Swami Gopal Das Maharaj

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स्वामी श्री गोपालदास जी महाराज

Swami Gopal Das Maharaj (death:25.11.2023) was Acharya and Mathasheesh of Dadu Dham, Dadu Dwara Naraina, Rajasthan, India 303348. It was founded by Dadu Dayal (1544—1603), a poet-sant from Gujarat, India, a religious reformator which have said against formalism and priestcraft. He was reputedly found by an affluent business man floating on the river Sabarmati. He later moved to Naraina, near Jaipur Rajasthan, where he gathered around himself a group of followers, forming a sect that became known as the Dadupanth.[1]. This organization has continued in Rajasthan to the present-day.

जीवन परिचय

जगतगुरु श्रीमद दादू पीठाधीश्वर आचार्य प्रवर श्री गोपाल दास जी महाराज ।

ओम दादू नमो-नमो निरंजन,
नमस्कार गुरु देवत ।
वंदनम सर्व साधवा , प्रणामम पारंगत।।

विश्व भर में सत्य और राम की महिमा का प्रचार प्रसार कर भारत की सत्य सनातन संस्कृति का संदेश देने का कार्य हमारे ऋषि-मुनियों ने किया है। ऋषि मुनियों की संत परंपरा में भक्ति कालीन युग में संत प्रवर श्री दादू दयाल जी महाराज का अवतरण हुआ , जिन्होंने ज्ञान भक्ति और वैराग्य का संदेश देकर दुनिया को निरंजन निराकार के रूप में उस परम सत्ता के सानिध्य में रहने का अहसास कराया। संत प्रवर श्री दादू दयाल जी महाराज ब्रह्म पीठ नरेना के बीसवें आचार्य के रूप में स्वामी श्री गोपाल दास जी महाराज विराजमान रहे।

श्री गोपाल दास जी महाराज का जन्म सीकर जिले के एक छोटे से गांव में बिजारणिया जाट परिवार में हुआ । आपके परिवार में प्रत्येक पीढ़ी में एक बालक को संत बनाने की परंपरा रही है और उसी परंपरा के तहत आप भी संत परंपरा में आकर दादू संप्रदाय के उच्चतम शिखर पर पहुंच कर समाज , धर्म व राष्ट्र की शोभा बढ़ा रहे हैं।

आचार्य प्रवर स्वामी श्री गोपाल दास जी दादू वाणी की महिमा और संतो की दिव्य वाणी को देश दुनिया में जन जन तक पहुंचाने का श्रेष्ठ कार्य किया।


दादू पंथ की देशभर की मुख्य पीठ नरैना के 20वें पीठाधीश्वर गोपाल दास जी महाराज का जन्म सीकर जिले में विद्यासर के पास कंवरपुरा पालवास गांव के जाट परिवार में हुआ था. बाल्य काल में ही पूर्व पीठाचार्य हरिराम महाराज अपने शिष्य के रूप में उन्हें नरेना दादू मठ ले आए थे. उनकी शिक्षा दीक्षा यही हुई. वे 10 वर्ष की आयु में ही संत बन गए थे. 19वें पीठाचार्य भक्तों के यहां भ्रमण करते गोपाल दास के गांव पहुंचे तो उनकी चंचलता व मुख पर तेज देखकर माता-पिता से साथ भेजने को कहा था. इस पर 10 वर्ष की उम्र में ही इन्हें अपना शिष्य बना लिया था. 17 जुलाई 2001 को पीठाधीश्वर की गद्दी पर विराजित हुए थे. अपने पीठाचार्य कल में गद्दी पर आसीन होने के 12 वर्ष पूर्ण होने पर साल 2013 में युग-उत्सव मनाया गया था. इसमें पीठाचार्य, संत-महंत पधारे थे. पीठाचार्य रहते हुए चार अगस्त 2021 को अपने उत्तराधिकारी व 21वें पीठाधीश्वर के रूप में सर्वाधिकारी ओमप्रकाश दास स्वामी के नाम की घोषणा कर दी थी. पीठाधीश्वर गोपाल दास जी महाराज ने पीठ में कई काम करवाए थे. राजस्थान के अलावा दिल्ली, मुंबई, हरयाणा में हजारों शिष्य बताये जाते हैं. (भास्कर जयपुर, 26.11.2023)

