Dayaldas Ri Khyat
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Dayaldas Ri Khyat (दयालदास री ख्यात), also known as Bikaner Rai Rathod Ri Khyat, is a famous work that chronicles the history of the state of Bikaner. It was written by Dayaldas, who is considered the last Khyatkar of Rajasthan.
Variants
About Dayal Das
Dayaldas was born in AD 1798 in the village of Kubia of then princely state of Bikaner. He died at the age of 93 in AD 1891. Koobiya (कूबिया) at present is a village in Lunkaransar tehsil of Bikaner district in Rajasthan.
Jat History
Dayal Das mentions Saran, Godara, Beniwal, Punia, Asiagh, Johya and Kaswan Jat clans who managed their affairs themselves before Rathors.[1]
दयालदास री ख्यात
इस ख्यात के लेखक दयालदास है. दयालदास बीकानेर नरेश रतनसिंह के अतिविश्वसनीय कवी थे. दयालदास बीकानेर के शासक रतनसिंह का दरबारी था. दयालदास री ख्यात में बीकानेर के राठौड़ शासकों की जानकारी मिलती है. दयालदास री ख्यात को बीकानेर के राठौड़ों की ख्यात भी कहा जाता है. प्रसंगवस इसमें जोधपुर के राठोड़ों का भी उल्लेख है.
दयाल दास ने महाराज के आदेश पर ख्यात लिखना आरंभ किया था. ख्यात लिखने से पूर्व उन्होंने उपलब्ध वंशावलियों, पट्टे बहियों और शाही फरमानों का अध्ययन किया था. दयाल दास की ख्यात दो भागों में विभक्त है: प्रथम भाग में बीकानेर के राठौड़ों का वर्णन प्रारंभ से लेकर बीकानेर नरेश महाराजा सरदार सिंह के राज्याभिषेक तक है. इस प्रकार यह ख्यात बीकानेर के राठौर शासको की उपलब्धियां की यश गाथा है.
विद्वानों की धारणा है कि दयाल दास ने अपनी ख्यात में प्रमाणिक घटनाओं का वर्णन किया है. मुह्नोत नैंसी और बाकीदास की ख्यात के विपरीत यह ख्यात संलग्न अथवा लगातार इतिहास है. बीकानेर के इतिहास निर्माण में यह ख्यात अति लाभदायक सिद्ध हुई है.
दयालदास
दयालदास - बीकानेर रा राठौड़ा री ख्यात (दयालदास री ख्यात) के लेखक दयालदास कूबिया गाँव के रहने वाले थे। बीकानेर रियासत के इस गाँव में उनका जन्म 1798 ई में हुआ था। 93 वर्ष की आयु में वर्ष 1891 ई में उनका निधन हो गया। बीकानेर रियासत के शासक रतनसिंह के दरबारी कवित दयालदास द्वारा रचित दो खंडों के इस ग्रंथ में जोधपुर व बीकानेर के राठौड़ शासकों के प्रारंभ से लेकर बीकानेर महाराजा सरदारसिंह तक की घटनाओं का वर्णन है।
References
- ↑ The Jats Vol. 2: p. xv
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