Aparamatsya

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Aparamatsya (अपरमत्स्य) is a Janapada mentioned in Mahabharata.

Origin

Variants

Aparamatsya (अपरमत्स्य) (AS, p.26)

History

अपरमत्स्य

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...अपरमत्स्य (AS, p.26): अपरमत्स्य महाभारत काल में एक महत्त्वपूर्ण स्थान था। सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा में अपरमत्स्य देश को जीता था। 'सुकुमारं वशे चक्रे सुमित्रं च नराधिपम्, तथैवापरमत्स्यांश्च व्यजयत् स पटच्चरान्'। (महाभारत वन पर्व 31,4) इससे पूर्व उन्होंने शूरसेन और मत्स्य-नरेशों पर भी विजय प्राप्त की थी। (महाभारत वन पर्व 31, 4)

इससे जान पड़ता है कि अपरमत्स्य देश मत्स्य (जयपुर-अलवर क्षेत्र) के निकट ही, संभवत: उससे दक्षिण-पूर्व की ओर था जैसा कि सहदेव के यात्राक्रम से सूचित होता है उपर्युक्त उद्धरण से यह भी स्पष्ट है कि अपरमत्स्य देश में पटच्चर या पाटच्चर [2] नामक लोगों का निवास था। संभवत: ये लोग चोरी करने में अभ्यस्त थे जिससे 'पाटच्चर' का संस्कृत में अर्थ ही चोर हो गया है। रायचौधरी के मत में यह देश चंबल-तट के उत्तरी पहाड़ों में स्थित था।[3]

पटच्चर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...पटच्चर (AS, p.520) 'सुकुमारं वशे चक्रे सुमित्रं च नराधिपम्, तदैवापरमत्स्यांश च वयजयत् स पटच्चरान्' महाभारत सभा पर्व 31,4 पटच्चरों को सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में जीता था. संदर्भ अनुसार पटच्चर-जनपद की स्थिति अपरमत्स्य देश के आसपास जान पड़ती है. श्री न. ला. डे के अनुसार यह इलाहाबाद-बांदा जिलों का प्रदेश है किंतु यह अभिज्ञान संदिग्ध है. अपरमत्स्य देश जयपुर-अलवर (मत्स्य) का पार्श्ववर्ती प्रदेश था. इसके पश्चात ही अनार्य जातीय निषादों के देश निषाद-भूमि का उल्लेख है. इससे जान पड़ता है कि पटच्चर देश दक्षिणी पंजाब और उत्तरी राजस्थान के बीच का इलाका रहा होगा. संस्कृत में पटच्चर शब्द चोर के अर्थ में प्रयुक्त है जिससे शायद पटच्चरों की तत्कालीन जातिगत विशेषता का पता चलता है. जान पड़ता है कि निषादों के समान पटच्चर भी किसी अर्ध सभ्य विदेशी जाति के लोग थे जो इस इलाके में भारत के बाहर से आकर बस गए थे. संभव है यह नाम (पटच्चर) कालांतर में दरिद्र शब्द की भांति ही ('दरद' देश के लोगों के नाम से बना विशेषण-- देखें दरद) जातिगत विशेषता के कारण संस्कृत में सामान्य विशेषण की भांति प्रयुक्त होने लगा.

In Mahabharata

Aparamatsya (अपरमत्स्य) is mentioned in Mahabharata (II.28.4)


Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 28 mentions Sahadeva's march towards south: kings and tribes defeated....Aparamatsya (अपरमत्स्य) is mentioned in Mahabharata (II.28.4).[5] ...The prince then brought under his sway Sukumara and then king Sumitra, and he next vanquished the other Matsyas (Aparamatsya) and then the Patacharas.

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.26
  2. (यह अपरमत्स्य के पार्श्ववर्ती प्रदेश का नाम हो सकता है।)
  3. द पॉलिटिकल हिस्ट्री आफ एंशेंट इंडिया, चतुर्थ संस्करण, पृ. 116
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.520
  5. सुकुमारं वशे चक्रे सुमित्रं च नराधिपम, तदैवापरमत्स्यांश च वयजयत स पटच चरान (II.28.4)