Sawai Bari
Sawai Bari (सवाई) is a large village in Sardarshahar Tehsil of Churu district in Rajasthan.
Jat Gotras
Population
According to Census-2011 information: With total 467 families residing, Sawai Bari village has the population of 3162 (of which 1661 are males while 1501 are females).[3]
सारणौटी
चूरू जनपद के जाट इतिहास पर दौलतराम सारण डालमाण[4] ने अनुसन्धान किया है और लिखा है कि पाउलेट तथा अन्य लेखकों ने इस हाकडा नदी के बेल्ट में निम्नानुसार जाटों के जनपदीय शासन का उल्लेख किया है जो बीकानेर रियासत की स्थापना के समय था।
क्र.सं. | जनपद | क्षेत्रफल | राजधानी | मुखिया | प्रमुख ठिकाने |
---|---|---|---|---|---|
2. | सारण (सारणौटी) | 360 गाँव | भाडंग | पूलाजी सारण | खेजड़ा , फोगां , धीरवास , भाडंग , सिरसला , बुच्चावास , सवाई, पूलासर, हरदेसर, कालूसर, बन्धनाऊ , गाजूसर, सारायण, उदासर |
History
राव बीका और राव जोधा ने जाटों को समूल नष्ट करने की चाल चली। उन्होंने राजपूतों को मन्त्र दिया कि हम जाटों से लड़कर नहीं जीत सकते इसलिए धर्मभाई का रिवाज अपनाकर जब विश्वास कायम हो जाये तब सामूहिक भोज के नाम पर बाड़े में इकठ्ठा करो। नीचे बारूद बिछाकर नष्ट करो। इस कुकृत्य से असंख्य जाटों को नष्ट किया गया। [5] बीकानेर रियासत के मुख्य गाँव जहाँ जाटों को जलाया गया -
- जसरासर (चूरू) गाँव के कस्वां जाटों को,
- राजासर बीकान (लक्ष्मीनारायण) के भरता सारण को,
- हरदेसर के सारणों को,
- मालासर (गोगासर के पास) के सारणों को,
- बुकनसर बड़ा डूडीयों को अक्षय तृतीय के दिन,
- सवाई,
- अड़सीसर,
- हरियासर,
- मनहरपुरा,
- सोनडी आदि गाँवों में बारूद से आगजनी की घटनाएँ की। बहुत से गाँवों के पास पुराने थेड़ (खंडहर) पड़े हैं।[6]
Jat Monuments
Temples
Notable persons
Gallery
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माल चाँद गोदारा, बड़ी सवाई, सरदार शहर, कमरा: 1,25,000/- Adarsh Kanya Chhatrawas Sardarshahr
External Links
References
- ↑ Annals of Bikaner (Page 139)
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter VI (Page 548)
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/village/70416-sawai-bari-rajasthan.html
- ↑ 'धरती पुत्र : जाट बौधिक एवं प्रतिभा सम्मान समारोह, साहवा, स्मारिका दिनांक 30 दिसंबर 2012', पेज 8-10
- ↑ Dharati Putra: Jat Baudhik evam Pratibha Samman Samaroh Sahwa, Smarika 30 December 2012, by Jat Kirti Sansthan Churu, p.39
- ↑ Churu Janpad Ka Jat Itihas by Daulat Ram Saran Dalman
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