्त हो गया. तब दादू दयाल जी गोविन्द सिंह जी को नरायणा में ही रात बिताने का अनुरोध किया. इस पर गोविन्द सिंह जी ने कहा कि मेरा यह बाज़ मांसाहारी पक्षी है और आप शाकाहारी हो और में बाज़ को खाना खिलाये बिना खाना नहीं खा सकता. तब संत दादू दयाल जी ने भगवान का नाम लेकर बाज़ को खाने के लिए बाजरा बिखेरा और मांसाहारी बाज़ ने बड़े मज़े से बाजरा खाया. तब गुरु गोविन्द सिंह जी संत श्री दादू दयाल जी कि भक्ति से प्रभावित होकर भारत से मुग़ल शासन को मिटाने के लिए मदद का निवेदन किया और वाही पर रात गुजारने का निश्चय किया. बाद में जिस स्थान पर गुरु गोविन्द सिंह जी ने रात गुजारी वहां पर एक गुरूद्वारे का निर्माण किया गया. जो गुरुद्वारा चरण कमल साहिब के नाम से प्रसिद्ध है. यहाँ पर हर साल लाखो सिक्ख श्रृध्दालू मत्था टेकने आते है. बाज़ द्वारा मांस कि बजाय बाजरा खाने पर गुरु गोविन्द सिंह जी ने फ़रमाया है कि "चिड़ियाँ संग बाज़ उड़ावा, दादू दयाल जी नाम कहावा."
Jat Gotras in the Village
Ranwa, Thori, Bijarniya, Jandu,
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