नरायणा दादूद्वारा का इतिहास तथा वर्तमान मठाधीश

नरायणा संत श्री दादू दयाल जी की तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. यहाँ पर दादू पंथ की सर्वोच्च पीठ दादूद्वारा स्थित है. इस स्थान पर 1603 ई. में उत्तरी भारत के प्रसिद्द संत तथा कवि महात्मा दादू का निर्वाण हुआ था. इन्होने अपने मत का प्रथम बार प्रतिपादन नरैना में ही किया था. 1833 में बना इनका एक मंदिर भी यहाँ है. [2]

संत दादू दयाल जी द्वारा प्रवर्तित दादू पंथ को नरायणा के खंगारोत शासकों द्वारा संरक्षण दिया गया था. यहाँ के शासक नारायण दास के अनुरोध पर दादूजी सांभर से नरायणा आये थे एवं यहीं पर अपनी प्रमुख गद्दी स्थापित की. नरायणा के दादू द्वारे में हस्तलिखित ग्रंथों एवं प्राचीन गुटकों के रूप में शोध और अनुसन्धान की प्रचुर सामग्री सुरक्षित है. [3]

दादू दयाल जी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर यहाँ के तत्कालीन जागीरदार ठा. नारायण सिंह ने अपनी जागीरदारी संत दादू दयाल जी को समर्पित कर दी थी और अपना नाम बदल कर नारायण दास रख लिया था. उसके बाद से ही नरायना ठिकाना गुरुद्वारा के अधीन चला आ रहा है और भारत के आज़ाद होने तक यहाँ पर दादूद्वारा की ही जागीरदारी थी.

वर्तमान में दादूद्वारा मठ के मठाधीश ओमप्रकाश दास स्वामी हैं.

स्वामी गोपाल दास जी का जन्म

दादूद्वारा मठ के 20 वें मठाधीश स्वामी श्री गोपाल दास जी महाराज थे. जो मूल रूप से सीकर जिले के निवासी और जाति से जाट थे. स्वामी श्री गोपाल दास जी का जन्म बिजारनिया गोत्र में हुआ था. कहते है के पहले गोपाल दास जी महाराज के माता पिता के कोई संतान नहीं थी. तब उन्होंने संत श्री दादू दयाल जी की तपोस्थली में आकर मनौती मांगी कि हमारे संतान हो जाती है तो हमारी पहली पुत्र संतान को दादू द्वारा कि सेवा के लिए सौंप दिया जायेगा. उसके बाद गोपाल दास जी का जन्म हुआ तथा मनौती के चलते श्री गोपाल दास जी को उनके माता पिता द्वारा बचपन में ही दादूद्वारा के तत्कालीन मठाधीश स्वामी श्री हरी राम दास जी महाराज को सौंप दिया गया था. तब से श्री गोपाल दास जी महाराज दादूद्वारा में ही पले बढे और श्री हरी राम दास जी महाराज के देवलोक गमन के बाद श्री गोपाल दास जी महाराज को मठाधीश बनाया गया. वर्तमान में दादूद्वारा नरायणा में शेखावाटी के कई जाट छात्र रह कर शिक्षा ग्रहण कर रहे है.

