Phogabas Bharthari
Phogabas Bharthari (फोगा) is a large village in Sardarshahar tahsil in Churu district in Rajasthan. It was a district of Saran Jat rulers in Jangladesh.
Location
It is situated in north direction of Sardarshahar city.
Founders
इतिहास
फोगा राजस्थान में चुरू जिले का एक प्राचीन गाँव है. यह राठोड़ों के आगमन से पहले सारण जाटों का एक जिला था. भाड़ंग (Bharang) राजस्थान में चुरू जिले की तारानगर तहसील में चुरू से लगभग 40 मील उत्तर में बसा एक गाँव है. यह राठोड़ों के आगमन से पहले सारण जाटों की राजधानी थी. खेजड़ा, फोग , बुचावास , सूई , बदनु , सिरसला आदि इस राज्य में जिलों के नाम थे.
फोगा से अन्यत्र जाकर बसे हुये सारण गोत्र के जाटों के खेड़े निम्नानुसार हैं:
- डालमान – डालम सारण
- कानड़वास – कनहो जी सारण
- ढानी पांचेरा – पांची राम सारण
- राजास – राजा राम सारण
- बलाल – बलराम सारण
- मेलुसर – मेलख सारण
- नैणासर – नैण सारण
- नैयासर – नैया सारण
- जयसंगसर – जयसंग सारण के पुत्र बरडा सारण
- भालेरी –
- गिलगिटी – वर्तमान में मुस्लिम बहुल
- बिलयु – आधी बिलयू सारण
- दिवानिया (देवासर) – बिलयु से जाकर बसे
- गाजूसर –
- थिरियासर –
- हरियासर घड़सोतान (कोजिया) – सारण को जलाने के कारण गाँव छोड़ा और कहा आज के बाद यहाँ पनी नहीं पिएंगे। इसी कारण कोजिया कहा।
- अजितसर –
- भांगेरा – भालेरी गिलगिटी फोंगा के बीच। वर्तमान में गैर आबाद
- दुलासी – मेहरी फोगा के रास्ते पर डालमान से दक्षिण पूर्व दिशा में। गैर आबाद
संदर्भ - अशोक जाखड़ डालमान Mob - 8955104004
सारणौटी
चूरू जनपद के जाट इतिहास पर दौलतराम सारण डालमाण[3] ने अनुसन्धान किया है और लिखा है कि पाउलेट तथा अन्य लेखकों ने इस हाकडा नदी के बेल्ट में निम्नानुसार जाटों के जनपदीय शासन का उल्लेख किया है जो बीकानेर रियासत की स्थापना के समय था।
क्र.सं. | जनपद | क्षेत्रफल | राजधानी | मुखिया | प्रमुख ठिकाने |
---|---|---|---|---|---|
2. | सारण (सारणौटी) | 360 गाँव | भाडंग | पूलाजी सारण | खेजड़ा , फोगां , धीरवास , भाडंग , सिरसला , बुच्चावास , सवाई, पूलासर, हरदेसर, कालूसर, बन्धनाऊ , गाजूसर, सारायण, उदासर |
चूरु मण्डल मे जैन धर्म
चूरु मण्डल मे जैन धर्म की विद्यमानतका प्रथम संकेत (रिणी) तारानगर के जैन मंदिर से मिलता है जो विक्रम की 10 वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों मे बना माना जाता है। प्राचीन फोगपत्तन (फोगां, तहसील सरदारशहर) भाड़ंग (तहसील तारानगर) जो अब थेड़ मात्र रह गया है। ये संभवत: जैन धर्म के प्राचीन मुख्य स्थान हैं । जैन धर्म के पहले मुख्य दो गच्छ क्रमश:खरतरगच्छ (संवत 1204) और लौकागच्छ (संवत 1533) थे। इसमे खरतरगच्छ के आचार्य युग प्रधान जिनचन्द्र सूरी ने संवत 1625 (सान 1568 ई. मे ग्राम बापडाउ (बापेउ, डूंगरगढ़) तथा संवत 1637 (सान 1580 ई) मे ग्राम सेरूणा (डूंगरगढ़) मे चातुर्मास किए। [4]
जिनरत्न सूरी के पट्टधर जिंचन्द्र सूरी और उनके पट्टधर जिनसुख सूरी हुये जो फ़ोगापतन (फोगा) के थे जिन्हें संवत 1762 आषाढ़ शुक्ल 11 को गच्छ नायक पद प्राप्त हुआ। संवत 1780 ज्येष्ठ कृष्ण 3 सान 1723 ई को रिणी (तारानगर) मे जिनमुख सूरि ने जिनभक्ति सूरी को गच्छ नायक पद प्रदान किया और स्वर्गस्थ हुये । [5]
Population
According to Census-2011 information: with total 576 families residing, Phogabas Bharthari village has the population of 3442 (of which 1728 are males while 1714 are females).[6]
Notable Persons
- केल पूरी - फोगा गाँव के प्रसिद्ध टीले के तपस्वी साधु केल पूरी बहुत माने हुये सन्यासी थे। अंतिम समय में जब उन्होने समाधि ली तब कहते हैं कि दो जगह हरिद्वार और डालमान गाँव में एक साथ प्रकट हुये थे।
External Links
References
- ↑ Annals of Bikaner (Page 139)
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter VI (Page 548)
- ↑ 'धरती पुत्र : जाट बौधिक एवं प्रतिभा सम्मान समारोह, साहवा, स्मारिका दिनांक 30 दिसंबर 2012', पेज 8-10
- ↑ 'श्री सार्वजनिक पुस्तकालय तारानगर' की स्मारिका 2013-14: 'अर्चना' में प्रकाशित अशोक बच्छावत (अणु) का लेख 'जैन परम्परा' पृ.76
- ↑ 'श्री सार्वजनिक पुस्तकालय तारानगर' की स्मारिका 2013-14: 'अर्चना' में प्रकाशित अशोक बच्छावत (अणु) का लेख 'जैन परम्परा' पृ.76
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/village/70381-phogabas-bharthari-rajasthan.html
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