Bahipal

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Bahipal (वहिपाल) (11-12 century) was a Kulhari clan ruler of Maroth in Nagaur in Rajasthan.

History

ठाकुर देशराज लिखते हैं - यह जोहिया जाटों की एक शाखा मात्र है। इनका इतिहास जो इनके डूम, सांसी और भाटों से मिलता है, इस प्रकार है । मरुधर देश की भूमि पर वहिपाल नाम का जोहिया सरदार कोट मरोट नामक गढ़ में बैठकर मारवाड़ के एक बड़े हिस्से पर राज करता था। हिसार में जो सूबेदार उनके समय में था उससे वहिपाल की लड़ाई हुई। यह घटना ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी के बीच की है। कोट-मरोट का राज्य इस लड़ाई में इनके हाथ से निकल गया। तब वहिपाल ने काठोद में जाकर राज्य कायम किया। यह स्थान अजमेर से सात-आठ कोस की दूरी पर पच्छिम की ओर है पहाड़ों से सुरक्षित स्थान में रहते हुए इसके वंशजों ने कोलीय में एक अपना किला स्थापित कर लिया। इसी बीच में कोइल पट्टान के राजा ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। भाट ग्रन्थों में लिखा है - “इनकी कुल देवी पाड़ा ने उस कोइल पट्टन के राजा को परास्त करक इनको छुड़ा लिया।” और डीडवाना को अपनी राजधानी बनाया, फिर वहीं पर वहिपाल की और उस देवी की मूर्ति स्थापित की। इनका राज कोलीय से लेकर डीडवाना तक था।

इन लोगों का एक दल सांगलीय में कुछ समय निवास करता हुआ बोसांणा,


जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठान्त-606


चूड़ी और सांगासी में फैल गया। शेखावतों ने अपने समय में इन लागों की स्वतंत्रता नष्ट कर दी। डीडवान के आस-पास राठौरों ने इनके सरदारी तंत्र के जनपद मिटा दिये।

रामनाथ चारण ने ‘राजपूताने के इतिहास’ मे जोहियों के सम्बन्ध में लिखा है कि उनके पास 1500 गांव थे। सीवांणकोट में उनकी राजधानी थी। जोहियों के दो दलों में आपस में तकरार थी। राठौर वीरमदेव को बैठने के लिए उन्होंने कई गांव दिये थे। पीछे से वीरमदेव ने उनके साथ घात करना चाहा, इससे उन्होंने बड़े रण (मारवाड़) के पास लड़ाई करके उसे मार डाला। संवत् 1464 में वीरम के पुत्र ने जोहियों को मारवाड़ की भूमि से निकाल दिया।

References


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