समाज सुधार कार्य

श्रीमद दादू पीठाधीश्वर श्री गोपाल दास जी के सानिध्य में जीव और जनकल्याण के अनेकों कार्य किये गए।

फाल्गुन में आने वाला श्री दादू प्राकट्य उत्सव पर दादू मेला देश प्रदेश का सबसे दिव्य और भव्य मेला होता है । संतो और श्रद्धालुओं के अपार जनसैलाब से मानो ऐसा लगता है जैसे कुंभ मेला है ।

स्वामी श्री गोपाल दास जी के सानिध्य में अनेक शिक्षण संस्थाओं, सामाजिक संगठनों और राजकीय कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ।

ऐसे दिव्य संत के सानिध्य में हजारों करोड़ों श्रद्धालु अपने जीवन को धन्य किया है, तो वही संतों की वाणी का अमर संदेश देकर हमारी सनातन संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन भी किया है ।

आचार्य श्री गोपाल दास जी महाराज के सानिध्य में ही जेवीपी मीडिया ग्रुप की ओर से सत्यवादी वीर तेजाजी की निर्वाण स्थली सुरसुरा में लोक देवता तेजाजी राष्ट्रीय कला और संस्कृति का दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन किया गया ।

स्वामी श्री गोपाल दास जी महाराज के सानिध्य में ही भारत के सिरमौर जम्मू कश्मीर के महामहिम राज्यपाल सतपाल मलिक के मुख्य आतिथ्य में वीर तेजाजी विश्राम स्थली का शिलान्यास हुआ ।

गोपाल दास जी महाराज के सानिध्य में 16 महीनों की दिव्य साधना करने के बाद पधारे संत श्री प्रकाश दास जी तपस्वी का श्री प्रकाश उत्सव भी अखिल भारतीय गौ रक्षक लोक देव श्री राला बाबा धाम किवाड़ा में मनाया गया ।

आचार्य श्री गोपाल दास जी महाराज के मार्गदर्शन में ही नरेना में संत प्रवर श्री दादू दयाल चिकित्सालय का निर्माण करवाया गया है जहां पर पीड़ित मानवता की सेवा का संकल्प लिया गया है।

श्रीमद दादू पीठ नारायणा का जीर्णोद्धार कार्य भी गोपालदास जी महाराज के सानिध्य में ही किया गया ।

संत प्रवर श्री दादू दयाल जी महाराज की शिष्य परंपरा में संत सुंदरदास जी महाराज, संत रज्जब जी, संत जैत राम जी और संत हरीराम जी जैसे अनेकों संत हुए हैं जिन्होंने परमात्मा की असीम कृपा की अनुभूति हम सबको करवाई है।

इस भाग के लेखक - हरिराम किवाड़ा, जेवीपी मीडिया ग्रुप

तेजा फाउंडेशन के भव्य वार्षिक समागम समारोह 17.3.2019 में दीप प्रज्वलन

तेजा फाउंडेशन के वार्षिक समागम 17.3.2019 में श्री गोपाल दास जी महाराज द्वारा दीप प्रज्वलन

शिक्षा व समाज सेवा के ज़रिए सामाजिक उत्थान सुनिश्चित कर राष्ट्र निर्माण के पुनीत कार्य में योगदान देने को संकल्पित तेजा फाउंडेशन का वार्षिक समागम रविवार 17 मार्च 2019 को भक्त शिरोमणि श्रीमद धन्ना पीठाधीश्वर श्री बजरंग देवाचार्य जी महाराज एवं श्रीमद दादू पीठाधीश्वर श्री गोपाल दास जी महाराज के पावन सानिध्य में हरिवन पैलेस, मानसरोवर, जयपुर में आयोजित हुआ। इस अवसर पर आपने लोकदेवता तेजाजी को पुष्प अर्पण किए और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम प्रारंभ किया. आपने उपस्थित प्रबुद्ध वर्ग को संबोधित किया और तेजा फाउंडेशन के मिशन की सफलता के लिए आशीर्वाद दिया.

देवलोक गमन

श्री गोपाल दास जी महाराज का शनिवार दिनांक 25 नवम्बर 2023 को देवलोक गमन हो गया. वे करीब एक माह से बीमार थे. उनका जयपुर में एक सप्ताह से इलाज चल रहा था. शनिवार सुबह उन्होनें 11 बजे अंतिम सांस लिया.

बाहरी कड़ियाँ

पिक्चर गैलरी

References

  1. Dadu Hindu saint at Encyclopædia Britannica Online.
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.480
  3. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 77

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